कुछ दशकों पहले तक हार्ट अटैक बुजुर्गों की बीमारी हुआ करती थी, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. कम उम्र में ही लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. यहां तक की अब बच्चों को भी हार्ट अटैक आ रहे हैं.
ताजा मामला गुजरात के राजकोट का है. जहां 15 साल के एक बच्चे को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई. इससे कुछ दिन पहले नवसारी में 17 साल की छात्रा की मौत भी हार्ट अटैक से हुई थी.
ऐसे में यह सवाल उठता है कि इतनी कम उम्र में दिल की बीमारी से मौत क्यों हो रही है? क्या गलत खानपान इसका कारण है या कोई और वजह है ? ये जानने के लिए हमने दिल्ली के राजीव गांधी हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में डॉ. अजित जैन और दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कवलजीत सिंह से बातचीत की है.
जेनेटिक कारणों से बच्चों को हो जाती हैं हार्ट डिजीज
डॉ अजित जैन बताते हैं कि कुछ बच्चे जेनेटिक डिजीज से भी दिल की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. इस बीमारी को फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया कहते हैं. बच्चों को ये बीमारी उनके माता-पिता से मिलती है. जन्म के साथ ही वे इस डिजीज से पीड़ित हो जाते है.
फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से जूझ रहे बच्चों में जन्म के साथ ही ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो जाती है. जैसै जैसे उम्र बढ़ती है तो इस डिजीज में भी इजाफा होने लगता है. बॉडी में कोलेस्ट्रॉल का लेवल लगातार बढ़ता ही रहता है. इसके बढ़ने से हार्ट अटैक आ जाता है.
डॉ जैन बताते हैं कि फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया की बीमारी अगर माता-पिता के जीन में होती है तो ये उनके बच्चों में भी चली जाती है. इससे जन्म के बाद से ही बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं होता, जिससे कम उम्र में ही बच्चे को हार्ट अटैक आ जाता है. ऐसे में हो सकता है कि जिन बच्चों की कहार्ट अटैक से मौत हुई है वे फेमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया बीमारी से पीड़ित हों.
ये होते हैं लक्षण
डॉ जैन के मुताबिक, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के लक्षण बच्चे के शरीर में दिखते भी हैं. इससे पीड़ित बच्चों के हाथ पैरों की नस सख्त हो सकती है. आखों में सफेद रंग के छल्ले बन जाते हैं. अगर बच्चों में ये लक्षण दिख रहे हैं तो उनका इलाज कराना चाहिए. इससे हार्ट अटैक के रिस्क से बचाव किया जा सकता है.
कोविड भी हो सकता है कारण
दिल्ली में एमडी और वरिष्ठ फिजिशियन डॉ कवलजीत सिंह बताते हैं कि इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक आने का कारण जेनेटिक ही होता है, लेकिन कोविड भी इसकी एक वजह हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे भी बड़ी संख्या में कोरोना का शिकार हुए थे. ऐसे में हो सकता है कि कोरोना की वजह से बच्चों की हार्ट आर्टरीज में भी खून के थक्के बन रहे हैं.
इससे ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट हो रही है और हार्ट अटैक आ रहे हैं. हालांकि अभी बच्चों में कोविड के असर को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन बड़ों की तरह बच्चों में भी कोविड हार्ट अटैक आने का कारण हो सकता है.
डॉ सिंह कहते हैं कि कुछ बच्चों को सीएचडी ( क्रोनिक हार्ट डिजीज) की समस्या भी होती है. ये भी जेनेटिक कारणों से होता है. इसका मतलब यह है कि बच्चे के अंदर माता-पिता से हार्ट की बीमारी हुई है और वे जन्म के साथ ही दिल की बीमारियों के साथ पैदा हुआ है. भारत में हर साल कुछ मामले सीएचडी के आते हैं.
इस डिजीज की वजह से हार्ट में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक नहीं होता, जिससे अटैक आ जाता है. कुछ मामलों में बच्चे की मौत भी हो सकती है