महाराष्ट्र में सियासी हलचल के बीच ईडी की कार्रवाई भी सुर्खियों में आ गई। ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के जिन विधायकों को मंत्री पद दिया गया है, उनमें कई लोगों के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई हो रही है। पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने शिवसेना-भाजपा की NDA सरकार का समर्थन करते हुए एक बार फिर उपमुख्यमंत्री बने हैं। अचानक राजभवन पहुंचे भाजपा-शिवसेना और एनसीपी नेताओं को देखने के बाद बड़े सियासी उलटफेर की बात कही गई।
शरद पवार की पार्टी के नेताओं की एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पवार मौन हैं, लेकिन NCP नेताओं के एनडीए के साथ जाने पर विधायकों और नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के बारे में भी चर्चा शुरू हो गई है।
विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले हुए बड़े राजनीतिक उलटफेर के बीच जानना बेहद दिलचस्प है कि अजित पवार के अलावा, छगन भुजबल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल सरकार में मंत्री बने हैं।
अब डिप्टी CM अजित पवार के खिलाफ मामले ‘दागी’ नेताओं में शुरुआत अजित पवार से।
अजित के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच पेंडिंग है। अजित के खिलाफ मामलों की लंबी सूची है। इसमें सहकारी बैंक घोटाला और सिंचाई घोटाला प्रमुख हैं। सहकारी बैंक घोटाला अजित पवार के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से दिए गए लोन में अनियमितताओं के आरोप हैं। इस आधार पर जनहित याचिका (पीआईएल) दायर है।
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की जांच का सामना कर रहे अजित के खिलाफ ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए मामला दर्ज किया। कांग्रेस, राकांपा और अविभाजित शिवसेना के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार में अजित उपमुख्यमंत्री बने। एक साल के भीतर, 2020 में ईओडब्ल्यू ने कहा कि किसी भी आपराधिक गलत काम का कोई सबूत नहीं मिला। ईडी ने 2020 में ईओडब्ल्यू के रुख का विरोध किया था लेकिन उसके हस्तक्षेप को विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर ईओडब्ल्यू केस बंद हो जाता तो ईडी भी जांच जारी नहीं रख सकती थी। इससे पहले कि विशेष अदालत ईओडब्ल्यू की क्लोजर रिपोर्ट पर आदेश पारित करती, जून, 2022 में सरकार बदल गई, अजित को कुर्सी गंवानी पड़ी।राजनीतिक बदलाव के साथ, ईओडब्ल्यू ने अक्टूबर 2022 में अपना रुख बदला।
EOW ने कहा है कि क्लोजर रिपोर्ट को अलग रखते हुए अजित पवार के खिलाफ जांच जारी रखना चाहता है। फिलहाल, ईओडब्ल्यू की जांच जारी है। अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं हुआ है। ईडी ने अप्रैल में आरोप पत्र दायर किया। कुछ कंपनियों में अजित की भूमिका का उल्लेख है, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। हालाँकि, उनसे जुड़ी एक कंपनी को अप्रैल में नामित किया गया। ईडी ने कहा, पवार के रोल की जांच अभी भी जारी है। उन्हें क्लीन चिट नहीं दी गई है। सिंचाई घोटाला जब अजित पवार कांग्रेस-एनसीपी सरकार में जल संसाधन मंत्री थे तो सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितता के आरोप लगे। जनहित याचिकाओं के आधार पर, महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस संबंध में अदालत की निगरानी में जांच शुरू की।
2019 में फडणवीस के साथ अल्पकालिक सरकार बनाने के एक दिन बाद, एसीबी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। बॉम्बे उच्च न्यायालय में रिपोर्ट फाइल की गई। हालांकि, अदालत ने रिपोर्ट को अभी भी स्वीकार नहीं किया है। जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आई तो कुछ बीजेपी नेताओं ने मामले की दोबारा जांच की मांग शुरू कर दी। अब फिर से अजित डिप्टी सीएम बन चुके हैं। देखना होगा इन मामलों का भविष्य क्या होता है। छगन भुजबल; शिवसेना-कांग्रेस में भी रहे जिन 9 एनसीपी विधायकों को महाराष्ट्र के गवर्नर रमेश बैस ने शपथ दिलाई उनमें कई लोगों के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई हो रही है।
कभी शिवसेना और कांग्रेस नेता के साथ-साथ दो बार मुंबई के मेयर रह चुके भुजबल पवार के करीबी नेताओं में एक रहे हैं। जेल भी जा चुके हैं, जमानत हाईकोर्ट से मिली छगन भुजबल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खिलाफ मामला दर्ज कर 2016 में उन्हें अरेस्ट भी किया। 2018 में उन्हें हाईकोर्ट के आदेश पर जमानत मिल गई। हसन मुश्रीफ भी ED की रडार पर CM एकनाथ शिंदे की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने कोल्हापुर के नेता हसन, सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों के कामकाज में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। अदालत में दलील- जानबूझकर फंसाने का प्रयास मुंबई की विशेष अदालत और बॉम्बे हाई कोर्ट में मुश्रीफ ने कहा था कि उनके खिलाफ मामला प्रेरित साजिश है।
उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें ईडी मामलों में शामिल करने का “जानबूझकर प्रयास” किया गया था। बेटों के खिलाफ भी ED की जांच बकौल हसन, हाल के दिनों में ईडी का उपयोग “राजनीतिक प्रतिशोध लेने या तो गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने या राजनीतिक करियर को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए किया जाता है।” उनके तीन बेटों के खिलाफ भी ईडी जांच कर रही है। अग्रिम जमानत याचिकाएं लंबित हैं। 11 जुलाई तक जमानत इसी साल अप्रैल महीने में मुश्रीफ की अग्रिम जमानत याचिका विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने पिछले ही हफ्ते उनकी अंतरिम राहत बढ़ाकर 11 जुलाई तक कर दी।