नई दिल्ली : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे (Delhi Mumbai Expressway) का निर्माण कार्य भारतमाला परियोजना के तहत हो रहा है।
आठ लेन का यह एक्सप्रेसवे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात से होकर जाएगा। इससे राष्ट्रीय राजधानी से देश की वित्तीय राजधानी के बीच यात्रा का समय मौजूदा के 24 घंटे से घटकर आधा यानी 12 घंटे रह जाएगा।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi Mumbai Expressway) पर प्रदूषण कम करने के लिए करीब 10 लाख पौधे लगाए जाएंगे। हाइवे पर लगने वाले खास 5 किस्म के पौधों की खासियत यह है कि यह प्रदूषण कम करेंगे। इसीलिए 1350 किलोमीटर लंबे इस हाइवे को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे भी कहा जा रहा है।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi Mumbai Expressway Route) हरियाणा, गुरुग्राम के राजीव चौक से शुरू होकर सोहना, दौसा, मेवात, जयपुर, कोटा, भोपाल,अहमदाबाद होते हुए मुंबई जाएगा। 1350 किमी लंबे एक्सप्रेस वे शुरू होने के बाद सालाना करीब 320 मिलियन लीटर पेट्रोल की बचत होगी। सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार इस एक्सप्रेसवे से माल ढुलाई करने पर खर्च कम आएगा। इस तरह एक्सप्रेस वे और आसपास पड़ने वाले शहरों में लाजिस्टिक खर्च 8 से 9 फीसदी की बचत होगी।
एक्सप्रेस-वे ज्यादा स्पीड वाले वाहनों के लिए बनाया जा रहा है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ सकते हैं। यह दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे मध्य प्रदेश के तीन जिलों मंदसौर, रतलाम और झाबुआ से गुजरेगा। प्रदेश के इन तीन जिलों में एक्सप्रेस-वे की लंबाई कुल 245 किमी है. 245 किमी में 106 किमी रोड बनकर तैयार है जबकि बाकी नवंबर 2022 तक पूरा होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे परिचालन में आने के बाद केंद्र को हर महीने 1,000 से 1,500 करोड़ रुपये का टोल टैक्स देगा। इस बहुप्रतीक्षित एक्सप्रेसवे के 2023 में परिचालन में आने की उम्मीद है. गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को ‘सोने की खान’ करार दिया है।