Mukhtar Ansari Death: गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की गुरुवार शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस वक्त रमजान का महीना चल रहा है और इसी बीच मुख्तार अंसारी की मौत हुई है।
अंसारी की मौत से एक साल पहले बाहुबली नेता और डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या रमजान के महीने में ही कर दी गई थी। दोनों भाइयों को पुलिस के कई जवानों की सुरक्षा के बीच इलाहाबाद में गोली मार दी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार मुख्तार अंसारी जेल में रोजा रहा था। गुरुवार की शाम भी बाकी दिनों की तरह मुख्तार अंसारी ने रोजा खोला। रोजा खोलने के कुछ देर बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और उल्टी होने लगी। तबीयत बिगड़ने के बाद जेल प्रशासन की टीम मुख्तार अंसारी को लेकर बांदा मेडिकल कॉलेज पहुंची। जहां 9 डॉक्टरों की एक टीम ने मुख्तार अंसारी की जांच करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। हालांकि, मुख्तार अंसारी की मौत की खबर रात करीब 10.30 के आसपास सामने आई।
अंसारी लगातार 5 बार रहे थे मऊ से विधायक
दशकों तक, राजनीतिक संरक्षण के तहत, अहमद और अंसारी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में, गाजीपुर से लेकर प्रयागराज तक, अपनी जागीर चलायी। उन पर हाई-प्रोफाइल हत्याओं का आरोप लगा। पूरा क्षेत्र उन्हें माफिया के रूप में जानता था, जो जमीन पर कब्जा करते थे, भाड़े पर हत्याएं करते थे, अपहरण और जबरन वसूली उनके गुर्गों से जुड़ा एक कुटीर उद्योग था। इनकी जिंदगी ‘मिर्जापुर’ वेब सीरीज या फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का वास्तविक जीवन रूपांतरण था।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ने अतीत में पूर्वाचल में राजनीतिक लाभ के लिए अहमद और अंसारी पर भरोसा किया है। यह क्षेत्र ऐसे माफिया और संगठित अपराध के लिए भयभीत होने लगा। अंसारी 1995 से 2022 तक लगातार पांच बार मऊ से विधायक रहे और बिना दोषी ठहराए लगभग 27 वर्षों तक अपनी विधानसभा सदस्यता बरकरार रखी। हालांकि, 2014 के बाद से हालत बदलने लगे। 2017 के बाद हालत में और भी अधिक बदलाव तब आया जब बीजेपी केंद्र और फिर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में सत्ता में आई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए वे पूर्वाचल की छवि बदलने के इच्छुक थे।
66 मामले दर्ज, 8 में दिया गया था दोषी करार
योगी सरकार के एक निरंतर अभियान में अहमद और अंसारी दोनों की संपत्तियों को जब्त कर लिया गया और अवैध निर्माण को ढाह दिया गया, जिससे ‘बाबा का बुलडोजर’ मॉडल उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध हो गया। अहमद और अंसारी के लंबे समय से लंबित मामलों को योगी सरकार द्वारा अदालतों में आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाया गया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि उनके सताये लोगों न्याय मिले। उनकी वित्तीय और कानूनी सुरक्षा दोनों टूट गईं।