MiG-21 Bison : भारतीय वायुसेना की कामयाबी में मिग-21 लड़ाकू विमानों की अहम भूमिका रही है। भारतीय वायुसेना में फाइटर विमान मिग-21 को अंतिम विदाई दे दी गई है। अब यह भारतीय आसमान में फिर कभी दिखाई नहीं देगा। मिग-21 बाइसन विमान को आखिरी बार भारतीय आसमान में उड़ाया गया। विमान को राजस्थान के बाड़मेर जिले के उत्तरलाई के आसमान में देखा गया। उसके साथ सुखोई-30 MKI ने भी उड़ान भरी। मंत्रालय ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि मिग-21 स्क्वाड्रन ने लगभग छह दशकों तक देश की सेवा की है।
1963 से लेकर कारगिल तक लड़ी भारत की लड़ाई
भारतीय वायुसेना में मिग-21 लड़ाकू विमान को 1963 में शामिल किया गया था। 1965 की लड़ाई और 1971 की लड़ाई में इस लड़ाकू विमान में अहम रोल निभाया था। इसके अलावा चाहे करगिल वार से लेकर 2019 में पाकिस्तानी एयरफोर्स के एफ-16 गिराया। मिग 21 ने पाकिस्तान को घुटनों के बल ला दिया था।
क्यों हटाए जा रहे मिग विमान
लड़ाकू विमान मिग 21 को 60 साल तक भारत वायुसेना की रीढ़ माना जाता रहा। मिग-21 के पुराने पड़ने और लगातार हादसों का शिकार होने के कारण वायुसेना ने इनको बेडे़ से हटाने का फैसला लिया था। ऐसे में अब इसे 30 अक्टूबर से विदाई दे दी गई है। बाड़मेर में पिछले 9 सालों की बात करे तो यहां 8 मिग क्रैश होने के हादसे हुए है। अंतिम बार 28 जुलाई 2022 को भीमड़ा गांव में मिग 21 क्रैश हुआ जिसमें 2 पायलट शहीद हो गए।
मिग 21 की जगह लेंगे तेजस मार्क-1A
मिग-21 बाइसन की जगह अब तेजस मार्क-1 ए को शामिल किया जाएगा। बताया तेजस मार्क-1A की संख्या 100 होगी। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 48 हजार करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं। तेजस मार्क-1 ए पूर्ण रूप से स्वदेशी है, इसमें करीब 65 फीसद उपकरण स्वदेशी हैं। इसे एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंन एरे (AESA), बियांड विजुअल रेंज मिसाइल(BVR), मॉडर्न इलेक्ट्रिकल वारफेयर सूट, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग से लैस किया गया है।