पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने धार्मिक कदाचार के मामले में सजा सुनाई है। अकाल तख्त के आदेश के मुताबिक, उन्हें स्वर्ण मंदिर में शौचालय और गंदे बर्तन साफ करने होंगे। यह फैसला अकाली सरकार के दौरान डेरा प्रमुख राम रहीम को माफ करने के मामले में खुद की संलिप्तता स्वीकार करने के बाद आया है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल की कार्यसमिति को निर्देश दिया है कि वे तीन दिन के भीतर बादल का इस्तीफा स्वीकार करें। उन्हें अकाल तख्त साहिब को रिपोर्ट भी करनी होगी। इसके अलावा, उन्हें सदस्यता अभियान शुरू करने और छह महीने के भीतर नया अध्यक्ष चुनने का काम भी सौंपा गया है।
धार्मिक कदाचार के आरोप
दो महीने पहले सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने ‘तन्खैया’ यानी धार्मिक दुराचार का दोषी घोषित किया था। यह घोषणा अकाल तख्त पर पांच सिंह साहिबानों की बैठक के बाद की गई। बैठक में बादल और शिरोमणि अकाली दल सरकार के अन्य कैबिनेट सदस्यों के खिलाफ आरोपों पर चर्चा की गई। ये आरोप उनके कार्यकाल के दौरान की गई कार्रवाइयों से जुड़े हैं, खास तौर पर डेरा प्रमुख राम रहीम को माफ़ी दिए जाने के मामले में। इस माफ़ी से धार्मिक हलकों में काफ़ी विवाद और विरोध हुआ था।
शिरोमणि अकाली दल के लिए परिणाम शिरोमणि अकाली दल को अब अकाल तख्त के निर्देशानुसार आंतरिक पुनर्गठन का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी की कार्यसमिति पर इन निर्देशों का तेजी से पालन करने का दबाव है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित समय सीमा के भीतर एक नया नेतृत्व ढांचा स्थापित हो जाए।
यह स्थिति धार्मिक भावनाओं के मामले में राजनीतिक संस्थाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करती है। यह पंजाब के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में राजनीतिक निर्णयों और धार्मिक अपेक्षाओं के बीच नाजुक संतुलन को उजागर करता है।