दिल्ली-एनसीआर में 48 घंटों से दिल्ली में लगातार हो रही बारिश के बीच राजधानी में पूरी तरह से जाम की स्थिति पैदा हो गई है। हर ओर सिर्फ पानी का ही मंजर है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी खतरा बढ़ा रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में पिछले 48 घंटों से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है। मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक में मूसलाधार बारिश से हालात बिगड़ गए हैं। यमुना नदी से पानी का स्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचता जा रहा है। पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश तबाही मचा रही है। इस बीच हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज में पानी का लेवल 3 लाख क्यूसेक के पार पहुंच गया है। सुबह 8 बजे बैराज से करीब 2.79 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया है। ऐसे में पानी के दिल्ली में पहुंचने से स्थिति खराब होने की पूरी गुंजाइश बन सकती है।
खतरे के निशान को पार कर लेगी यमुना
बारिश के बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि मंगलवार सुबह तक यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी। लोहे के पुल के पास खतरे का निशान 204.50 मीटर के करीब है। अगर पानी इससे ऊपर जाता है तो वो खतरे के निशान से ऊपर माना जाता है। हालांकि बारिश की स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार एक्टिव हो गई है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में लगातार हो रही बारिश और उससे उपजे हालात को लेकर मीटिंग निर्धारित की है।
हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जा रहा पानी
पिछले-एनसीआर में 48 घंटों से दिल्ली में लगातार हो रही बारिश के बीच राजधानी में पूरी तरह से जाम की स्थिति पैदा हो गई है। हर ओर सिर्फ पानी का ही मंजर है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी खतरा बढ़ा रहा है। यह पानी दिल्ली आने तक और तांडव मचा सकता है। जाहिर है कि दिल्ली में 1978 और 2010 में यमुना के पानी ने खूब तांडव मचाया था
दिल्ली में 1978 में आई थी भयंकर बाढ़
साल 1978 में राजधानी दिल्ली में भयंकर बाढ़ आई थी। कई निचले इलाके पानी में डूब गए थे। लाखों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर जाना पड़ा था। हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया था। खेतों में लगे सैकड़ों एकड़ फसलें खराब हो गई थीं। जान-माल को व्यापक नुकसान पहुंचा था। 1978 में लोहे का पुल के करीब यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था। इसके बाद 2010 में यमुना का जलस्तर 207.11 मीटर और 2013 में 207.32 मीटर पहुंचा था। उस दौरान भी निचले इलाके पानी में डूब गए थे। 1978 में तो रिहायशी इलाकों में लोगों के घर आधे तक पानी में डूब गए थे। सड़कों पर नाव चल रही थी। इस साल नोएडा में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए थे।
2010 में बढ़ा था यमुना में पानी का स्तर
साल 2010 में यमुना नदी के पानी का स्तर 207.11 तक पहुंच गया था। कई इलाकों में पानी भर गया था। जबकि संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था। कई निचले इलाकों में कई दिनो तक पानी भरा रहने से जलमग्न जैसे हालत थे। दरअसल, 2010 में पानी का स्तर काफी ज्यादा था। इस साल भी दिल्ली के कई इलाके डूब गए थे। हालांकि, एक अच्छी बात ये हुई थी कि सालों से मैली दिल्ली की यमुना बाढ़ के पानी से साफ हो गई थी।
सौ से ज्यादा नावों को अलर्ट पर रखा गया
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने बताया कि अभी तक की स्थिति के अनुसार, कल सुबह तक यमुना में पानी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, अगर बारिश जारी रहेगी तो यमुना में पुराने पुल के नजदीक पानी कल तक खतरे के निशान के ऊपर होगा। उन्होंने बताया कि 100 से ज्यादा नावों को अलर्ट पर रखा गया है। हालात पर पूरी नजर रखी जा रही है। वहीं यमुना के निचले इलाकों में रहने वालों को बोट से निकालने का काम किया जा रहा है।