नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल में बाढ़ ने तबाही का कहर मचा दिया हैं वहीं इस कड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने पश्चिम बंगाल में बाढ़ की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी है।
जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि दामोदर घाटी निगम (DVC) ने उनकी सरकार से सुझाव किए बिना अपने जलाशयों से पानी छोड़ दिया, जिससे राज्य के कई जिले में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।
क्या बोले केंद्रीय जल मंत्री प्रधानमंत्री को लिखे ममता के पिछले पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल (CR Patil) ने कहा था कि राज्य के अधिकारियों को हर चरण में डीवीसी के जलाशयों से पानी छोड़े जाने के बारे में सूचित किया गया था, जो एक बड़ी आपदा को रोकने के लिए आवश्यक था। ममता ने कहा, “हालांकि, माननीय मंत्री का दावा है कि डीवीसी के बांधों से पानी दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति के साथ आम सहमति और सहयोग से छोड़ा गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श भी शामिल था, मैं इससे सम्मानपूर्वक असहमति जताती हूं।” उन्होंने आरोप लगाया, “भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधि सभी अहम फैसले आम सहमति के बिना एकतरफा रूप से लेते हैं।”
सीएम ममता ने बाढ़ लेकर किया दावा ममता ने दावा किया कि कभी-कभी राज्य सरकार को बिना किसी नोटिस के पानी छोड़ दिया जाता है और उनकी सरकार की राय का सम्मान नहीं किया जाता। उन्होंने 21 सितंबर को लिखे पत्र में कहा, “इसके अलावा नौ घंटे की लंबी अवधि तक जलाशयों से होने वाली अधिकतम निकासी केवल 3.5 घंटे के नोटिस पर की गई, जिसके कारण आपदा प्रबंधन के प्रभावी उपाय नहीं किए जा सके।” यह पत्र रविवार को सार्वजनिक किया गया। ममता ने दावा किया कि 16 सितंबर की रात उन्होंने डीवीसी प्रमुख से पानी छोड़ने की योजना टालने का आग्रह किया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।
बिना किसी सलाह के छोड़ा गया पानी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने कहा कि उनकी सरकार 2.5 लाख क्यूसेक की अधिकतम निकासी के लिए तैयार नहीं थी और 17 सितंबर को शाम 4.34 बजे छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा घटाकर 2.3 लाख क्यूसेक और शाम 5 बजे 2 लाख क्यूसेक करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा, “डीवीसी ने पहले शाम 6 बजे छोड़े जाने वाली पानी की मात्रा घटकर 2.2 लाख क्यूसेक और बाद में रात 11.20 बजे 2.1 लाख क्यूसेक करने का परामर्श जारी किया।” ममता ने कहा, “दुर्भाग्य से हमारे अनुरोध और इन्हें स्वीकार किए जाने के बीच समय का बड़ा अंतर (2.5 से 7.5 घंटे तक) था। देरी के कारण स्थिति और बिगड़ गई, जिससे हमारे राज्य को काफी नुकसान हुआ।” मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2.5 लाख क्यूसेक की अधिकतम निकासी से बचा जा सकता था।