चंडीगढ़ : जाट आरक्षण के दौरान हरियाणा में घटी हिंसक घटनाओं की जांच अलग-अलग कमेटियों से करवाए जाने का मामला आज हरियाणा विधानसभा में जोर शोर से गूंजा। इनेलो नेता व नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने कानून व्यवस्था पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाया था लेकिन इस पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस व भाजपा के सदस्यों ने न सिर्फ एक-दूसरे पर तीखे प्रहार किए बल्कि काफी समय तक सदन में गरमा गर्मी का माहौल बना रहा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान घटी हिंसक घटनाओं के लिए सरकार ने पहले प्रकाश सिंह कमेटी का गठन किया, फिर इनेलो द्वारा पूरे घटनाक्रम की हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाए जाने की मांग पर सेवानिवृत्त न्यायाधीश झा की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया गया और अब इनमें से कुछ मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी की पहली रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने उन्हें दूसरी रिपोर्ट सौंपने से ही न सिर्फ मना कर दिया बल्कि अभी तक इन घटनाओं को लेकर एक तरफ न्यायिक आयोग जांच कर रहा है और इससे पहले ही अनेक युवकों को दोषी मानकर कई-कई महीनों से गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे कौन है, इसकी जांच के लिए एसआईटी का भी गठन किया गया है और एसआईटी की तरफ से पिछले दिनों कहा गया कि आगजनी की घटनाएं सुनियोजित थी। इसके लिए पहले से पेट्रोल व हथियार इक_े किए गए, इतना सबकुछ पुलिस/प्रशासनिक व गुप्तचर विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे हुआ इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारी इसे रोक नहीं पाए तो ऐसे अधिकारियों को भी दोषी ठहराकर क्या कार्रवाई की जाएगी? नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा सांसद राजकुमार सैनी पर प्रदेश का आपसी भाईचारा बिगाडऩे का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी भी भाजपा सांसद पिछले दो हफ्तों से प्रदेशभर में घूम-घूमकर प्रदेश के भाईचारे को तोडऩे और उनके कटुता पैदा करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने पुलिस भर्ती प्रक्रिया के दौरान कुरुक्षेत्र में चार युवाओं की मौत होने, रात के समय उन्हें लाइनों में खड़े करने, उमस भरी गर्मी में पांच-पांच किलोमीटर दौड़ाने, कहीं पीने के पानी व सोने की व्यवस्था न होने और उनकी मौत होने पर उन्हें नशेड़ी बताए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अगर सरकार ये भर्ती प्रक्रिया अलग-अलग जिलों में चलाती और भर्ती के लिए मापदण्ड चाहे यही रखे जाते तो बेकसूर बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि प्रकाश कमेटी का गठन अधिकारियों की लापरवाही अथवा कोताही जो हुई उस मामले में जांच किए जाने तक सीमित था। उनकी पहली रिपोर्ट दो हिस्सों में आ गई है, एक रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है और गोपनीय रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब जो एक और रिपोर्ट प्रकाश सिंह देने की बात करते हैं वे पुलिस विभाग के कामकाज के सुधार के संबंध में है जो पहले ही उनकी कई रिपोर्टें सार्वजनिक हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि झा आयोग जांच कर रहा है और साजिश को बेनकाब करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अब कुछ मामलों की जांच सीबीआई को देने के पीछे मुख्य मकसद यही है कि अगर पुलिस से जांच करवाएंगे तो कल को कहा जाएगा कि ये सब राजनीतिक द्वेष के कारण किया जा रहा है। पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल द्वारा उनके घर पर हुई आगजनी की घटना को लेकर भी सरकार पर तीखे प्रहार किए गए, इस पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अगर गीता भुक्कल चाहें तो सरकार को उनके घर पर हुए हमले की भी सीबीआई से जांच करवा लेनी चाहिए। इस पर भुक्कल ने कहा कि वे सिर्फ अपने घर पर घटी घटना की नहीं बल्कि उनके पूरे हलके व जिले में घटनाओं का उल्लेख कर रही हैं। इस दौरान उनकी वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, ज्ञानचंद गुप्ता व श्याम सिंह राणा सहित सत्तापक्ष के अनेक सदस्यों के साथ तीखी झड़पें भी हुई।
वित्त मंत्री अभिमन्यु ने कहा कि गीता भुक्कल का दर्द सही है और अगर यहां चर्चा नहीं होगी तो फिर कहां चर्चा होगी? उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रो. विरेंद्र के आडियो वायरल होने और इन घटनाओं में महेंद्र हुड्डा व सोमवीर सहित अनेक लोगों की संलिप्तता सामने आने का मामला उठाते हुए कहा कि उनके घर में दस लोगों को जिंदा जलाने का प्रयास किया गया और जहां से हिंसा शुरू हुई उसकी जांच सीबीआई से होनी ही चाहिए और जिम्मेदार राजनेता होने के नाते आज तक इन कांग्रेस वालों ने न तो उन घटनाओं पर अफसोस जताया और न ही उसमें संलिप्त लोगों व आगजनी करने वालों की निंदा करते हुए दोषियों को दण्ड दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन्हें क्या डर सता रहा है और जो लोग यहां पर बड़ी-बड़ी बातें करतें हैं उन्होंने दोषियोंं को बचाने के लिए बड़े-बड़े वकील खड़े करने का काम किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में दूध का दूध पानी का पानी होना चाहिए और निष्पक्ष एजेंसी से इसलिए जांच करवाई जा रही है कि इस दौरान न सिर्फ आईजी के दफ्तर पर हमला हुआ बल्कि सर्र्किट हाउस भी जलाया गया और दोषियों को सामने लाना सरकार की जिम्मेदारी है। इस दौरान सत्तापक्ष व कांग्रेस विधायकों के बीच निरंतर नोकझोंक भी होती रही और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूरे घटनाक्रम की सिटिंग जज से जांच करवाने की मांग की। कांग्रेस विधायक कुलदीप शर्मा ने भी राज्यमंत्री कर्णदेव कम्बोज के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि उस दौरान कम्बोज का बयान आया था कि दो मंत्रियों ने पूरे मंत्रिमण्डल के हाईजेक कर लिया है। इस पर भी सत्तापक्ष व कांग्रेस विधायकों के बीच नोकझोंक हुई और सीपीएस सीमा त्रिखा ने कहा कि जब पूरा प्रदेश जल रहा था तो उस समय कांग्रेसी जंतर-मंतर पर धरना देने के नाम पर बैठे थे लेकिन उनके हंसते हुए फोटो वायरल हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने भी कांग्रेसी सदस्यों को खूब खरी खोटी सुनाई।