चंडीगढ़।
करनाल विधानसभा पर उपचुनाव करवाने का मामला।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हुई सुनवाई।
बहस के बाद कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित।
याचिका लगाने वाले पक्ष के वकील सिमर पाल सिंह ने कहा कि संविधान सभी के साथ समान व्यवहार करने की बात कहता है।
संविधान के अनुसार किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।
हमने चुनाव आयोग से करनाल उपचुनाव के नोटिफिकेशन को वापस लेने की याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी।
महाराष्ट्र में हाई कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने एक उपचुनाव की नोटिफिकेशन को वापस ले लिया था।
बहस के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि कि जब कहीं पर मंत्री या मुख्यमंत्री के चुनाव की बात होती है, तो चुनाव 6 महीने में करवाने जरूरी करवाने होते हैं।
याचिकाकर्ता के वकील सिमर पाल ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है।
वह यह कैसे कह सकती है कि चुनाव के बाद बीजेपी अपने प्रत्याशी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी।
उत्तराखंड में भी ऐसा ही एक वाक्य हुआ था, जहां पर एक शख्स को मुख्यमंत्री बनाया गया।
लेकिन चुनाव नहीं होने के कारण उन्हें रिजाइन देना पड़ा था।
पब्लिक रिप्रेजेंटेशन कानून की धारा 151 ए के तहत किसी भी खाली सीट के ऊपर 6 महीने में चुनाव करवाने होते हैं।
लेकिन यदि विधानसभा या लोकसभा की अवधि में एक साल से काम का समय बचा है तो चुनाव नहीं करवाए जाते।