चंडीगढ़ : हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा की वे ईमानदारी और शुचिता की राजनीति करते हैं. कॉंग्रेस विधायक करण दलाल ने उनपर जो आरोप लगाए हैं वे पूरी तरह से झूठे, बेबुनियाद, मनघडंत और शरारतपूर्ण हैं. श्री दलाल का एकमात्र मकसद मीडिया में आना है. भाजपा की सरकार किसी भी तरह के भाई भतीजावाद में विश्वास नहीं रखती और सरकार ने 22 महीने के शासन काल में दिखा दिया है की सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति है. करण दलाल जैसे नेताओं को यह हजम नहीं हो रहा है. उन्हें जब सरकार पर आरोप लगाने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिला तो वे मनघडंत आरोप लगाकर सरकार की छवि ख़राब करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं. वित्त मंत्री ने कहा की यदि करण दलाल ने झूठ की राजनीति बंद नहीं की तो वे उनके विरुद्ध मानहानि का केस दायर करेंगे.
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा की करण दलाल ने एक सप्ताह के भीतर उनपर दोबारा वही आरोप लगाए जो पहले लगाए थे. उनके आरोपों से साफ है कि वे सिर्फ मीडिया में आने के लिए एेसा कर रहे हैं. उनका काम आरोप लगाना और भाग जाना है क्यूंकि उनके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं होती. झूठे आरोप लगाने की वजह से ही हरियाणा विधानसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लंबित है. उन्होंने सदन के पटल पर भी मिथ्या और शरारतपूर्ण आरोप लगाये थे. वित्त मंत्री ने कहा की हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद उनके परिवार के किसी भी सदस्य को किसी भी तरह का लाभ मिलने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. जिन टेंडर्स की बात करण दलाल कर रहे हैं वे कांग्रेस के समय के हैं और निर्धारित प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के तहत हुए हैं.
उन्होंने कहा की उनके लिए सदैव राजनीति और व्यवसाय अलग अलग विषय हैं. उनके परिवार ने जो भी व्यवसाय किये हैं वे सभी कानून के दायरे और मर्यादा में रहकर किये हैं. वे अपने राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता को अपनाकर चल रहे हैं और अपने व्यवसाय को छोड़कर समाज और देश की सेवा के लिए राजनीति में आये हैं जबकि कॉंग्रेस के नेताओं ने सदैव राजनीति को व्यवसाय मानकर ही काम किया और वे दूसरों को भी इसी नज़र से देखते हैं. करण दलाल न कानून जानते हैं न ही मर्यादा. अगर उन्हें कोई बात गैरकानूनी लगती है तो उन्हें मीडिया में आने की बजे अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा की यदि करण दलाल इस तरह के झूठे आरोपों की कीचड़ उछालने वाली राजनीति से बाज नहीं आए तो उनके विरूध क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए मानहानि का केस दायर करेंगे.