Raigarh Landslide: रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी गांव में हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 27 तक पहुंच गई है। बचाव अभियान के अधिकारियों ने कहा है कि अभी भी 81 लोगों के लापता होने की आशंका है। भूस्खलन प्रभावित इलाके में शवों से दुर्गंध फैल गई है।
Raigarh Landslide: देश के कई राज्यों में झमाझम बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए है। भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं से काफी नुकसान हो रहा है। महाराष्ट्र के रायगढ़ में हुए भूस्खलन में पूरा का पूरा गांव ही दब गया था। तीन दिनों से यहां लोगों को निकालने का काम चल रहा है। अब तक मलबे से 27 शव बरामद किए जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि अभी 81 लोग लापता है। खराब मौसम की वजह से राहत और बचाव के कार्य में और भी दिक्कत आ रही है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, भूस्खलन प्रभावित इलाके में शवों से दुर्गंध आने लगी है। इसके बाद इरशालवाड़ी और नानीवली गांव में धारा 144 लगा दी गई है।
आज दोबारा शुरू हुआ बचाव अभियान
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के अधिकारियों ने शनिवार रात कहा कि खोज और बचाव अभियान रविवार सुबह से फिर से शुरू कर दिया गया है। NDRF के एक अधिकारी के मुताबिक, दोबारा शुरू हुए खोज एवं बचाव अभियान के बाद अब तक कोई शव बरामद नहीं हुआ है।
खोज और बचाव अभियान में खराब मौसम बना विलेन
राहत और पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार गांव की आबादी 229 थी और वर्तमान में, 98 लोगों को अस्थायी शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। NDRF के डिप्टी कमांडेंट दीपक तिवारी ने कहा कि खराब मौसम के कारण अधिकारियों को बचाव अभियान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
मलबे में दबे शव अब सड़ने भी लगे
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि मलबे में दबे शव अब सड़ने भी लगे हैं। अब जिंदा लोगों को निकालने की कोई उम्मीद नहीं है। फिर भी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच प्रशासन ने भूस्खलन संभावित 6 गांवों के 147 परिवारों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया है।
लैंडस्लाइड में अनाथ हुए बच्चों गोद लेंगे सीएम शिंदे
इस घटना में कई बच्चे अनाथ हो गए, उनके सिर से मां-बाप का साया उठ गया है। उन बच्चों के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा ऐलान किया है। सीएम एकनाथ शिंदे ने यह घोषणा की है कि जिन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है उन्हें गोद लेंगे। 2 से लेकर 14 साल के अनाथ हुए बच्चों की देखभाल श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन की तरफ से की जाएगी।