गोपालपुर से जेडीयू विधायक गोपाल मंडल के विवाद पर राजनीति में सुचिता और सभ्यता की बात करने वाले नीतीश कुमार की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है. बीजेपी ने भी नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल उठाया है.
जनता दल यूनाइटेड के गोपालपुर से विधायक नरेंद्र नीरज उर्फ गोपाल मंडल एक बार फिर नीतीश कुमार की परेशानी का कारण बन गए है. भागलपुर के सरकारी अस्पताल में हथियार लहराने के सवाल पर पटना में उन्होंने पत्रकारों को गाली दे दी. यह पहली बार नहीं है, जब अपनी हरकतों की वजह से गोपाल मंडल सुर्खियों में हैं.
दिसंबर में उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि बिहार में जो विधायक गोली चलाने और माारपीट करने में पीछे हो, वो विधायक नहीं हो सकता. मंडल तेजस एक्सप्रेस में भी यात्रियों के साथ मारपीट करने की वजह से विवादों में रहे हैं. इस मामले में उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
गोपाल मंडल लालू यादव और बीजेपी नेताओं पर भी विवादित टिप्पणी कर चुके हैं, लेकिन जेडीयू ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. राजनीति में सुचिता और सभ्यता की बात करने वाले नीतीश कुमार की चुप्पी भी इस मामले में सवालों के घेरे में है.
बीजेपी के प्रवक्ता अजय आलोक ने बिहार के मुख्यमंत्री से पूछा- नीतीश कुमार आप किस सुशासन के लिए अब जाने जाएंगे? बिहार में ऐसे लोग अब जनता का प्रतिनिधित्व करेंगे? यह विनाश कुमार का सुशासन है.
बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने भी सवाल उठाया है. तावड़े ने पोस्ट करते हुए लिखा- ये है जदयू विधायक गोपाल मंडल की भाषा. जब ये कैमरे के सामने पत्रकारों को गाली दे रहे हैं, तो आम जनता से किस तरीके से पेश आते होंगे?
पूरे बवाल पर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने खेद जताया है. हालाांकि, पार्टी की ओर से इस पर कोई बयान अब तक सामने नहीं आया है.
हालिया विवाद कैसे शुरू हुआ?
1. 4 अक्टूबर को गोपाल मंडल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वीडियों में मंडल हाथ में हथियार लिए हुए भागलपुर के मायागंज के जेएलएनएमसीएच अस्पताल के कॉरिडोर में घुमते नजर आए. वे यहां अपनी पोती अवनि के सीटी स्कैन के लिए अस्पताल गए थे. वीडियो वायरल होने के बाद जिला कलेक्टर ने एसपी से जांच करने के लिए कहा.
2. पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर पत्रकारों ने गोपाल मंडल से हथियार लहराने को लेकर सवाल पूछा. इस पर मंडल ने कहा कि मेरे पास हथियार अभी भी है. वो हाथ में रखने के लिए ही होता है. मंडल ने इस दौरान पत्रकारों को गाली भी दी. हालांकि, बाद में उन्होंने माफी भी मांग ली.
4 मुकदमा दर्ज, आरोप- गाली-गलौज और धमकी
गोपाल मंडल के खिलाफ अब तक 4 मुकदमा दर्ज है. इनमें 3 मामला भागलपुर और एक मामला आरा में दर्ज है. गोपाल मंडल के एफिडेविट के मुताबिक गाली-गलौज को लेकर उनपर इस्माइलपुर थाने में पहला केस दर्ज किया गया था. इस केस में मंडल पर आईपीसी की धारा 144, 447, 341, 524, 506 लगाया है. मामले की सुनवाई मजिस्ट्रेट कोर्ट में जारी है.
दूसरा मामला उन पर गोपालपुर थाना में दर्ज है, जिसकी संख्या 48/16 है. यह केस भी गाली-गलौज के आरोप में दर्ज किया गया था. इसमें आईपीसी की 341, 323 और 506 धारा लगाई गई है. इस केस की सुनवाई भी चल रही है.
तीसरा केस उन पर भागलपुर के बरारी थाना में दर्ज है. इस केस की संख्या 606/06 है. इस केस में आईपीसी की धारा 353, 504 और 506 लगाया गया है. केस के मुताबिक उन्होंने सरकारी कामकाज में बाधा डालने के मकसद से अधिकारियों को धमकाया था.
