Israel-Hamas conflict: हर बार जब इजराइल की राजधानी तेल अवीव में हवाई हमले के सायरन बजते हैं, तो सड़कें खाली हो जाती हैं। इजराइल में हर पांच मिनट की दूरी पर भूमिगत आश्रय स्थल बने हुए हैं, लिहाजा अलर्ट सायरन बजते ही लोग आश्रय स्थलों में किसी अनहोनी की आशंका से छिप जाते हैं। इजराइल में समुद्र के किनारे भी कई छिपने की जगहें पहले से ही बनाई हुई हैं, जहां भी लोगों को आश्रय लिए देखा जा सकता है।
यरुशलम की पथरीली गलियों से लेकर, तेल अवीव की चमकती मीनारों तक, इजरायलियों की एक नई पीढ़ी पहली बार घेराबंदी और युद्ध का अनुभव कर रही है। हमास ने 7 अक्टूबर का दक्षिणी इजराइल पर उस वक्त हमला किया था, जब यहूदी समुदाय अपना पवित्र त्योहार मना रहे थे। वो दिन योम किप्पुर युद्ध की 50वीं वर्षगांठ भी थी और माना जाता है, कि इसीलिए हमास ने परिणाम की परवाह किए बगैर इजराइल पर हमला किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में उनके संवाददाता शुभाजित रॉय ने तेल अवीव पर किए गये एक रिपोर्ट में जमीनी हालात पर जानकारी देते हुए भयावह हालात के बारे में बताया है।
शुभाजित रॉय ने लिखा है, कि उन्होंने दक्षिणी इज़राइल के सीमावर्ती शहरों अश्कलोन, स्देरोट और अशदोद और पश्चिमी तट के रामल्ला की यात्रा की और गाजा के निवासियों से फोन पर बात की। हमास के हमले के लगभग तीन सप्ताह बाद, जब इज़राइल ने नाकाबंदी वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र पर भयानक बमबारी की है, उस वक्त गाजा पट्टी के हालात भयावह हो गये हैं। लिहाजा, युद्ध के मैदान के 10 क्या बड़े क्या हालात हैं, आइये समझते हैं।
1. हमास की क्रूरता के निशान
हमास ने 7 अक्टूबर को यहूदियों के पवित्र त्योहार शबात पर हमला किया था, इस बात से भी सबसे ज्यादा इजराइलियों को जिस चीज ने झकझोर कर रख दिया है, वो है हमास की क्रूरता। हमास के वीडियो में महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों का नरसंहार दिखाया गया है, यहां तक कि अस्सी साल की उम्र से ज्यादा लोगों को भी नहीं बख्शा गया है। इजरायली प्रतिष्ठान में कई लोग मानते हैं, कि हमास सीरिया और लेवांत में पूर्व आईएसआईएस लड़ाकों, ईरान द्वारा किराए पर लिए गए हत्यारों से जुड़ा हुआ था। इजराइली क्षेत्र अभी भी हमास के क्रूर हमले से दहला हुआ है और हमलों के निशान अभी भी दक्षिणी इजराइल में मौजूद हैं।
2- इजराइली बंधक संकट
220 से ज्यादा इजराइली बंधक हमास की कैद में हैं और ये संख्या अभी तक ज्ञात है, लेकिन इजराइली एजेंसयों का मानना है, कि ये संख्या और ज्यादा बड़ी हो सकती है। पहले आशंका थी, कि बंधकों की संख्या 10 से कम हो सकती है, लेकिन जांच बढ़ने के साथ बंधकों की संख्या बढ़ती चली गई। तेल अवीव में एक विश्लेषक ने कहा, “एक समय के बाद, ये आंकड़े प्रासंगिकता खो देते हैं, और इजराइली प्रतिष्ठान के पास इतने बड़े बंधक संकट से निपटने की क्षमता नहीं है।” कई रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि इजराइली प्रतिष्ठानों के अलावा बंधकों के परिवारों ने अपने परिजनों की रिहाई के लिए निजी वार्ताकारों को भी शामिल किया है। हालांकि, हमास ने दावा किया है, कि इजराइल की बमबारी में 50 से ज्यादा बंधक मारे गये हैं। हालांकि, स्वतंत्र सूत्रों से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
3- त्रासदी की भीषणता
7 अक्टूबर से अब तक कम से कम 7,000 लोग मारे गए हैं, जिनमें इज़रायली और फ़िलिस्तीनी नागरिक भी शामिल हैं। इज़रायली हवाई हमलों ने गाजा शहर को तबाह कर दिया है और लोगों को दक्षिण की ओर भागने के लिए मजबूर कर दिया है। दक्षिण में हमास और उत्तर में हिज़्बुल्लाह के रॉकेट हमलों के कारण कई इजराइली शहर और गांव खाली हो गए हैं, और इज़राइल के भीतर अनुमानित 1.2 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं। गाजा में, यूएनआरडब्ल्यूए, जो अभी भी ज़मीन पर मौजूद एकमात्र संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, उसका कहना है कि कम से कम 6 लाख लोग उसके आश्रय स्थलों में हैं, और अन्य 6 लाख लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।
गाजा में बिजली और आवश्यक आपूर्ति नहीं है और पीने के पानी, ईंधन और दवाइयों की भी बेहद कमी है।
4. पूर्ण विश्वासघात की भावना
इजरायली, जिन्हें हमेशा अपनी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी क्षमताओं और तैयारियों के बारे में आश्वस्त किया गया है, वो हमास के इस हमले के बाद ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वामपंथी अखबार हारेत्ज़ ने ऐसी सुर्खियां छापी हैं जैसे “मेरे 62 वर्षीय पिता ने मेरे परिवार को छुड़ाने के लिए हमास के आतंकवादियों से लड़ाई की और इज़रायली सरकार ने हमें फेल कर दिया”।
