भारतीय टीम में आना जितना मुश्किल है, इसमें बने रहना उससे भी ज्यादा मुश्किल है. युवाओं के लिए तो ये आसान नहीं ही है, अनुभवी खिलाड़ियों के लिए भी कई बार अपनी जगह बचाने रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
खास तौर पर जब उम्र बढ़ रही हो, करियर ढलान पर हो और टीम में बदलाव का वक्त हो. साथ ही जब एक बार बाहर होकर फिर वापसी हुई हो, फिर तो हर पारी के साथ खुद को साबित करना होता है. अजिंक्य रहाणे की स्थिति भी यही है और यहां वो नाकाम होते दिख रहे हैं.
करीब एक दशक तक टेस्ट क्रिकेट में
भारतीय टीम
के मिडिल ऑर्डर का हिस्सा रहे और टीम के उप-कप्तान रहे अजिंक्य रहाणे को पिछले साल ड्रॉप किया गया था. करीब तीन साल तक औसत प्रदर्शन के बाद जनवरी 2022 में उनकी टीम से छुट्टी हो गई थी. सवा साल तक टीम से बाहर रहने के बाद सीधे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में रहाणे की वापसी हुई थी.
दूसरे टेस्ट में भी फेल रहाणे
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस फाइनल में रहाणे भारत के सबसे सफल बल्लेबाज रहे थे. उन्होंने 89 और 46 रन की पारियां खेली थीं. ऐसे में वेस्टइंडीज दौरे पर उनका चुना जाना तय था. रहाणे का सिर्फ सेलेक्शन नहीं हुआ, बल्कि फिर से उप-कप्तान भी बनाए गए. जिस तरह की लय में रहाणे आईपीएल 2023 और टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में रहाणे थे, उससे वेस्टइंडीज में दमदार प्रदर्शन की उम्मीदें थीं.
रहाणे से सिर्फ उम्मीदें नहीं थीं, बल्कि उन्हें इस दौरे पर अच्छे प्रदर्शन की जरूरत भी थी. दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका. पहले टेस्ट में टीम इंडिया की शानदार शुरुआत के बावजूद एक बेजान पिच और गेंदबाजी के सामने रहाणे सिर्फ 2 रन बनाकर आसानी से आउट हो गए. दूसरे टेस्ट में भी वो कुछ नहीं कर सके और सिर्फ 8 रन बनाकर चलते बने. इस बार तो रहाणे ने क्रीज पर लंबा वक्त भी बिताया था और 36 गेंदों का सामना किया था लेकिन फिर नाकाम रहे.
करियर में लगेगा फाइनल ब्रेक?
पहले टेस्ट में तो सिर्फ एक ही पारी में बैटिंग आई, लेकिन दूसरे टेस्ट में रहाणे दूसरी पारी में मौके की उम्मीद करेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो उनके इंटरनेशनल करियर पर पूर्ण विराम लगना लगभग तय है. इसकी वजह भी साफ है. वेस्टइंडीज सीरीज के बाद टीम इंडिया को फिर से रेड बॉल क्रिकेट में लौटने में पूरे 5 महीने लगेंगे और तब तक रहाणे इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर रहेंगे. ये संभव है कि वो मुंबई के लिए मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी या विजय हजारे वनडे ट्रॉफी में खेलते हुए दिखें लेकिन क्या वो ऐसी फॉर्म में रहेंगे जैसे इस सीरीज से पहले थे?
5 महीने में होगा बड़ा फैसला
इससे भी बड़ा सवाल ये है कि नई पीढ़ी को टीम में लाने के लिए किये जा रहे बदलावों को फिर से रोका जाएगा? अगर ऐसा होता है तो फिर से टीम को नये खिलाड़ियों को मौका देने के लिए और इंतजार करना होगा. ये बात सही है कि साउथ अफ्रीका जैसे मुश्किल स्थान में टीम को रहाणे जैसे बल्लेबाज की जरूरत होगी लेकिन क्या उनके लिए बदलाव की प्रक्रिया को रोकना सही रहेगा?
बीसीसीआई ने अजीत अगरकर के रूप में नये चीफ सेलेक्टर को चुना है. उनका काम सिर्फ एशिया कप, वर्ल्ड कप या अलग-अलग सीरीज के लिए टीम चुनना नहीं है, बल्कि उनके कंधों पर इससे भी बड़ी जिम्मेदारी है और ये है हर फॉर्मेट में धीरे-धीरे नई प्रतिभाओं को लेकर आना और उन्हें मौके देना. ऐसे में रहाणे को इस फेलियर के बाद दोबारा मौके मिलने की उम्मीदें कम ही दिखती हैं.