नेशनल डेस्क. पेंशनरों के डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को देशव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाण (DLC) अभियान 3.0 की शुरुआत की।
यह अभियान पेंशनरों को उनके घरों से या पेंशन वितरण केंद्रों पर जाकर डिजिटल जीवन प्रमाण (जीवन प्रमाण पत्र) जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा। यह जानकारी PIB के एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल सशक्तिकरण के विजन के तहत यह पहल 1 से 30 नवंबर 2024 तक चलेगी और यह भारत के 800 शहरों व कस्बों को कवर करेगी।
डीएलसी अभियान 3.0 2014 में शुरू किए गए सफल जीवन प्रमाण पहल का विस्तार है। अब तक का सबसे बड़ा अभियान होगा। इसमें 1.8 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवक (ग्रामीन डाक सेवक) और 1,100 नोडल अधिकारियों की भागीदारी होगी। कुल मिलाकर 1,900 कैंप देशभर में 19 पेंशन वितरण बैंकों, 57 पेंशन कल्याण संगठनों, CGDA, IPPB और UIDAI द्वारा स्थापित किए जाएंगे, जो इस अभियान को पूरा सरकारी दृष्टिकोण से लागू करेंगे।
इस अभियान का उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के पेंशनर्स, EPFO और स्वायत्त निकायों के पेंशनरों को डिजिटल या डोर-टू-डोर सेवा के माध्यम से अपना डिजिटल जीवन प्रमाण जमा करने की सुविधा देना है। सुपर सीनियर पेंशनरों के लिए विशेष डोर-टू-डोर सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि उनके लिए यह प्रक्रिया और भी सरल हो सके।
जितेंद्र सिंह ने इस अभियान के उद्देश्य पर जोर देते हुए कहा कि यह पेंशनरों के लिए जीवन प्रमाण जमा करने का एक सरल, पारदर्शी और समावेशी तरीका प्रदान करेगा, जिससे कोई भी पेंशनर छूटेगा नहीं। इस डिजिटल पहल से पेंशनर्स अपनी जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन, पेंशन वितरण बैंकों या IPPB केंद्रों के माध्यम से जमा कर सकेंगे। इसके अलावा 2021 में शुरू की गई फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक भी इस अभियान में शामिल की गई है, जिससे पेंशनरों को अपने आप को रिमोटली प्रमाणित करने में अतिरिक्त सुविधा मिलेगी। यह पहल DLC अभियान 1.0 और 2.0 की सफलता पर आधारित है, जिसमें 2023 में 1.47 करोड़ जीवन प्रमाण पत्र जनरेट किए गए थे। इस अभियान में 597 स्थानों और 100 शहरों की भागीदारी थी।
जितेंद्र सिंह ने आगे कहा- प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण पेंशनरों की भलाई को डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से सुधारना है। जीवन प्रमाण 2014 में शुरू किया गया था और अब इसे फेस ऑथेंटिकेशन जैसी सुविधाओं के साथ और भी उपयोगकर्ता-अनुकूल बना दिया गया है। पेंशनरों को जागरूक करने के लिए DPPW (पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग) ने एक व्यापक प्रचार कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें सोशल मीडिया अभियान, टीवी, रेडियो जिंगल्स और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
जो पेंशनर डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच नहीं पा रहे हैं, उनके लिए वैकल्पिक गैर-डिजिटल तरीके उपलब्ध रहेंगे। पेंशनर अब भी पारंपरिक तरीकों से अपने प्रमाण पत्र पेंशन कार्यालयों या पोस्ट ऑफिसों में जाकर जमा कर सकते हैं।
जितेंद्र सिंह ने पेंशनरों से प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया देने की अपील की, यह कहते हुए कि DLC अभियान 3.0 को वास्तविक समय के डेटा और उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर विकसित किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यह प्रणाली सभी के लिए सुलभ और प्रभावी बनी रहे। पेंशनर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया, हेल्पलाइंस या पेंशन कल्याण संगठनों (PWAs) के माध्यम से दे सकते हैं।
कई पक्षकारों की भागीदारी और समन्वित प्रयासों के साथ DLC अभियान 3.0 पेंशनरों के लिए अब तक की सबसे व्यापक और सुलभ पहल बनकर सामने आएगा, जो भारत के वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाओं को अधिक समावेशी और प्रभावी बनाएगा।