China-Pakistan: चीन में बेल्ट एंड रोड पहल को लेकर शिखर सम्मेलन हो रहा है, जिसमें भाग लेने के लिए पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर बीजिंग के दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जमकर मक्खन लगाया है।
पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक बैठक के दौरान कहा है, कि पाकिस्तान चीन के ऊपर आंख मूंदकर भरोसा करता है और दोनों देशों के बीच का रिश्ता स्वर्ग में बना हुआ है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री काकर ने इस बात पर जोर दिया है, कि चीन के साथ रणनीतिक साझेदारी के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी और वे इसे कमजोर करने की इजाजत नहीं देंगे। माना जा रहा है, कि आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान, चीन से और भी ज्यादा ऋण चाहता है, क्योंकि चीन ने पाकिस्तान के बीआरआई प्रोजेक्ट के लिए और ज्यादा ऋण देने से मना कर दिया है और पाकिस्तान इसीलिए लगातार चीन को मक्खन लगा रहा है।
चीन से और ऋण चाहता है पाकिस्तान
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री काकर के बयानों से पता चलता है, कि वो बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति के पैरों में लोट गये हैं। उन्होंने कहा, कि “पाकिस्तान मजबूती से ‘एक चीन नीति’ का समर्थन करता है और सिर्फ मुंह से नहीं, बल्कि जमीनी कदम उठाकर वो चीन की नीतियों का समर्थन करता है।”
आपको बता दें, कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री काकर और शी जिनपिंग के बीच की यह बैठक, बेल्ट एंड रोड फोरम के मौके पर हुई है, जिसमें लगभग 140 देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। पाकिस्तानी पीएम काकर ने साफ कर दिया, कि पाकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों में पीछे नहीं हटेगा। दोनों नेताओं ने कई द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा की है। दरअसल, पाकिस्तानी पीएम चीन की इतनी चापलूसी इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि चीन ने पाकिस्तान में चल रहे चायना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, जिसे सीपीईसी के नाम से जाना जाता है, उसकी फंडिंग रोक दी है, लिहाजा सीपीईसी से जुड़े ज्यादातर प्रोजेक्ट रूक गये हैं। वहीं, पाकिस्तान कंगाल हालात से गुजर रहा है, इसलिए उसे पैसों की सख्त जरूरत है और पाकिस्तान, चीन को दुधारू गाय मानता है। वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तानी पीएम से कहा है, कि वो सीपीईसी प्रोजेक्ट और क्षेत्र में शांति को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
पाकिस्तान का माय-बाप बना चीन
एक्सपर्ट्स का कहना है, कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अपने मौजूदा आर्थिक संकट के बावजूद चीनी लोन लेने के लिए बेकरार है, जबकि पाकिस्तान का चालू घाटा (current account deficit) काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है। वहीं, चीन के कर्ज के अलावा भी पाकिस्तान के ऊपर करीब 100 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज है। आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के कुल विदेशी ऋण का 30 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ चीन का है, जिसे पाकिस्तान नहीं चुका पा रहा है। चीन से पाकिस्तान ने करीब 30 अरब डॉलर का कर्ज पहले ही ले रखा है और पिछले एक साल में लिए गये नये कर्जों को शामिल कर लें, तो ये कर्ज बढ़कर 40 अरब डॉलर का हो जाता है। लिहाजा, पाकिस्तान के पास अब चीन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। वहीं, चीन खुद आर्थिक संकटों में फंसा हुआ है और वो जान गया है, कि पाकिस्तान उसके कर्ज को लौटा नहीं सकता है, लिहाजा अब वो पाकिस्तान को और कर्ज देने के मूड में नहीं है।