गोपाल मंडल पर चौथा केस दिल्ली में दर्ज हुआ था, जिसे बाद में आरा ट्रांसफर कर दिया गया. यह केस रेल यात्री प्रह्लाद पासवान ने दर्ज कराया था. पासवान के मुताबिक यात्रा के दौरान ट्रेन के ए-1 कोच में गोपाल मंडल अंडरवीयर में घुम रहे थे. उन्हें जब इस बाबत बोला गया, तो मारपीट पर उतारु हो गए और जान से मारने की धमकी देने लगे.
वर्तमान में चारों मामले में मंडल जमानत पर चल रहे हैं. हालांकि, ये सभी आरोप संज्ञेय है और इनमें सजा होने पर उनकी विधायकी तक जा सकती है.
पत्नी राजनीति में, बेटा पर भी आपराधिक केस
गोपाल मंडल की पत्नी भी स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं. मंडल की पत्नी सविता देवी 2021 में इस्माइलपुर से जिला परिषद और 2022 में भागलपुर मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं. उन्हें दोनों चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
इस्माइलपुर जिलापरिषद चुनाव के दौरान सविता देवी पर आचार सहिंता के उल्लंघन का मामला भी दर्ज हुआ था. इस चुनाव में उन्हें विपिन कुमार मंडल ने 3707 वोटों से हराया था. मेयर चुनाव में सविता चौथे नंबर पर रही थीं.
गोपाल मंडल के बेटे आशीष पर भी आपराधिक केस दर्ज है. दिसंबर 2022 में आशीष को एसआईटी ने गिरफ्तार भी किया था. आशीष बरारी गोलीकांड मामले में आरोपी है. बरारी में जमीन विवाद के एक मामले में आशीष पर 10 राउंड फायरिंग का आरोप लगा था.
इसी साल अप्रैल में आशीष को हाईकोर्ट से जमानत मिली है. आशीष अपने माता-पिता के चुनावी कामकाज को देखते हैं.
गोपाल मंडल का सियासी इतिहास
1986 में भागलपुर सिटी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद गोपाल मंडल स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए. 1990 में उन्होंने गोपालपुर सीट से बीजेएस दल से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वे चौथे नंबर पर रहे. बीजेपी के ज्ञानेश्वर यादव ने जीत हासिल की थी. मंडल को 13365 वोट मिले थे.
1995 के विधानसभा चुनाव में गोपाल मंडल निर्दलीय मैदान में उतरे. इस बार उन्हें 21157 वोट मिले और वे चुनाव में जनता दल और कांग्रेस उम्मीदवार के बाद तीसरे नंबर पर रहे. 1995 चुनाव के बाद गोपाल मंडल नीतीश कुमार के साथ आ गए और समता पार्टी में शामिल हो गए.
2020 के विधानसभा चुनाव में गोपाल मंडल समता पार्टी के सिंबल पर मैदान में उतरे. उनका मुकाबला आरजेडी के रवींद्र राणा से था. मंडल तीसरे प्रयास में भी विधानसभा जाने से चूक गए. इस चुनाव में उन्हें करीब 50 हजार वोट मिले थे.
2005 के फरवरी में हुए चुनाव में भी गोपाल मंडल हार गए, लेकिन अक्टूबर के चुनाव में उन्होंने रवींद्र राणा को पटखनी दे दी. गोपाल मंडल इसके बाद लगातार इस सीट से विधायक हैं. 2020 में उन्होंने आरजेडी के शैलेश मंडल को करीब 25 हजार वोटों से हराया था.
शैलेश भागलपुर के सांसद भी रह चुके हैं और तेजस्वी यादव के काफी करीबी नेता में उनकी गिनती होती है.
शराबबंदी पर नीतीश कुमार से ही भिड़ गए थे
2015 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला किया. इसके लिए आबकारी विभाग ने एक प्रस्ताव भी लाया. शराबबंदी की भनक लगते ही गोपाल मंडल बागी हो गए. उन्होंने नीतीश कुमार के इस फैसले का खुलेआम विरोध किया.
शराब के समर्थन में बोलते हुए गोपाल मंडल ने उस वक्त कहा था- शराब राजा-महाराजा की शोभा की वास्तु है. शराबबंदी लागू करके नीतीश कुमार ठीक नहीं कर रहे हैं. सुरा और सुंदरी तो स्वर्ग के लोगों को भी पसंद है.
