कोलकाता : एक दुखद खबर साहित्य जगत से है, मशहूर बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी का आज कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया। वो 90 साल की थीं और पिछले दो महीने से काफी बीमार थीं, उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।
उनके द्वारा रचित भारत एक खोज..केवल एक किताब नहीं बल्कि एक सिंद्धात है..
एक नजर महान लेखिका के जीवन पर..
महाश्वेता देवी केवल एक लेखिका नहीं थीं बल्कि एक समाजिक कार्यकर्ता और कुशल पत्रकार भी थीं।
उन्हें 1996 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था।
उनके पिता मनीष घटक एक कवि और एक उपन्यासकार थे और उनकी माता धारीत्री देवी भी एक लेखिका और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
इसलिए कलम का ज्ञान उन्हें अपने मां-पिता से ही मिला था।
उनकी स्कूली शिक्षा ढाका में हुई थी।
लेकिन विभाजन के वक्त वो और उनका पूरा परिवार कोलकाता में बस गया।
महाश्वेता देवी की आगे की पढ़ाई विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन से हुई।
उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया।
उन्होंने कुछ समय तक कोलकाता विश्वविद्यालय में अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में नौकरी भी की।
लेकिन 1984 से वो कलम के क्षेत्र में आयीं और उन्होंने नौकरी से रिटायरमेंट ले लिया।
‘झांसी की रानी’ महाश्वेता देवी की प्रथम रचना है।
उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में ‘अग्निगर्भ’ ‘जंगल के दावेदार’ और ‘1084 की मां’, माहेश्वर, ग्राम बांग्ला रहे हैं।
उनकी छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं और सौ उपन्यासों के करीब (सभी बंगला भाषा में) प्रकाशित हो चुकी है।
उनके मशहूर उपन्यास ‘1084 की मां’ पर गोविंद निहलानी ने फिल्म भी बनायी थी।