Manipur N Biren Singh Govt: हिंसा प्रभावित मणिपुर की एन बीरेन सिंह सरकार को बड़ा झटका लगा है। एनडीए की सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस ने मणिपुर की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
Manipur N Biren Singh Govt: कुकी और मैतेई समुदाय के बीच तीन महीने से चल छिड़े जातीय संघर्ष के बीच अब मणिपुर की भाजपा सरकार को बड़ा झटका लगा है। राज्य में तीन महीने से जारी हिंसा में अभी तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों गांव खाली हो गए। हजारों लोग राहत कैंपों में विस्थापित जीवन जीने को मजबूर है। राज्य की इस स्थिति के पीछे विपक्षी दल मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की नाकामी को जिम्मेदार बताते हुए उनसे इस्तीफा की मांग कर रहे हैं। इस बीच रविवार को मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह सरकार को बड़ा झटका लगा है। एनडीए की सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस ने मणिपुर की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। सहयोगी पार्टी द्वारा खुद की सरकार पर सवाल उठाए जाने से बीरेन सिंह सरकार अब अतिरिक्त दवाब में है।
राज्यपाल को पत्र लिखकर वापस लिया समर्थन
कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने रविवार (6 अगस्त) को राज्यपाल अनुसुइया उइके को लिखे एक पत्र में समर्थन वापस लेने की घोषणा की। केपीए प्रमुख टोंगमांग हाओकिप ने पत्र में कहा कि मौजूदा टकराव पर लंबा विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए समर्थन जारी रखने का अब कोई मतलब नहीं है।
60 सदस्यीय मणिपुर में केपीए के दो विधायक
केपीए प्रमुख ने आगे कहा कि केपीए मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले रही है। मालूम हो कि मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में कुकी पीपुल्स एलायंस के दो विधायक( सैकुल से के.एच. हांगशिंग और सिंघट से चिनलुंगथांग) हैं। मणिपुर विधानसभा में कुकी-जोमी समुदाय के 10 विधायक हैं, जिनमें से सात बीजेपी के, दो कुकी पीपुल्स एलायंस और एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
बीजेपी सरकार को नहीं होगा कोई खतरा
केपीए ने भले ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया हो लेकिन इससे मणिपुर की बीजेपी सरकार को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है। बीजेपी के पास सबसे ज्यादा 37 सीटें हैं। इसके अलावा पार्टी को पांच एनपीएफ, सात एनपीपी विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में मणिपुर में बीजेपी सरकार को कोई खतरा नहीं है। हालांकि नैतिक रूप से सरकार जरूर सवालों के घेरे में हैं।