5. बदला लेने की प्यास
इजराइल, जिसकी आबादी सिर्फ 90 लाख है, यानि दिल्ली की आबादी से भी एक तिहाई कम, वहां 1400 लोगों की मौत हुई है। लिहाजा, ज्यादातर इजराइली किसी ना किसी पीड़ित परिवार को जानते हैं, लिहाजा लोग एक दूसरे के दर्ज को काफी करीब से महसूस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ज्यादातर इजराइलियों के मन में बदला और प्रतिशोध की भावना है। कई लोग चाहते हैं कि गाजा पर बमबारी की जाए, हालांकि, एक बंधक के एक रिश्तेदार ने कांपती आवाज में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, कि अगर गाजा में उसकी 80 वर्षीय दादी के रहते हुए बमबारी जारी रहती है, तो यह एक “समस्या” है।
6. अस्तित्व बचाने की लड़ाई
यरूशलेम में होटल लॉबी में, गायक और कलाकार वायलिन बजा रहे हैं और विस्थापित परिवारों के लिए छोटे संगीत कार्यक्रम कर रहे हैं, ताकि उनका मनोरंजन किया जाए। इसके अलावा, कई इजराइली संगठन उनसे लगातार बातचीत कर रहे हैं, ताकि मनोवैज्ञानिक तौर पर उन्हें मजबूत किया जाए। दूसरे देशों से लौटे इजराइली, विस्थापित लोगों की आर्थिक मदद कर रहे हैं। वहीं, अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा मुफ्त कर दिया गया है।
7. संकट में घिरे नेतन्याहू
देश के छह बार प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। विपक्षी दल सरकार के चारों ओर लामबंद हो गए हैं और एक युद्ध मंत्रिमंडल का गठन किया गया है, लेकिन राजनीतिक जवाबदेही का सवाल अभी भी खुला है। हालांकि, इस वक्त उनसे खुले तौर पर सवाल नहीं पूछे जा रहे हैं, लेकिन लोगों के मन में सैकड़ों सवाल हैं। हमास के हमले से पहले बेंजामिन नेतन्याहू सरकार के न्यायिक सुधार कानून के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे और लोगों ने उस गुस्से की आग अभी भी धधक रही है, जिसमें घी डालने का काम हमास के हमले ने किया है। इजराइल के कई विश्लेषकों का माननाहै, कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश के सामने आने वाले खतरों से अपना दिमाग और आंखें हटा ली हैं।
8. जॉर्डन के लिए संभावित भूमिका
अगर यह मान भी लिया जाए, कि इज़राइल हमास को पूरी तरह से नष्ट करने में सफल हो जाता है, तो कोई नहीं जानता, कि उसके बाद क्या होगा। इज़राइल लगभग निश्चित रूप से गाजा पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं कर सकता है, और एक समाधान यह हो सकता है, कि अरब गठबंधन को इस क्षेत्र में जो कुछ भी बचा है उसका प्रभार लेने के लिए राजी किया जाए। यदि ऐसी संभावना बनती है, तो जॉर्डन पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ सकती है। इसे उन कुछ प्लेयर्स में से एक के रूप में देखा जा रहा है, जो फ़िलिस्तीनियों के साथ कुछ विश्वसनीयता बनाए रखते हैं। जॉर्डन, पवित्र अल अक्सा मस्जिद का संरक्षक है, और वह लंबे समय से फ़िलिस्तीनियों का हितैषी रहा है। जब अरब दुनिया में अन्य लोग चुपचाप आगे बढ़ गए और इजराइल के साथ व्यापारिक और डिप्लोमेटिक रिश्ते की शुरूआत कर दी, उस वक्त भी जॉर्डन, इजराइल के साथ खड़ा रहा है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई विश्व नेताओं ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला से बात की है, और क्वीन, रानिया वर्ल्ड मीडिया में फिलिस्तीनियों की दुर्दशा को व्यक्त कर रही हैं।
9. पटरी से उतरी शांति
साल 2020-21 में अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से पश्चिम एशिया में बदलाव देखे जा रहे हैं। सऊदी अरब और इज़राइल के बीच सामान्यीकरण प्रक्रिया, जो हमास के हमले से रुकी हुई है, उसमें क्षेत्र की राजनीतिक और आर्थिक गतिशीलता को बदलने की क्षमता है। इसके अलावा, इजराइल, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका ने जो इंडिया-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की शुरूआत की है, उसे भी फिलहाल नुकसान हो सकता है।
10- भीषण रक्तपात
हमास ने दावा किया है, कि इजराइल के हमले में कम से कम 7 हजार लोग मारे गये हैं। हालांकि, स्वतंत्र रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन ये आंकड़ा सच भी हो सकता है। दूसरी तरफ, इजराइल फिलहाल अमेरिका के प्रेशर की वजह से ग्राउंड ऑपरेशन शुरू नहीं कर पाया है, जबकि, ईरान ने कहा है, कि हमास इजराइली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है और वो बातचीत में शामिल होने के लिए तैयार है। लेकिन, क्या इजराइल इस प्रस्ताव को शुरू करेगा, फिलहाल कहा नहीं जा सकता है।