अपनी दलील को सही ठहराते हुए मंडल ने कहा था- मेरा इलाका जंगलों से घिरा हुआ है. वहां पुलिस कभी भी लोगों को शराब पीने से नहीं रोक पाएगी. ऐसे में शराबबंदी का क्या फायदा होगा? हालांकि, जेडीयू हाईकमान ने जब उन पर नकेल कसी, तो वे बैकफुट पर आए.
अगस्त 2021 में बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के खिलाफ भी मंडल ने मोर्चा खोल दिया था. गोपाल मंडल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि तारकिशोर प्रसाद भागलपुर सिर्फ वसूली करने के लिए आते हैं.
तारकिशोर प्रसाद उस वक्त बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ भागलपुर के प्रभारी मंत्री भी थे.
मंडल पर नीतीश कुमार क्यों हैं मेहरबान?
जिला संगठन से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता गोपाल मंडल के मसले पर बोलने से बच रहे हैं. जिला संगठन के एक नेता ने ऑफ द रिकॉर्ड एबीपी को बताया कि गोपाल मंडल का मामला नीतीश कुमार ही देख सकते हैं, क्योंकि वे विधायक हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतना विवाद होने के बाद भी नीतीश कुमार गोपाल मंडल पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं?
गंगोता के बड़े नेता हैं गोपाल मंडल
गंगापूत यानी गंगोता बिहार में एक जाति है, जिसकी अधिकांश आबादी भागलपुर, बांका समेत गंगा के आसपास रहती है. इस जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग लंबे वक्त से उठ रही है.
गोपाल मंडल को गंगोता जाति का बड़ा नेता माना जाता है. भागलपुर के एक स्थानीय पत्रकार नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं- गोपाल मंडल पिछले चुनाव में 75 हजार वोट लाकर चुनाव जीते थे. उनके खिलाफ गंगोता का ही शैलेश मंडल मैदान में थे, जो भागलपुर के पूर्व सांसद थे.
शैलेश मंडल को 2014 में मुस्लिम समुदाय के शहनवाज हुसैन के खिलाफ खड़ा किया गया था और मंडल जीतने में कामयाब रहे थे. अभी जो भागलपुर के सांसद अजय मंडल हैं, वो भी गंगोता समुदाय के ही हैं, लेकिन गोपाल मंडल की छवि तीनों से अलग है.
स्थानीय पत्रकार बताते हैं- गोपाल मंडल जो कर रहे हैं, वो कोई गलती से नहीं हो रहा है. वो सबकुछ जानबूझकर कर रहे हैं. 2015 के बाद गोपाल मंडल मीडिया के सुर्खियों में ज्यादा रह रहे हैं. गंगोता जाति के होने की वजह से उन पर नीतीश कुमार एक्शन नहीं ले पा रहे हैं.
जातीय सर्वे 2023 के मुताबिक बिहार में गंगोता जाति की आबादी करीब 0.50 प्रतिशत है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ भागलपुर में इस जाति की आबादी 10 प्रतिशत के आसपास है.
भागलपुर लोकसभा सीट के समीकरण की बात करें तो यहां मुसलमान वोटरों की संख्या 18.28 प्रतिशत, यादव वोटरों की संख्या 11.81 प्रतिशत, गंगोता 9.26 प्रतिशत, ब्राह्मण 5.11 प्रतिशत, राजपूत 3.56 प्रतिशत, भूमिहार 3.84 प्रतिशत, कोईरी 4.95 प्रतिशत, कुर्मी 3.09 प्रतिशत, धानुक 4.33 प्रतिशत, तेली 3.29 प्रतिशत, रविदास 4.24 प्रतिशत और पासवान वोटरों की संख्या 3 प्रतिशत है.
मुखर नेता, माहौल बनाने में माहिर
गोपाल मंडल उस दौर में नीतीश कुमार से जुड़े, जिस दौर में समता पार्टी का बिहार में ज्यादा दबदबा नहीं था. मंडल 4 बार से विधायक हैं. पिछले बार भागलपुर लोकसभा जिताने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनावी साल में मुखर नेता पर एक्शन लेकर नीतीश कुमार अपना भागलपुर का समीकरण खराब नहीं करना चाहते हैं. क्षेत्र में मंडल की छवि अधिकारियों से लड़कर काम करवाने वाले नेताओं की है.