भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए I4C अभियान शुरू किया है। अब इस अभियान में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन भी शामिल हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार की पहल में सक्रिय भागीदारी के लिए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन का आभार व्यक्त किया है।
अमित शाह ने कहा है कि अमिताभ की भागीदारी से भारत को साइबर-सुरक्षित राष्ट्र बनाने के मिशन में और तेजी आएगी। आइए जानते हैं I4C अभियान के बारे में कुछ खास बातें।
क्या बोले अमिताभ बच्चन?
एक वीडियो मैसेज में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा है कि साइबर अपराध के खिलाफ सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया भर में साइबर अपराध के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं। गृह मंत्रालय का भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। अभिनेता ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के आग्रह पर वह इस अभियान में शामिल हुए हैं। अमिताभ ने कहा कि हम सभी को इस समस्या के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। थोड़ी सी सावधानी हमें साइबर अपराधों से बचा सकती है।
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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा धन्यवाद
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पीएम मोदी के दृष्टिकोण के मद्देनजर गृह मंत्रालय देश में एक सुरक्षित साइबरस्पेस बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। I4C ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। अमित शाह ने सरकार की पहल में सक्रिय भागीदारी के लिए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को धन्यवाद कहा और कहा कि इससे साइबर-सुरक्षित राष्ट्र बनाने के मिशन में तेजी आएगी।
I4C के बारे में खास बातें
भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए गृह मंत्रालय की एक पहल है। I4C अभियान को साल 2018 में लॉन्च किया गया था। इसे भिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में सुधार करना, साइबर अपराध से निपटने के लिए भारत की समग्र क्षमता में बदलाव लाना और नागरिक संतुष्टि के स्तर में सुधार करना शामिल है। I4C को गृह मंत्री द्वारा 10 जनवरी 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था।
I4C अभियान के उद्देश्य
भारत में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए एक नोडल प्वाइंट के रूप में काम करना।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना।
साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को आसानी से दर्ज करने और साइबर अपराध के पैटर्न की पहचान करने की सुविधा प्रदान करना।
सक्रिय साइबर अपराध की रोकथाम और पता लगाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करना।
साइबर अपराध को रोकने के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करना।
साइबर फोरेंसिक जांच, साइबर स्वच्छता, साइबर-अपराध विज्ञान आदि के क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता करना।