हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार बेटियों के लिए तमाम ऐसी योजनाएं चला रही है, जिसमें न केवल उनके सम्मान का ख्याल रखा गया है, बल्कि उससे उनका सशक्तिकरण और कल्याण का काम भी हो रहा है।
खट्टर सरकार की ओर से लड़कियों के लिए चलाई जाने वाली ऐसी योजनाओं में से एक है ‘किशोरी शक्ति योजना’। इस योजना का मकसद 11 से 18 वर्ष की लड़कियों में पोषण और स्वास्थ्य का स्तर बढ़ाकर उनके आत्म-विकास में सहयोग देना है।
‘किशोरी शक्ति योजना’ इस योजना के माध्यम से मुख्य रूप से किशोरियों को उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण और परिवार कल्याण के प्रति जागरूक बनाया जा रहा है। सरकार का मकसद ये भी है कि बेटियां इस तरह से पलें-बढ़ें कि 18 वर्ष पूरे होने या उसके और बाद भी जब वैवाहिक बंधन में शामिल हों तो वह सामाजिक ताने-बाने को समझने के लिए बेहतर स्थिति में हों।
हर तरह के कौशल में पारंगत और प्रशिक्षित हों इसके लिए राज्य सरकार किशारियों को उनकी शिक्षा, जीवन कौशल, साक्षरता और गणना कौशल के लिए गैर-औपचारिक शिक्षा पर भी फोकस कर रही है। यह सब इसलिए हो रहा है कि उनमें सामाजिक मुद्दों की अधिक समझ विकसित हो सके, जिससे उनके निर्णय लेने की क्षमता बेहतर हो। प्रदेश की जो भी बेटियां हैं, वह हर तरह के कौशल में पारंगत और प्रशिक्षित रहें।
हजारों किशोरियों को मिल चुका है लाभ इन कोशिशों के तहत किशोरियों को विभिन्न तरह की गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़े और वह समाज की एक होनहार सदस्य बन सकें। हरियाणा सरकार की महिला एवं बाल विकास विभाग की एक वेबसाइट के अनुसार अभी तक राज्य में करीब 31 हजार किशोरियों को इस तरह की ट्रेनिंग मुहैया करवाई जा चुकी है।
‘आपकी बेटी, हमारी बेटी’ सिर्फ इतना ही नहीं है कि खट्टर सरकार बेटियों को 18 साल तक की उम्र तक आगे के जीवन के लिए तैयार करके उनके हाल पर छोड़ दे रही है। इसके बाद के लिए एक ‘आपकी बेटी, हमारी बेटी’ नाम की योजना भी है। इस योजना के तहत राज्य सरकार बेटियों के नाम पर एलआईसी में 21,000 रुपए का निवेश करती है।
18 साल पूरे होने पर मिलती है एकमुश्त रकम इसके तहत अनुसूचित जाति और गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों की पहली बेटी के लिए और बाकी सभी जातियों की दूसरी बेटी के लिए इस राशि का निवेश किया जाता है। जब बेटियां 18 साल की हो जाती हैं तो उन्हें एकमुश्त रकम उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के तहत सभी जातियों की तीसरी बेटी को भी कवर किया जाता है।
इस योजना का उद्देश्य बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदलना है, ताकि लिंगानुपात और भी बेहतर हो सके। इसके साथ ही सरकार की कोशिश है कि बच्चियों की शिक्षा बाधित न हो और उन्हें पूरी तरह से सक्रिय और जागरूक नागरिक बनाकर उसी उम्र में शादी के लिए तैयार किया जाए, जो उनकी सेहत और उनके कल्याण के लिए आवश्यक है।