ब्राजील की विमान निर्माता कंपनी एम्ब्रेयर भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को अपना सी-390 मिलेनियम मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बेचकर भारत के साथ बहुत बड़ी डील करना चाह रहा है और यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी खबरें हैं कि ब्राजील अपनी वायु सेना के लिए भारत में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस खरीदने पर विचार कर रहा है।
दोनों देश डिफेंस सेक्टर में बड़ी छलांग लगा रहे हैं। जिंदल डिफेंस के साथ ब्राजील की टॉरस आर्मस का सहयोग, बढ़ते डिफेंस रिलेशन का एक बड़ा उदाहरण है। दोनों कंपनियों ने 51:49 इक्विटी अनुपात के साथ छोटे हथियारों की अलग अलग रेंज के निर्माण के लिए सहयोग किया है। उत्तर भारत में हिसार सुविधा में बनने वाले छोटे हथियार का ब्रांड नाम “जे डी टॉरस” होगा।
भारत और ब्राजील में होगी अहम डिफेंस डील?
भारतीय डिफेंस डेलिगेशन साओ जोस डॉस कैम्पोस में डिफेंस इंडस्ट्री को लेकर ब्राजील-भारत वार्ता (DID) के लिए 8 और 9 दिसंबर को ब्राजील की यात्रा करेगा। इस वार्ता में एम्ब्रेयर, ब्राजील के रक्षा मंत्रालय और ब्राजील सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिसके दौरान अरबों डॉलर के समझौते हो सकते हैं।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने रियो में हाल ही में खत्म हुए G-20 शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी चर्चा में डिफेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी और एयरोस्पेस सहित कई रणनीतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने की ब्राजील की इच्छा व्यक्त की। उनके एजेंडे में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए सहयोग की संभावना तलाशना शामिल होगा। ब्राजील, लैटिन अमेरिकी देशों के लिए हथियार प्रणालियों के निर्माण के लिए भारत के साथ संयुक्त उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए दिलचस्पी रखता है। छोटे हथियारों के बाद, यह अपने सी-390 को भारतीय वायुसेना के मध्यम परिवहन विमान (MTA) के लिए टेंडर पेश कर रहा है, ताकि भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके An-32 के बेड़े की जगह ले सके।
क्या ब्राजील से C-390 विमान खरीदेगा भारत?
मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है, कि भारत डिफेंस सर्किल में स्थानीय सह-उत्पादन के साथ सी-390 खरीदने का सौदा विचाराधीन है। बदले में, सरकार-से-सरकार समझौते में, ब्राजील, भारत में डिजाइन और निर्मित तेजस लड़ाकू विमान के लेटेस्ट वेरिएंट का ग्राहक बन सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिकस तेजस का एक नौसैनिक वेरिएंट भी है, जो ब्राजील की नौसेना की विमानन शाखा का हिस्सा बन सकता है, जो इसके A-4K/KU Skyhawks की जगह ले सकता है। वर्तमान में ब्राजील में मौजूद एकमात्र भारतीय कंपनी यूपी-आधारित एमकेयू कंपनी है। एमकेयू कुछ वर्षों से ब्राजील में है और उसने संघीय पुलिस, सैन्य पुलिस और सेना के साथ डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल किए हैं।
इसके अलावा, ब्राजील विशेष रूप से उन देशों का स्कॉर्पीन क्लब बनाना चाहता है, जो पनडुब्बियों का उत्पादन और संचालन करते हैं, ताकि टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान किया जा सके। भारत भी स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का संचालन करता है, लिहाजा ब्राजील में पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए माज़गॉन डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के लिए एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जा सकता है। ब्राजील अपनी पहली परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी, अल्वारो अल्बर्टो विकसित कर रहा है। ब्राजील और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में बनाई गई पनडुब्बी के 2029 में लॉन्च होने की उम्मीद है। और यह पनडुब्बी ब्रह्मोस-एनजी सिस्टम से लैस हो सकती है। ब्राजील के नए ग्रिपेन विमान के लिए ब्रह्मोस-एनजी एक जबरदस्त विकल्प हो सकता है, जो इसे एक एडवांस स्ट्राइक क्षमता प्रदान करता है जो इसकी आधुनिक वायु सेना के लिए परेफेक्ट साबित होगा। 