Budget 2025: बजट सत्र 2025 की शुरुआत आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। संसद को संबोधित करने के लिए राष्ट्रपति पारंपरिक बग्गी पर संसद भवन पहुचेंगी। 11 बजे राष्ट्रपति मुर्मू का अभिभाषण शुरू होगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी। इसके अलग दिन यानी एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। बजट सत्र के लिए केंद्र सरकार ने 16 बिलों को सूची बना ली है। इसमें वक्फ संशोधन बिल, इमीग्रेशन और फॉरेनर्स बिल समेत वित्तीय मामलों से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिल भी शामिल हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण बजट सत्र से पहले संसद में होने वाला है, जो भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह अभिभाषण सरकार के पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों, आगामी योजनाओं और समग्र राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित होता है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या होता है
राष्ट्रपति का अभिभाषण संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में होता है और यह सरकार की दिशा और प्राथमिकताओं का परिचायक होता है। इसमें राष्ट्रपति आमतौर पर न केवल सरकार के विभिन्न प्रयासों को प्रस्तुत करते हैं, बल्कि राष्ट्र की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का भी संक्षिप्त अवलोकन करते हैं।
सरकार की योजनाएं और नीतियां
राष्ट्रपति अपने अभिभाषण में सरकार के आगामी बजट, नीतियों और योजनाओं को सामने रखते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपने अगले कार्यकाल में किस दिशा में काम करने वाली है।
आर्थिक स्थिति का अवलोकन
अभिभाषण में सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख आर्थिक कदमों का उल्लेख होता है, जैसे जीडीपी वृद्धि, बेरोजगारी दर, महंगाई, कृषि क्षेत्र में सुधार, और अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक पहल।
सामाजिक समावेशन और कल्याण योजनाएं
राष्ट्रपति का भाषण सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, और गरीबों के उत्थान के लिए उठाए गए कदमों को उजागर करता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति
अभिभाषण में सुरक्षा व्यवस्था, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, और विदेश नीति के मामलों पर भी सरकार का दृष्टिकोण साझा किया जाता है।
संवैधानिक मुद्दे
राष्ट्रपति के अभिभाषण में संविधान के महत्व, न्यायपालिका और विधायिका के कार्यों की स्वतंत्रता, और लोकतंत्र की मजबूती पर भी बल दिया जाता है।
बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक
बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। इसमें 36 दलों के 52 नेता शामिल हुए है। बैठक में महाकुंभ मेला का मुद्दा उठाकर विपक्ष ने राजनीतिक पर्यटन और वीवीआईपी व्यवस्था का आरोप लगाया। इसके अलावा विपक्षी दलों ने ने संविधान, आर्थिक स्थिति, रोजगार, मणिपुर, रुपए में गिरावट जैसे मुद्दे पर संसद सत्र में चर्चा की मांग की।