रोडवेज की दो सेंट्रल वर्कशॉप बंद करने की तैयारी: कुमारी सैलजा
एचआरईसी गुरुग्राम को बंद करने का पहले से चल रहा षड्यंत्र
हरियाणा रोडवेज में हर स्तर पर निजीकरण के चल रहे प्रयास
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की प्रदेश सरकार हरियाणा रोडवेज की दोनों सेंट्रल वर्कशॉप को बंद करने की तैयार कर चुकी है। जबकि, हरियाणा रोडवेज इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचआरईसी) गुरुग्राम को बंद करने का षड्यंत्र काफी पहले ही शुरू किया जा चुका है। राज्य सरकार का मकसद प्रदेश की सुदृढ़ परिवहन सेवाओं का हर स्तर पर निजीकरण करना है, इसलिए ही बसों के परमिट निजी हाथों में देने की कार्रवाई भी समय-समय पर चलती रहती है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि एचआरईसी गुरुग्राम में बसों की बॉडी बनती थी। यहां सिर्फ हरियाणा रोडवेज के लिए ही चेसिज पर बॉडी नहीं बनाई जाती थी, बल्कि अन्य प्रदेशों की सरकार भी अपनी बसों के लिए बॉडी तैयार करती थी। एचआरईसी का नाम और काम इतना अधिक था कि यहां बसों की बॉडी बंधवाने के लिए वेटिंग चलती थी। सारा साल काम वर्क ऑर्डर चलते रहते थे। लेकिन, भाजपा सरकार ने इसे बंद करने के लिए खुद ही चालें चलनी शुरू कर दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह प्रदेश का दुर्भाग्य कहा जाएगा, जो प्रदेश सरकार ने हरियाणा रोडवेज की बसों की बॉडी अपनी वर्कशॉप में बंधवाने के बजाए निजी क्षेत्र की कंपनियों में तैयार करवानी शुरू कर दी। रोडवेज के कर्मचारी व यूनियनें इन बसों की खामियों के बारे में अक्सर बताते रहते हैं। लेकिन, इसके बाद भी भाजपा सरकार की आंख नहीं खुली और अब फिर से नई बसों की बॉडी निजी कंपनियों में बंधवाने की कोशिशें चल रही हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश के करनाल व हिसार जिले में हरियाणा रोडवेज की सेंट्रल वर्कशॉप हैं। इनमें इंजन मरम्मत कार्य, पंप कार्य, टायर रिसोल आदि कार्य होते हैं। दोनों वर्कशॉप में कार्य करने की कुशलता व गुणवत्ता अच्छी है और प्राइवेट कंपनियों से कहीं बेहतर है। लेकिन, इन वर्कशॉप को बंद करने की नीयत से इनके कार्य की समीक्षा करने के लिए कमिटी का गठन किया है, ताकि इसकी रिपोर्ट को आधार बनाकर इन्हें बंद करने का फरमान सुनाया जा सके। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पहले कितनी ही बार निजी लोगों को रूट परमिट दिए जाने का मामला उठता रहा है। बाकायदा पॉलिसी तक में बदलाव कर दिया गया। परिवहन विभाग में चल रहे इन सब कृत्यों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका निजीकरण कभी भी हो सकता है। पहले निजी भागीदारी बढ़ाई जा रही है, ताकि घाटा बताया जा सके। इसके बाद इस घाटे के आधार पर इन्हें सदा के लिए बंद कर दिया जाएगा।