2024 की शुरुआत में ब्राजील के डिफेंस प्रोडक्ट्स के सचिव मेजर-ब्रिगेडियर रुई चागास मेस्किटा ने कहा था, कि “जब हम भारत को देखते हैं, तो हम एक साथ काम करना चाहते हैं ताकि हम संयुक्त रूप से तैयार उत्पादों को भी विकसित कर सकें और लैटिन अमेरिकी बाजार में इन आम तौर पर विकसित उत्पादों को बेचने के लिए ब्राजील को एक केंद्र के रूप में उपयोग कर सकें।” लैटिन अमेरिका के रक्षा बाजार का आकार 2024 में 1.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और 2029 तक 1.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, लिहाजा भारत की नजर इस बाजार पर है।
इंडियन एयरफोर्स के लिए C-390
ब्राजील, इंडियन एयरफोर्स को अपना मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट कैरियर बेचना चाहता है और इसके लिए उसे टेंडर को आगे बढ़ाया है। ब्राजील की फर्म एम्ब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी और भारतीय कंपनी महिंद्रा ने भारत में C-390 मिलेनियम मल्टी-मिशन विमान बनाने के लिए हाथ मिलाया है। भारतीय वायुसेना, भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत 40-80 विमानों को अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है। अगर ये सौदा होता है, तो इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में भी इस विमान का निर्माण लाइन बनाना शामिल हो सकता है, क्योंकि मौजूदा समय में भारत जो भी डिफेंस डील करता है, उसमें भारत में निर्माण की शर्त सबसे अहम होती है। C-390 मिलेनियम एक मल्टी-मिशन, ट्विन-इंजन, जेट-संचालित, सामरिक परिवहन विमान है। यह 2019 में ब्राजीलियाई वायु सेना में शामिल हुआ था। और एम्ब्रेयर को उम्मीद है, कि एमटीए डील भारत में नागरिक विमानों के संयुक्त निर्माण के लिए रास्ता खोलेंगी। ब्राजील के वायु सेना प्रमुख ने कहा है, कि C-390 पांच साल से ब्राजीलियन वायुसेना के साथ ऑपरेशन में है और इसने 15,000 घंटे उड़ान भरी है। उन्होंने कहा, कि “C-130 (अपनी मजबूती के लिए मशहूर अमेरिकी विमान) की तुलना में C-390 ज्यादा तेज है और कम से कम उतना ही भार उठा सकता है। हम इसे भारत को ऑफर कर रहे हैं और महिंद्रा के साथ एमओयू पहले ही हो चुका है। अब तक इसकी सर्विसेबिलिटी का स्तर 97 प्रतिशत से ज्यादा है।”
ब्राजील खरीदेगा आकाश मिसाइल
भारतीय “आयरन-डोम” माने जाने वाली आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) ब्राजील से ऑर्डर हासिल करने की रेस में है। भले ही चीन अपने स्काई ड्रैगन 50 को ब्राजील को बेचने की ख्वाहिश रखता है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि ब्राजील के शीर्ष अधिकारी आकाश मिसाइलों के लिए सरकार-से-सरकार सौदे पर जोर दे रहे हैं। ब्राजील के सैन्य प्रमुख जनरल टॉमस मिगुएल माइन रिबेरो पाइवा ने आकाश एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम हासिल करने के लिए भारत के साथ “सरकार-से-सरकार” समझौते का सुझाव दिया है। कई डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है, कि भारत के लिए सौदा आसान है, क्योंकि भारत तभी ब्राजीलियन विमान खरीदेगा, जब ब्राजील भारत से फाइटर जेट और मिसाइल का सौदा करेगा, अन्यथा भारत के पास कई ऑप्शन हैं। आकाश सिस्टम, 4 से 25 किलोमीटर की दूरी के बीच उड़ने वाले हेलीकॉप्टरों, लड़ाकू विमानों और यूएवी को प्रभावी ढंग से निशाना बना सकती है। यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है और लक्ष्य का पता लगाने से लेकर मार गिराने तक, इसका रिस्पांस टाइम काफी कम है। यह एक ही फायरिंग यूनिट का उपयोग करके कमांड गाइडेंस द्वारा 25 किलोमीटर की दूरी पर एक साथ चार हवाई लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।