नई दिल्ली : इस साल दिसंबर तक देशभर के पुलिस बल एक अद्वितीय ‘रियल टाइम’ (वास्तविक समय) आपराधिक पहचान प्रणाली – राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (एनएएफआईएस) का लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यह देश में 80 लाख से अधिक अपराधियों की उंगलियों के निशान और उन्हें पहचानने के लिए एक मजबूत वेब-आधारित प्रणाली होगी।
केंद्र सरकार की लंबे समय से लंबित परियोजना को लागू करने के लिए लगभग सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे हैं, जो उनकी उंगलियों के निशान के आधार पर अपराधियों की पहचान करने में मदद करेंगे। नवंबर के अंत तक कुछ लंबित कार्य पूरे हो जाएंगे। इस संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि ‘जिला और आयुक्तालय’ स्तर के लिए एक फिंगर प्रिंट मशीन के कुछ लंबित कार्यों के पूरा होने के बाद एनएएफआईएस को इस साल दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा, जो कि अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेने में मदद करेगा।
हालांकि अधिकारी ने किसी विशेष तारीख का खुलासा नहीं किया, उन्होंने कहा कि परियोजना दिसंबर के तीसरे सप्ताह से पहले शुरू की जा सकती है। अमेरिका में फेडरल जांच ब्यूरो (एफबीआई) के एकीकृत स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (आईएएफआईएस) की तर्ज पर एनसीआरबी इस प्रणाली की मेजबानी कर रहा है। एनसीआरबी एनएएफआईएस केंद्र में प्रत्येक राज्य के लिए अलग स्थान आवंटित करेगा। प्रत्येक राज्य का उनके डेटा पर पूरा नियंत्रण होगा, जबकि अन्य राज्यों को केवल इसे रीड करने की अनुमति दी जाएगी।
उन राज्यों के लिए प्रावधान किए जाएंगे, जिनके पास पहले से ही एएफआईएस है। एनएएफआईएस एनसीआरबी में स्थापित किया जाएगा और अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) कनेक्टिविटी का उपयोग सभी उपयोगकर्ताओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया जाएगा। एनसीएफआई के निदेशक रामफल पवार ने आईएएनएस को बताया, “एनएएफआईएस राज्यों में अपराध के प्रतिमानों को बदलने और राज्यों में पुलिस विभाग के साथ संवाद करने की क्षमता बढ़ाएगा।”
पवार ने कहा, “एनसीएफआईएस एनसीआरबी के साथ साझेदारी में एक गेम-चेंजर साबित होगा।”
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी उंगलियों के निशान के महत्व पर जोर दिया है। रेड्डी ने कहा कि फिंगरप्रिंट एक विशिष्ट उपकरण है, क्योंकि इसकी विशिष्टता, स्थायित्व, व्यक्तित्व और अधिग्रहण में आसानी है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड और फिंगरप्रिंट डेटा का डिजिटलीकरण अपराध और अपराधियों की पहचान करने और उन पर नजर रखने के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम है।