विवादों के बीच मंत्री अशोक चौधरी (56 साल) का बिहार की नीतीश सरकार ने प्रमोशन कर दिया है. चौधरी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद नीतीश कुमार हैं.
यह फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब सालभर बाद ही बिहार में विधानसभा चुनाव हैं और दो दिन पहले ही चौधरी का ‘बढ़ती उम्र’ पर एक कविता का ट्वीट चर्चा में आया था.
फिलहाल, नई जिम्मेदारी दिए जाने से चौधरी का सरकार के साथ-साथ संगठन में भी दबदबा और दखल बढ़ गया है और ऐसा पहली बार नहीं है, जब नीतीश ने चुनाव से ऐन पहले चौधरी को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की जरूरत समझी है. 2020 के चुनाव के वक्त जेडीयू ने चौधरी को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व सौंपा था.
बिहार में दलितों को साधने की कवायद
चौधरी महादलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और बिहार में 19.65 फीसदी दलित वोटर्स हैं. संदेश साफ है कि जेडीयू ने ना सिर्फ राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है, बल्कि एक बड़े वर्ग को साधने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम कर रही है.
दो दिन पहले नीतीश से डेढ़ घंटे की मुलाकात हुई थी
अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. वे नीतीश सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग में मंत्री हैं. दो दिन पहले ही चौधरी ने सीएम आवास में नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. ये बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली थी. सीएम आवास से बाहर आकर चौधरी ने कहा था, नीतीश को मैं मानस पिता मानता हूं. जितना प्यार मुझे नीतीश से मिला, उतना किसी को नहीं मिला होगा. कुछ लोग चाहते हैं कि मैं नीतीश कुमार से दूर हो जाऊं. अपनी-अपनी सोच है. किसी को गिलास आधा खाली दिखता है. हमारा लक्ष्य 2025 का चुनाव है.
बिहार में क्या है अशोक चौधरी की ताकत?
अशोक चौधरी जेडीयू में आने से पहले बिहार कांग्रेस के चार साल से ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहे हैं. वे राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते थे. हालांकि, 1 मार्च 2018 को चौधरी ने कांग्रेस छोड़ दी. उसके बाद वे जेडीयू का हिस्सा बन गए. नीतीश ने उन्हें जेडीयू में एंट्री दिलाई और अपनी कैबिनेट में शामिल किया. चौधरी दो बार के विधायक हैं. 2014 से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. वे 2005 में पहली बार बारबीघा सीट से चुनाव जीते. 2005 में भी उन्होंने जीत हासिल की. हालांकि, 2010 का चुनाव हार गए थे.
अशोक की बेटी लोजपा से सांसद
अशोक चौधरी की बेटी शांभवी हाल ही में राजनीति में आईं हैं. शांभवी ने नीतीश के धुर विरोधी चिराग पासवान की लोजपा (R) जॉइन की और समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा सीट से जीत हासिल की है. शांभवी चौधरी, पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल की बहू हैं.
अशोक के पिता 9 बार विधायक रहे
अशोक के पिता महावीर चौधरी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं. वे 9 बार विधायक चुने गए. वे बिहार में कई राज्य सरकारों में मंत्री रहे. मई 2014 में उनका निधन हो गया था. यानी बिहार में चौधरी परिवार तीन पीढ़ियों से राजनीति में सक्रिय है.
अशोक चौधरी और श्याम रजक के जरिए आगे बढ़ेंगे नीतीश?
चूंकि, नीतीश कुमार बिहार में दलित और महादलित समुदाय में पैठ बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं. यही वजह है कि 2018 में उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेला था. हालांकि, उनका यह दांव कामयाब नहीं हो सका था. उसके बाद नीतीश ने पासी जाति से आने वाले दलित नेता अशोक चौधरी को साधा और अब श्याम रजक को भी पार्टी में शामिल कराया है. चुनाव से पहले यह जॉइनिंग और नियुक्तियां अहम मानी जा रही हैं.
