नई दिल्ली. शेयर बाजार में सेबी ने पंप एंड डंप का एक मामला पकड़ा है. विकास प्रोपपंत एंड ग्रेनाइट (Vikas Proppant and Granite) कंपनी के प्रमोटर्स ने एक ऐसी जमीन के जरिए पूरा खेल रचा जो उनके पास थी ही नहीं.
यही नहीं इन लोगों ने कंपनी के बिजनेस के बारे में भी झूठे दावे किए. इसका परिणाम यह हुआ कि कंपनी का शेयर एक साल में ही 1.02 रुपये से उछलकर 17.85 रुपये पर पहुंच गए. इसके बाद प्रमोटर्स ने अपने शेयर बेच दिए. स्टॉक का रेट गिर गया और बाकी निवेशक ठगे रह गए. अब सेबी ने प्रमोटर्स से इस पूरे खेल के जरिए कमाए गए पैसे ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है. विकास प्रोपपंत एंड ग्रेनाइट (Vikas Proppant and Granite) का शेयर कल बीएसई पर 0.59 रुपये पर कारोबार कर रहा था.
सेबी की जांच में सामने आया कि प्रमोटर्स बजरंग दास अग्रवाल (अब मृत), बजरंग दास अग्रवाल की पत्नी और कंपनी की एमडी बिमला देवी जिंदल, उनकी बेटी और कंपनी की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कामिनी जिंदल और उनके सहयोगियों ने करीब 8 करोड़ शेयर बेचे. इससे उन्हें करीब 24 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ. बजरंग दास अग्रवाल नेशनल यूनियनिस्ट जमींदार पार्टी के फाउंडर भी थे. कामिनी जिंदल राजस्थान के गंगानगर क्षेत्र से इस पार्टी के टिकट पर विधायक चुनी जा चुकी है.
ऐसे रचा खेल
विकास प्रोपपंत एंड ग्रेनाइट (Vikas Proppant and Granite) के प्रमोटर्स और एसोसिएट्स ने इस पूरे खेल को एक जमीन के जरिए रचा. इस जमीन के लीज राइट्स पर प्रमोटर्स को कंपनी ने प्रिफरेंस शेयर जारी किए. कंपनी ने चार लोगों, प्रमोटर्स कामिनी जिंदल और बिमला देवी जिंदल और नॉन-प्रमोटर्स कांता देवी और उनकी बेटी कोमल को 32.5 करोड़ फुल्ली पेड इक्विटी शेयर प्रिफरेंशियल बेसिस पर जारी किए. इन शेयरों को लेकर रिकॉर्ड में डाला गया कि इन्हें जमीन पर लीज राइट्स के बदले ये शेयर जारी किए गए हैं. यह जमीन राजस्थान के जोधपुर की तहसील बिलारा के गांव कपरड़ा में बताई गई और लीज डीड के मुताबिक इसकी वैल्यू 81.25 करोड़ रुपये थी. जबकि हकीकत यह है कि यह जमीन उनके नाम पर थी ही नहीं.
शक होने पर सेबी ने की जांच शुरू
सेबी को 22 जून 2018 और 30 अगस्त 2019 के बीच कंपनी के शेयरों में उतार-चढ़ाव में इनाइडर ट्रेडिंग का शक हुआ. सेबी ने जांच में पाया कि जिस जमीन की लीज पर प्रिफरेंस शेयर जारी किए गए वो जमीन उनके नाम पर थी ही नहीं बल्कि मेसर्स मानसरोवर इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन (MIDC) के नाम पर थी. जिन लोगों को प्रिफरेंशियल बेसिस पर शेयर मिले थे, वे जमीन पर मालिकाना हक या लीज राइट्स को लेकर सेबी के सामने डॉक्यूमेंट्स नहीं पेश कर पाए. सब रजिस्ट्रार के लैंड रिकॉर्ड्स में भी इनका जमीन पर कोई दावा नहीं मिला. इस प्रकार यह तय हो गया कि ये शेयर फर्जी तरीके से जारी किए गए.
फर्जी दावे कर चढ़ाए रेट
प्रमोटर्स को प्रिफरेंशियल शेयर जारी करने के बाद कंपनी ने कई झूठे दावे भी किए. कंपनी ने कहा कि राजस्थान सरकार ने उसे माइनिंग लाइसेंस मिला है और 29.08 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. कंपनी को ग्रेनाइट की माइनिंग और प्रोपेंट बनाने के लिए एलओआई लाइसेंस मिला है. कंपनी ने दावा किया कि उसे रूस की तेल और ड्रिलिंग कंपनी से 6.23 करोड़ डॉलर के 75500 टन के प्रोपेंट के लिए निर्यात ऑर्डर मिले हैं. एक दावा किया गया है कि इसके डायरेक्टर्स के पास जोधपुर के पास 160 एकड़ जमीन में ग्रेनाइट 10000 करोड़ रुपये मूल्य की ग्रेफाइट माइनिंग की जा सकती है.
एक साल में 1650 फीसदी बढ गया शेयर का दाम
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि इन ऐलानों के चलते 22 जून 2018 को शेयर 1.02 रुपये से उछलकर 6 मई 2019 को 17.85 रुपये पर पहुंच गए. शेयरों का भाव चढने पर प्रमोटर्स ने अपने शेयर बेच दिए और करीब 24 करोड़ का मुनाफा कमाया. कई संस्थाओं ने आरोप लगाया कि बीडी अग्रवाल को इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड माना था. लेकिन, अब सेबी ने अपने फैसले में कहा है कि कंपनी की एमडी बिमला देवी जिंदल और एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर कामिनी जिंदल की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
सेबी ने बिमला और कामिनी से 26 अगस्त, 2019 से पेमेंट की तारीख तक 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज के साथ 21.51 करोड़ रुपये की गलत कमाई को चुकाने के लिए कहा गया है. एकता मित्तल को 27 फरवरी, 2019 से पेमेंट होने तक 12 फीसदी सालाना के साधारण ब्याज के साथ गलत तरीके से कमाए गए 1.28 करोड़ रुपये के मुनाफे को चुकाने के लिए कहा गया है.