कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी एक्सपर्ट एशले टेलिस ने यह टिप्पणी की है, कि जब तक चीन दोनों देशों के लिए खतरा बना रहेगा, तब तक भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध गहरा होना तय है।
इस हफ्ते वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में बोलते हुए टेलिस ने कहा, कि “यह (भारत-अमेरिका) संबंध तब तक गहरा होना तय है, जब तक चीन वहां मौजूद रहेगा, जिससे दोनों देशों को मैनेज करना होगा।” उन्होंने यह भी कहा, कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच ही नहीं, बल्कि दोनों समाजों के बीच भी संबंधों में प्रगाढ़ता देखने को मिलेगी।
भारत-अमेरिका के संबंध होंगे और मजबूत
गौरतलब है कि हाल के दिनों में चीन के साथ तनाव के बीच अमेरिका ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। वहीं, यह भी महत्वपूर्ण है, कि व्यापार, जलवायु परिवर्तन, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और कोविड-19 महामारी सहित मुद्दों पर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच संबंध हाल ही में तेजी से तनावपूर्ण हो गए हैं। दोनों देशों के बीच 2018 की शुरुआत से ही व्यापार विवाद बढ़ गया है, जिससे एक-दूसरे के सामानों पर आयात शुल्क बढ़ गया है। जबकि, जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों में भी काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
टेलिस ने कहा, कि “तो, कई मायनों में भारत और अमेरिका के संबंधों में मजबूती आना नियति है, क्योंकि जो स्ट्रक्चर बन रहा है, वो भारत और अमेरिका को अलग होने की इजाजत नहीं देते हैं।” लेकिन, उन्होंने आगे कहा, कि “हालांकि, ये इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी, कि भविष्य में क्या हालात बनते हैं और क्या ये रिश्ता, किसी और अन्य दिशाओं में भी जा सकता है, इसीलिए स्ट्रक्चर फैक्टर दोनों तरीकों से काम कर सकता है।” टेलिस ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा, कि भारतीय और अमेरिकी दोनों समाज श्रम गतिशीलता और प्रौद्योगिकी के मामले में एक दूसरे से जुड़े रहेंगे, हालांकि कभी-कभी मूल्यों और हितों में मतभेद मौजूद होंगे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी, कि भारतीय प्रवासी अतीत की तुलना में, किसी भी समय की तुलना में ज्यादा विभाजित हैं।
भारत-चीन संबंधों में तनाव
मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद ने भारत और चीन के बीच संबंधों को गंभीर रूप से तनावपूर्ण बना दिया है। भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद तीन साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी तनावपूर्ण रिश्ते में फंसे हुए हैं। हालांकि, दोनों पक्षों ने लंबी राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से अपने सैनिकों का डिसइंगेजमेंट पूरा कर लिया है, लेकिन भारत लगातार यह कहता रहा है, कि एलएसी पर शांति ही दोनों देशों के बीच के संबंधों को सामान्य कर सकता है। भारत ने चीन से बार-बार अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने और अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्वान किया है। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के कार्यक्रम में, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने चीन पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष किया, जब उन्होंने कहा कि देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करके क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करना जरूरी है। भारत और चीन के तनावपूर्ण रिश्ते हाल के चीनी उकसावों से बढ़े हैं, जिसमें उसके “मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण जारी करना, अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन क्षेत्र पर दावा करना और हांग्जो एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों को वीजा देने से इनकार करना शामिल है।