दिल्ली ब्रेकिंग
*CWC की बैठक में उठा चुनावी हार, आपसी गुटबाजी और संगठन का मसला।*
कई राज्यों में हमारा संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है।
सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूँ कि आपसी एकता की कमी और एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है। जब तक हम एक हो कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?
National issues और National Leaders के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे?
हाल के चुनावी नतीजों का संकेत यह भी है कि हमें राज्यों में अपनी चुनाव की तैयारी कम से कम 1 साल पहले शुरू कर देनी चाहिए। हमारी teams समय से पहले मैदान में मौजूद रहनी चाहिए। पहला काम मतदाता सूचियों की जाँच करनी चाहिए ताकि हमारे पक्ष वालों के वोट हर हालत में सूची में बने रहें।
. हमें हर हालत में चुनाव लड़ने के तरीकों को बेहतर बनाना होगा। क्योंकि समय बदल गया है। चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए है। हमे अपनी Micro-communication strategy को विरोधियों से बेहतर करना होगा। Propaganda और misinformation से लड़ने के तरीक़े भी ढूँढने होंगे। पिछले परिणाम से सबक लेकर हमें आगे बढ़ना होगा। खामियों को दूर करना है। आत्मविश्वास के साथ कड़े निर्णय लेने होंगे।
लोक सभा चुनाव में उत्साह भरे नतीजों को हासिल करने के बाद विधान सभा के चुनावों में हमें धक्का लगा है। इसीलिए हमें कठोर निर्णय लेने होंगे।