सारे नियम कायदे तोड़ पूर्व मुख्यमंत्री ने चहेतों को रिलीज की जमीनें- अभय सिंह चौटाला
इनेलो ने बर्खास्त किए गए बिजली कर्मचारियों की मांगों का किया समर्थन
चंड़ीगढ़ : विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक और पत्र लिख तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा सोनीपत व गुड़गांव में किए दो भूमि घोटालों को लेकर भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ सरकारी पद का दुरुपयोग कर निजी लोगों व बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, भ्रष्टाचार व अमानत में खयानत करने जैसी भारतीय दंड सहिंता की विभिन्न धाराओं 406, 409, 420, 467, 468, 469 व भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराधिक मामला दर्ज कर तुरंत कार्यवाही किए जाने की मंाग की है।
इनेलो नेता ने कहा कि गैर-कानूनी तौर पर भूमि रिलीज करने के ताजा मामले गुडगांव के सेक्टर 16 में शिवदास मल कालड़ा को 1984 में अधिग्रहण की गई जमीन 2005 में रिलीज करने और सोनीपत में 2004 में अधिग्रहण की गई करीब 25 एकड़ जमीन जिसका हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा कब्जा भी ले लिया गया था, को सारे नियम कायदे ताक में रखकर 2007 में रिलीज करने से संबंधित है। नेता प्रतिपक्ष ने आज चंडीगढ़ में एक पत्रकार सम्मेलन कर यह आरोप लगाए। पत्रकार सम्मेलन में पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा, आरएस चौधरी, एमएस मलिक, राम सिंह बराड,़ एनएस मल्हान व प्रवीण आत्रेय भी मौजूद थे। उन्होंने इनेलो द्वारा हुड्डा सरकार के खिलाफ दी गई चार्जशीट पर भी तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अब वे हर पखवाड़े तत्कालीन सरकार के अलग-अलग घोटालों को उजागर करते हुए सबूतों के साथ सीएम को पत्र लिखा करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गुडगांव के सेक्टर 16 में शिवदास मल कालड़ा की एक बीघा 7 बिसबा जमीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा 1984 में अधिग्रहण की गई थी। इस जमीन का हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को 27 जनवरी 1984 को कब्जा भी मिल गया था। इस जमीन के अधिग्रहण को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका 20 नवंबर 1985 को खारिज कर दी गई थी और भू-मालिकों को सर्वोच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली। इसके बावजूद इस बेहद कीमती कमर्शियल भूमि को भूपेंद हुड्डा ने सारे नियम कायदों को तोड़ मुख्यमंत्री बनते ही 24 अगस्त 2005 में रिलीज कर दिया।
इनेलो नेता ने कहा कि इसी तरह सोनीपत में 2004 में अधिग्रहण की गई एक अनधिकृत कलोनी की करीब 25 एकड़ जमीन जिसका हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा कब्जा भी ले लिया गया था, को सारे नियम कायदे ताक में रखकर 16 जनवरी 2007 को सिद्धार्थ सहकारी हाउस बिल्डिंग सोसाइटी को रिलीज कर दिया गया। हालांकि इस जमीन को अधिग्रहण करने के लिए जब धारा 4 की अधिसूचना जारी की गई उस समय कथित सोसाइटी का इस जमीन पर मालिकाना हक भी नहीं था। उन्होंने कहा कि वैसे भी सरकारी नियम कायदों के अनुसार इन जमीनों को रिलीज नहीं किया जा सकता था। विभागीय अधिकारी भी इन जमीनों को रिलीज करने के खिलाफ थे और वे फाइलों पर बार-बार जमीनों को रिलीज न करने की दुहाई देते रहे, इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने अधिकारियों की राय को दरकिनार कर जमीनें रिलीज कर दी।
इनेलो नेता ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि ये मामले भी बिल्कुल वैसे ही हैं और उस फैसले के दृष्टिगत भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ विभिन्न धाराओं के अंतर्गत तुरंत अपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ेके ताजा फैसले से इनेलो के उन आरोपों की भी पुष्टि हो गई है कि हुड्डा सरकार किसानों को उनकी जमीनें सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने का डऱ दिखा कर बिल्डरों के पास कौडिय़ों के दाम में बेचने के लिए विवश करती थी। जब किसान दबाव में आकर अपनी जमीनें बिल्डरों को बेचने के लिए मजबूर हो जाते थे तो उन्हीं जमीनों को बिल्डरों के पास पहुंचते ही न सिर्फ रिलीज कर दिया जाता था, बल्कि उन जमीनों पर प्राइवेट बिल्डरों को लाइसेंस भी दे दिए जाते थे। इनेलो नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार व बिल्डरों के बीच अपवित्र सांठगांठ को कानून का व्यापक दुरुपयोग बताया है।