Maratha Maharashtra Reservation : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझा लिया है। सीएम शिंदे ने मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil ) की मांगें स्वीकार कर ली है।
मांग स्वीकार करने के बाद शनिवार (27 जनवरी) को सीएम शिंदे और मनोज जरांगे पाटिल ने नवी मुंबई में मुलाकात की है। मनोज पाटिल ने कहा है कि, वो अब अपना आंदोलन खत्म कर रहे हैं।
मनोज जरांगे ने कहा कि, ”मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बहुत अच्छा काम किया है। हमारा विरोध अब खत्म हुआ। हमारी सभी मांगे स्वीकार कर ली गई हैं। हम सरकार का पत्र स्वीकार करेंगे।”
एकनाथ शिंदे बोले- हम वोट के लिए कभी कोई फैसला नहीं लेते
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “…मैंने मराठों को आरक्षण देने का वादा किया था और मैंने अपना वादा पूरा किया है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। हम वोट के लिए कभी कोई फैसला नहीं लेते, हम जनहित के लिए निर्णय लेते हैं…हमने सभी मांगें मान ली हैं…” महाराष्ट्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण के संबंध में एक मसौदा अध्यादेश के साथ मांगों को स्वीकार कर लिया है। शिंदे ने कार्यकर्ता को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने की गुजारिश की है। सितंबर 2023 में भी मनोज जरांगे ने नेतृत्व में मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन हुआ था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी।
Maratha quota agitation: जानिए क्या-क्या थी मांगे? मराठा आरक्षण आंदोलन में शामिल लोगों की मांग थी कि ओबीसी के तहत सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण मिले।
मराठा समुदाय को फुलप्रूफ आरक्षण मिले। ना मिलने पर वो घर नहीं जाएंगे।
आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज अपराधों को खत्म किया जाए और इसके लिए एक तारीख भी तय की जाए।
मांग ये भी थी कि मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए भी सरकार राशि दे।
मराठों को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र देने वाला एक सरकार की ओर से आदेश पारित किया जाना चाहिए। जिसमें महाराष्ट्र शब्द का जिक्र हो।