जमीअत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधि मंडल ने अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अगुवाई में सोमवार को वक्फ संशोधन बिल 2024 पर अपने विचार और सुझाव पेश करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के साथ बैठक की.
ये बैठक सुबह 11 बजे से दोपहर तक संसद भवन एनेक्सी के मुख्य समिति कक्ष में हुई. इस बैठक में कई बड़े लोगों ने भाग लिया. जिसमें प्रतिनिधि मंडल ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर कई महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत कीं.
बैठक में जमीअत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रऊफ रहीम ने विधेयक के संवैधानिक पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया. बैठक में भाग लेने वालों में सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी अकरामुल जब्बार खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, जमीयत उलेमा-ए के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी शामिल थे.
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने किया बिल का विरोध
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने जेपीसी में वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया. वहीं वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक का सभी विपक्षी सांसदों ने बहिष्कार किया. विपक्षी सांसद कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मणिप्पाडी की बातों से नाराज थे. विपक्षी सांसदों का आरोप है कि अनवर जेपीसी की मीटिंग में वक्फ संशोधन बिल पर नहीं बल्कि दूसरे मुद्दों पर बात कर रहे थे.
विपक्षी सांसदों ने किया बैठक का बहिष्कार
वहीं वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का विपक्षी सांसदों ने सोमवार को बहिष्कार किया. इस दौरान सदस्यों ने आरोप लगाया कि कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी की बैठक में राय वक्फ विधेयक के बारे में नहीं थी. उनका कहना था कि अनवर कर्नाटक सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर अनावश्यक आरोप लगा रहे हैं, जो समिति के अनुरूप नहीं है और स्वीकार्य नहीं है.
वहीं इस बैठक को लेकर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत का कहना है कि उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया है क्योंकि समिति सिद्धांतों के साथ काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि नैतिक और सैद्धांतिक रूप से वे गलत हैं. इसके साथ ही विपक्षी सांसदों ने वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के बारे में अपनी सभी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने का फैसला किया है