अशोक चौधरी के पास संगठन चलाने का अनुभव
दरअसल, नीतीश कुमार खुद पार्टी की कमान अपने पास रखे हैं और वो बेहतर तरीके से यह जानते हैं कि संगठन में कब-कहां और किसे फिट करना है और क्या जिम्मेदारी देनी है. अशोक चौधरी संगठन के अनुभवी नेता हैं और बिहार में ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. ऐसे में चौधरी को पार्टी चलाने और चुनाव के समय क्या-कैसे करना है? इसका अच्छा खासा अनुभव है. वे गठबंधन की बारीकियों को भी समझते हैं. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार आने वाले दिनों में चौधरी को ट्रंप कार्ड के तौर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
नीतीश और उनके समर्थकों से पंगा लेकर प्रमोशन पा गए चौधरी
दरअसल, दो दिन पहले अशोक चौधरी ने कविता ‘बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए’ टाइटल के साथ एक्स पर पोस्ट किया है. लिखा,
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, “छोड़ दीजिए.”
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, ”छोड़ दीजिए.”
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, ”छोड़ दीजिए.”
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, ”छोड़ दीजिए.”
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, ”छोड़ दीजिए.”
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, ”छोड़ दीजिए.”
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, ”छोड़ दीजिए.”
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, ”छोड़ दीजिए.”
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, ”छोड़ दीजिए.”
चौधरी के पोस्ट को 73 साल के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जोड़ा गया. खुद जेडीयू नेताओं ने चौधरी को नसीहतें दीं. JDU के एमएलसी नीरज कुमार ने कहा, नीतीश कुमार पर कोई सवाल नहीं खड़े कर सकता है. आज जनता दल यूनाइटेड की पहचान नीतीश कुमार की वजह से है. नीतीश कुमार क्लाइमेट लीडर हैं. जो भी नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधेगा, उसे सीधा जवाब मिलेगा. मुझे अशोक चौधरी के नाराजगी के बारे में कोई जानकारी नहीं है. एक नीतीश कुमार अकेले सब पर भारी हैं.
यह पूरा विवाद चल ही रहा था कि गुरुवार को जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी के प्रमोशन का फरमान जारी कर दिया और संगठन में दूसरे नंबर की जगह देकर बड़ा संदेश दे दिया.
जब भूमिहार जाति पर टिप्पणी को लेकर विवादों में आए चौधरी?
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर अशोक चौधरी की एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही थी, जिसमें वे अप्रत्यक्ष रूप से जहानाबाद लोकसभा सीट पर जेडीयू उम्मीदवार चंद्रेश्वर चंद्रवंशी की हार के लिए भूमिहार जाति को जिम्मेदार ठहराते देखे गए थे. चौधरी स्थानीय कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने जहानाबाद इलाके के भूमिहार नेता जगदीश शर्मा का नाम लिए बिना निशाना साधा. चौधरी का कहना था कि कुछ लोगों ने जेडीयू का समर्थन नहीं किया. उन्होंने कहा, जो सिर्फ पाने के लिए नीतीश जी के साथ रहते हैं, हमें वैसे नेता नहीं चाहिए. हम भी कोई विदेश के नहीं हैं. हम भी जहानाबाद के ही हैं. मेरी बेटी की शादी भी भूमिहार में हुई है. हम भूमिहारों को अच्छी तरह से जानते हैं. दरअसल, जहानाबाद में जेडीयू केचंद्रवंशी, आरजेडी के उम्मीदवार सुरेंद्र यादव से चुनाव हार गए थे.
अशोक चौधरी के ट्वीट के बाद विवाद बढ़ गया. पार्टी में असहज की स्थिति पैदा हो गई. कई पार्टी नेताओं ने खुलकर विरोध किया. विपक्ष को भी हमलावर होने का मौका मिल गया. पार्टी के अंदर अपने बयान का विरोध देखकर चौधरी ने इस पर सफाई भी दी.
उन्होंने कहा, जेडीयू में रहते हुए जिन लोगों ने पार्टी को वोट नहीं दिया, मैं उनके बारे में बोल रहा हूं. मैं उस भावना के खिलाफ बोल रहा हूं. मैं उनके बारे में बोल रहा हूं जो पार्टी में हैं और पार्टी में आगे बढ़ना चाहते हैं.