दिल्ली में अब नए मुख्यमंत्री के तौर पर आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी पदभार संभालेंगी। आतिशी के नाम को लेकर चर्चा तो पहले से ही हो रही थी। लेकिन उनके नाम पर आखिरी मुहर मंगलवार को लगी।
लेकिन सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी हो रही है कि झारखंड में हुए चंपई सोरेन प्रकरण के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री के चयन में हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते थे। यही वजह है कि केजरीवाल ने अपने भरोसेमंद और सियासी नजरिए से मुफीद साथी आतिशी को सीएम का चेहरा बनाया। हालांकि केजरीवाल मनीष सिसौदिया के साथ आतिशी पर पहले से ही सबसे ज्यादा भरोसा करते रहे हैं।
दिल्ली में नए मुख्यमंत्री का चयन तो हो गया, लेकिन सियासी चर्चाएं हैं कि आतिशी के चयन में क्या अहम फैक्टर देखे गए। राजनीतिक विश्लेषक आनंद कुमार कहते हैं कि कई बड़े नामों पर कयास लगाए जा रहे थे। इसमें कैलाश गहलोत से लेकर सौरभ भारद्वाज तक का नाम बताया जा रहा था। लेकिन केजरीवाल ने अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी आतिशी को बतौर सीएम चुना। आनंद कहते हैं की 2013 से आतिशी पार्टी की विचारधारा के साथ तो जुड़ी रहीं, लेकिन जिस तरह से दिल्ली में मनीष सिसोदिया की शिक्षा प्रणाली के प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया उससे केजरीवाल का भरोसा जीता। इसके अलावा महिला फैक्टर ने भी खूब काम किया। जिसका दिल्ली ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में सियासी फायदा भी देखने की उम्मीद पार्टी लगा रही है।
आनंद कहते हैं कि जो चर्चाएं सियासी गलियारों में चंपई सोरेन के घटनाक्रम को लेकर हो रही हैं, वह भी गलत नहीं हैं। उनका कहना है कि हेमंत सोरेन ने अपने सबसे भरोसेमंद और पार्टी के सबसे करीबी नेता पर भरोसा करते हुए मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन बाद में जो सियासी घटनाक्रम हुआ उससे सभी लोग वाकिफ हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर केजरीवाल को जब ऐसा निर्णय लेना था, तो वह अपने सबसे भरोसमंद और पहले से मुसीबत में साथ देने वाले चेहरे पर ही भरोसा जताते। हालांकि केजरीवाल की जगह पर जितने नाम मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आ रहे थे, वे सब उनके करीबी और भरोसेमंद ही थे। लेकिन आतिशी का मुख्यमंत्री के तौर पर चुना जाना दिल्ली से लेकर अलग अलग राज्यों में महिला सियासत के लिए मुफीद माना गया और उनको जिम्मेदारी दी गई।
वहीं आतिशी के मुख्यमंत्री घोषित किए जाने पर आम आदमी पार्टी के नेता अंकित डेढ़ा कहते हैं कि उनके नेता अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह का फैसला लिया है, वह देश की सियासत में सबसे बड़ा सियासी फैसला है। उनकी मंत्री आतिशी अब दिल्ली की मुख्यमंत्री बनेगी। यह फैसला विधायकों की सहमति से लिया गया है। अंकित कहते हैं की केजरीवाल तो जनता की अदालत में आ गए हैं। ऐसे में भाजपा के पास अब कोई मुद्दा ही नहीं बचा है। इसलिए उनके नेता अनाप शनाप बोल रहे हैं। वह कहते हैं कि अगर भाजपा कुछ करना ही चाहती है, तो मणिपुर में करे। लेकिन वहां हो रहे अत्याचारों पर उनकी बोलती बंद है। अब जब हमारे नेता जनता की अदालत में अपनों के बीच में जा रहे हैं तो भाजपा की और जमीन खिसक रही है।