Ram Kripal Vs Misa Bharti: बिहार की राजधानी पटना में दो लोकसभा सीटें हैं, जिसमें एक पटना साहिब और दूसरी पाटलिपुत्र. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट (Pataliputra Lok Sabha Seat) को काफी हॉट माना जा रहा है.
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट (Pataliputra Lok Sabha Seat) पर भाजपा ने रामकृपाल यादव (Ram Kripal Yadav) को उम्मीदवार बनाया है तो इंडिया ब्लॉक की तरफ से आरजेडी ने मीसा भारती (Misa Bharti) को मैदान में उतारा है. मीसा भारती राज्यसभा सदस्य हैं और रामकृपाल यादव यहां से वर्तमान सांसद हैं.
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें चार पर आरजेडी का कब्जा है तो दो सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है.
तीन बार से हार-जीत का अंतर रहा है 3-5 फीसदी
पिछले तीन बार के लोकसभा चुनावों में यहां से हार-जीत का अंतर 3-5 फीसदी का रहा है. इसलिए यह माना जा रहा है कि भाजपा के लिए यह लड़ाई अबकी बार आसान नहीं है. 2009 में इस सीट पर अंतिम बार जनतादल यूनाइटेड के रंजन प्रसाद यादव ने जीत हासिल की थी.
उसके बाद दो बार चुनाव हुए 2014 और 2019 में, जिसमें आरजेडी से बगावत करके भाजपा में शामिल हुए रामकृपाल यादव को जीत मिली. रामकृपाल के खिलाफ दोनों बार लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती मैदान में थीं.
तीसरी बार रामकृपाल और मीसा भारती का आमना-सामना
2024 के चुनाव में दोनों ही प्रत्याशी एक बार फिर से आमने-सामने हैं. इस सीट के इतिहास को देखते हुए इसके बारे में अनुमान लगा पाना काफी मुश्किल है कि ऊंट की किस करवट बैठेगा. लेकिन, चुनाव के नतीजे जो भी होंगे वो काफी कांटे की टक्टर वाले हो सकते हैं.
2014 के लोकसभा चुनावों में रामकृपाल यादव को 39.16 फीसदी वोट मिला था, जबकि आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती को 35.04 फीसदी वोट मिले थे. इस तरह से यह कहा जा सकता है हार-जीत का फासला 5 फीसदी से कम था. इसी तरह से 2019 के आम चुनावों यही दोनों लोगों का मुख्य मुकाबला था. जिसमें रामकृपाल यादव को 47.28 फीसदी और मीसा भारती को 43.63 फीसदी वोट मिले थे. इस बार भी हार-जीत का अंतर 3.65 फीसदी का था.
राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक है बिहार
बिहार को राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक माना जाता है और यहां पर आरजेडी की तरफ से किए जा रहे प्रयास और तेजस्वी की बढ़ती लोकप्रियता के बल पर अगर 5 फीसदी वोट स्विंग हो गया तो मीसा भारती के लिए राह आसान हो सकती है. वर्ना… रामकृपाल यादव भी चुनाव जीत सकते हैं.
तेजस्वी का धुआंधार प्रचार बदल सकता है माहौल
बिहार में नीतीश कुमार के पलटी मारने के बाद तेजस्वी यादव जिस तरह से धुआंधार प्रचार करके जनता को अपनी तरफ खींचने और उन्हें समझाने में कामयाब होते दिख रहे हैं. इससे इस बात की संभावना बढ़ती जा रही है कि बिहार में भाजपा नीत गठबंधन एनडीए बहुत बेहतर करने की स्थिति में नहीं नजर आ रहा है. हालांकि एनडीए की तरफ से इस बात का दावा किया जा रहा है कि एनडीए के सांसदों की संख्या इंडिया ब्लॉक के सदस्यों से अधिक रहेगी.
2009 से लगातार गिरता गया RJD का ग्राफ
2004 में राष्ट्रीय लोकदल को कुल 22 सीटें मिली थीं, जबकि पार्टी 26 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 2004 के चुनावों में आरजेडी को कुल 30.67 फीसदी वोट मिले थे. आरजेडी को मिले वोट में 2.28 फीसदी का इजाफा हुआ था. 2009 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी का ग्राफ काफी गिर गया. अबकी बार आरजेडी को महज चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.
2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में आरजेडी को महज चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. इसी तरह से 2019 के लोकसभा चुनावों में आरजेडी को महज 15.36 फीसदी वोट मिले और एक सीट जीतने में कामयाब रही.