Arunachal Pradesh part of India china:अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की खिसियाहट बढ़ती जा रही है. जब भी कोई भारतीय नेता या सरकारी प्रतिनिधिमंडल अरुणाचल की यात्रा करता है, जब भी भारत सरकार इस सीमावर्ती राज्य में किसी परियोजना का लोकार्पण या शिलान्यास करती है, चीन बौखला जाता है.
गुरुवार को अमेरिका ने चीन को दोटूक शब्दों में कह दिया कि वह अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है. इससे चीन बुरी तरह बौखला गया है. उसने अमेरिका पर पलटवार करते हुए अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया है.
अमेरिका सिर्फ मान्यता देने तक सीमित नहीं रहा, उसने अरुणाचल में चीनी घुसपैठ की भी कड़े शब्दों में आलोचना की और कहा कि अमेरिका वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य या नागरिक घुसपैठ अथवा अतिक्रमण कर क्षेत्र पर एकतरफा दावे के प्रयास का दृढ़ता से विरोध करता है. अमेरिका का ताजा बयान चीन की साम्राज्यवादी तथा विस्तारवादी नीति की ओर विश्व का ध्यान खींचता है.
चीन जमीन से लेकर हवा और समुद्र तक पर अधिकार के प्रयास में कई देशों के साथ विवाद में अटका है. जापान, ताइवान से उसके संबंध तनावपूर्ण हैं. अमेरिका उसे फूटी आंख नहीं सुहाता क्योंकि वह चीन की दूसरे देशों की जमीन पर कब्जा करने की नीति का लगातार विरोध करता आया है. चीन और रूस के इस वक्त मधुर संबंध हैं.
इसके बावजूद वह अरुणाचल के मामले पर चीन का साथ नहीं देता क्योंकि उसे भारत के पड़ोसी की नीयत के बारे में अच्छी तरह पता है. आज विश्व मंच पर भारत एक मजबूत ताकत बनकर स्थापित हो चुका है. जटिल वैश्विक समस्याओं को हल करने में भारत से सक्रिय भूमिका अदा करने की अपेक्षा पूरी दुनिया रखती है.
चीन को वैश्विक मंच पर भी अरुणाचल के मसले को लेकर कोई समर्थन नहीं मिल पा रहा. इससे उसकी बौखलाहट बढ़ती जा रही है. अरुणाचल को चीन ‘जंगनान’ कहता है. 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश में 13 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग राष्ट्र को समर्पित की थी. राजनीतिक दृष्टि से यह सुरंग बेहद महत्वपूर्ण है.
यह सुरंग बनाने से सीमांत क्षेत्रों तक भारतीय सेना इस सुरंग की मदद से तत्काल पहुंचकर जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम हो गई है. अरुणाचल पर चीन की नीयत से हमारी सरकार अच्छी तरह वाकिफ है और वह जानती है कि चीन किसी भी समय 1962 जैसी हरकत कर सकता है. इसीलिए सीमांत क्षेत्रों में सैन्य क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का भी तेजी से विस्तार किया जा रहा है.
सेला सुरंग से चीन फिर बौखला गया और जिस तरह पाकिस्तान बार-बार कश्मीर का राग अलापता है, उसने अरुणाचल पर पुराना राग अलापना शुरू कर दिया. भारत ने सख्त शब्दों में कह दिया है कि अरुणाचल उसका अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. चीन को एक बात साफ तौर पर समझ लेनी चाहिए कि जिस तरह कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के सपने कभी हकीकत में नहीं बदल सकते, वैसे ही अरुणाचल को पाने का चीन का ख्वाब कभी पूरा नहीं हो सकता.
ऐतिहासिक रूप से कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश दोनों ही भारत के अभिन्न अंग हैं और उन्हें इससे अलग करने की कोई भी कुचेष्टा हमारे दोनों शत्रु पड़ोसियों को बहुत महंगी पड़ेगी. भारत शांतिपूर्ण सह अस्तित्व में भरोसा करता है. उसने बार-बार पीठ में छुरा भोंके जाने के बावजूद चीन तथा पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की भरपूर कोशिश की.
इसके बावजूद चीन और पाकिस्तान के रवैये में कोई परिवर्तन नहीं आया. गलवान में घुसपैठ की नापाक कोशिश चीन ने की थी. लेकिन भारत ने उसे गलवान में इतना करारा जवाब दिया कि उसे अपने कदम पीछे हटाने पड़े. कूटनीतिक तथा रणनीतिक रूप से भारत की यह बड़ी जीत रही. चीन भूटान और सिक्किम में भी अतिक्रमण कर भारत को घेरने के षड़यंत्र में लगा हुआ है.
लेकिन उसे समझ लेना चाहिए कि गलवान तो एक झांकी भर है. अगर चीन ने अरुणाचल प्रदेश या भारत के किसी भी हिस्से पर बुरी नजर डाली तो इसके गंभीर परिणाम उसे भुगतने पड़ेंगे. बेहतर होगा कि अरुणाचल प्रदेश को चीन भी भारत का हिस्सा स्वीकार कर ले.