मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा के निधन की खबर से प्रदेश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। संत सियाराम बाबा का निधन 11 दिसंबर 2024 को हुआ। वह 116 वर्ष की आयु में नर्मदा नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में अंतिम समय तक सक्रिय थे।
बुधवार सुबह 6:10 बजे, मोक्षदा एकादशी के पवित्र दिन उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया। उनके निधन पर मध्य प्रदेश के कैबिनेट और ग्रामीण विकास पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि संत सियाराम बाबा का जीवन सदैव प्रेरणादायक रहेगा।
उन्होंने कहा, “मां नर्मदा के घाट पर तपोमूर्ति साधकों के साक्षात स्वरूप के दर्शन के लिए संत सियाराम बाबा को श्रद्धेय माना जाता है। उनका जीवन शतायु, निरंतर समभाव और सेवा की अद्भुत मिसाल था। शत शत नमन।”
संत सियाराम बाबा का जीवन और तपस्या
संत सियाराम बाबा का असली नाम कोई नहीं जानता, क्योंकि उन्होंने अपनी पहचान को हमेशा अपने तप और साधना में खो दिया था। वह 1933 से नर्मदा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे। बाबा ने करीब 10 साल तक खड़े होकर मौन तपस्या की थी, जो उनके अनुयायियों के लिए एक बड़ा आदर्श बन गया था। वह 70 साल से रामचरित मानस का पाठ भी कर रहे थे और यह पाठ उन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया था। संत सियाराम बाबा का जीवन त्याग, तपस्या और समर्पण का प्रतीक रहा, जिसके कारण उन्होंने न केवल अपने अनुयायियों के दिलों में स्थान पाया, बल्कि समाज में भी उन्हें एक संत के रूप में श्रद्धा की दृष्टि से देखा गया।
स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और चिकित्सा देखभाल
संत सियाराम बाबा पिछले 10 दिन से निमोनिया से पीड़ित थे। उनके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए डॉक्टरों की एक टीम 24 घंटे तैनात थी। कसरावद ब्लॉक के बीएमओ डॉ. संतोष बडोले ने बताया कि बाबा के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था। एक दिन पहले बाबा को सलाईन भी दी गई थी और उन्हें ऑक्सीजन भी दी जा रही थी। उनकी पल्स और बीपी सामान्य थे, लेकिन बुधवार की सुबह अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। उन्होंने हिचकी ली और फिर उनकी पल्स रुक गई। डॉक्टरों ने तत्काल उनका इलाज शुरू किया, लेकिन उनकी जीवन रेखा को कायम नहीं रख सके।