Haryana Election Result 2024: कांग्रेस ने इस साल लोकसभा चुनावों में हरियाणा के ‘जाटलैंड’ में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन, विधानसभा चुनावों में उसके हाथों से यह दबदबा निकल चुका है।
बीजेपी ने उन सीटों पर भी कांग्रेस को पटखनी दे दी है, जहां कांग्रेस अपनी जीत पक्की समझकर चल रही थी।
‘जाटलैंड’ का ऐसा परिणाम आया है, जो बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को चौंका रहा है। जैसे जींद जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें से चार सीटों- जींद, सफीदों, उचाना कलां और नरवाना पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है।
किसान आंदोलन के गढ़ में भी खिला ‘कमल’
कांग्रेस के लिए यह इसलिए और भी बड़ी चुनावी चपत है कि जींद इलाके में किसान आंदोलन का बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ा था और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने इसका भरपूर फायदा भी उठाया था।
Haryana Result: कैसे कट्टर-विरोधियों ने एक होकर BJP के पक्ष में बदली तस्वीर, 6 में से 5 सीटों पर दिलाई जीत
2024 के लोकसभा चुनावों में जींद विधानसभा सीट पर कांग्रेस करीब 3,100 वोटों से पिछड़ी थी। लेकिन, इसबार बीजेपी को यहां 16,205 वोटों से जीत मिली है। सफीदों सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार 5,100 से पिछड़े थे, लेकिन विधानसभा चुनावों में बाहरी होने के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी को 4,037 वोटों से जीत मिली है।
‘जाटलैंड’ वाली सीटों पर भी लहराया भाजपा का परचम
इसी तरह सोनीपत लोकसभा सीट के तहत आने वाली जुलाना विधानसभा सीट में तब कांग्रेस को 24,000 वोटों से बढ़त मिली थी। लेकिन, इस बार विनेश फोगाट सिर्फ 6,015 वोटों से ही जीती हैं।
लोकसभा चुनाव में हिसार सीट के तहत आने वाली उचाना कलां में कांग्रेस प्रत्याशी जय प्रकाश को करीब 38,000 वोटों की बढ़त मिली थी। लेकिन, बीजेपी के देवेंद्र अत्री ने कांग्रेस को विधासभा चुनाव में 32 वोट से हराया है।
किसान आंदोलन और जाट राजनीति भी क्यों नहीं आया कांग्रेस के नाम?
सिरसा लोकसभा सीट के अंदर आने वाली नरवाना सीट पर कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने लगभग 14,000 से बढ़त बनाई थी। लेकिन, असेंबली इलेक्शन में बीजेपी के कृष्ण बेदी 11,742 वोटों से जीते हैं।
नरवाना सीट पर किसानों और जाटों का दबदबा रहा है। लेकिन, न सिर्फ बीजेपी यहां पहली बार जीती है, बल्कि किसान आंदोलन या जाट राजनीति का यहां कोई खास प्रभाव भी नजर नहीं आया है।
दिग्गज जाट नेताओं को भी वोटरों ने सिखाई सबक
जबकि, किसान आंदोलन चरम पर था तो उचाना कलां उसका केंद्र बना हुआ था। जेजेपी के दुष्यंत चौटाला उस समय आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़े नहीं हुए थे और उन्हें न सिर्फ जमानत गंवानी पड़ी है, बल्कि उन्हें सिर्फ 7,950 वोट मिले हैं।
इसी तरह के हिसार के तत्कालीन भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने किसान आंदोलन के दौरान ही कृषि कानूनों के पक्ष में एक रैली की थी। इस चुनाव में मतदाताओं ने उनके और चौटाला दोनों ही परिवारों को पुरी तरह से खारिज कर दिया है।
जबकि, इसके ठीक उलट बीजेपी ने यहां अपनी धाक जमा ली है और जाट बहुल सीटों पर भी धमाकेदार जीत दर्ज करके कांग्रेस को सियासी तौर पर बहुत ही बड़ा झटका दिया है।