कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार द्वारा 84 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर एक साल के लिए प्रति यूनिट 47 पैसा फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट के नाम पर बिजली दरें बढ़ाने को प्रदेश की गरीब जनता की जेब पर डकैती करार दिया है। उन्होंने कहा कि साम, दाम, दंड, भेद के दम पर हरियाणा की सत्ता हथियाने वाली भाजपा का मन इस खुशहाल प्रदेश की दो तिहाई जनता को गरीबी रेखा के नीचे धकेलने से भी नहीं भरा, और अब वह प्रदेश के लोगों की जेब काटकर बदला ले रही है।
सुरजेवाला ने यहाँ जारी एक बयान में कहा कि चुनाव से पहले बिजली निगमों को लाभ में बताकर उनका बिजली मीटर शुल्क हटा लिया था। ऐसे में चुनाव के तत्काल बाद 84 लाख उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट 47 पैसे FSA के नाम पर बिजली दरें बढ़ाना डकैती नहीं तो और क्या है। उन्होंने कहा कि यह FSA 200 यूनिट से अधिक बिजली उपयोग करने वाले हरेक उपभोक्ता को 47 पैसे प्रति यूनिट की दर से देना होगा, यानी 201 यूनिट इस्तेमाल करने वाले हर बिजली उपभोक्ता को 94.47 रुपये हर महीने अधिक देने होंगे। 300 यूनिट बिजली खपत करने वाले बिजली उपभोक्ता को अब 141 रुपये हर महीने अतिरिक्त देने होंगे।
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने 2023 में ही FSA के नाम पर यह लूट शुरू की थी, तब से लगातार दूसरी बार चुनाव होते ही इसकी वसूली बढ़ा दी है। इससे हरेक घरेलू और कमर्शियल कनेक्शनधारी को हर महीने सैकड़ों रुपये का अतिरिक्त भार झेलना होगा। बयान के साथ सरकारी आदेश की प्रति संलग्न करते हुए उन्होंने कहा कि FSA की यह वसूली जनवरी 2025 से मार्च 2026, यानी 1 साल 2 महीने तक जारी रखने के तुगलकी आदेश जारी किए गए।
रणदीप ने कहा कि चुनाव से पहले दोनों बिजली निगमों को घाटे से उबरने के दावे करने वाली भाजपा सरकार यह क्यों नहीं बताती कि उसने तब लोगों को गुमराह करके वोट हथियाने की साजिश की थी। उन्होंने कहा कि हकीकत में प्रदेश के दोनों बिजली निगम 12,766 करोड़ के भारी भरकम घाटे में है और इनकी वसूली तीसरी बार सत्ता हथियाने वाली भाजपा की सैनी सरकार आम आदमी से ही करेगी। यह भाजपा का झूठ बोलकर वोट हथियाने और सत्ता आते ही वोटरों की जेब पर डकैती का पुराना मॉडल है।
रणदीप ने कहा कि प्रदेश के 84 लाख गरीब उपभोक्ताओं पर FSA थोपने का यह फैसला पहले ही महंगाई की मार और आय में निरंतर कमी झेल रहे प्रदेश के 84 लाख बिजली उपभोक्ताओं के लिए कोढ़ में खाज का काम करेगा। यदि सरकार को गरीब आदमी की मामूली सी भी चिंता है, तो उसे तत्काल FSA के नाम पर बिजली दरों की बढ़ोत्तरी थोपने का फैसला वापस लेना चाहिए। जनता अपनी जेब पर यह डकैती कभी स्वीकार नहीं करेगी।