Mayawati Om Sultanpur Encounter: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हाल ही में हुई मुठभेड़ के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगा रही हैं।
बसपा नेता मायावती ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और दोनों पार्टियों पर अपराध और जाति का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।
मायावती ने ‘एक्स’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सपा और भाजपा दोनों सरकारों के तहत कानून और व्यवस्था की स्थिति समान रूप से खराब है। उन्होंने उल्लेख किया कि सपा के शासन के दौरान गुंडे और माफिया दलितों, पिछड़े वर्गों, गरीबों और व्यापारियों को खुलेआम लूटते और मारते थे। उन्होंने लिखा, यूपी के सुलतानपुर जिले में एनकाउन्टर की घटना के बाद से बीजेपी व सपा में कानून-व्यवस्था को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं तथा अपराध, अपराधी व जाति के नाम पर जबरदस्ती की राजनीति की जा रही है, जबकि इस मामले में ये दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई जैसे हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि अर्थात् बीजेपी की तरह सपा सरकार में भी तो कई गुणा ज्यादा कानून-व्यवस्था का बुरा हाल था। दलितों, अन्य पिछडे़ वर्गों, गरीबों व व्यापारियों आदि को सपा के गुण्डे, माफिया दिन-दहाड़े लूटते व मारते-पीटते थे, ये सब लोग भूले नहीं हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में वास्तव में ”क़ानून द्वारा क़ानून का राज”, बी.एस.पी. के शासन में ही रहा है। जाति व धर्म के भेदभाव के बिना लोगों को न्याय दिया गया। कोई फर्जी एनकाउन्टर आदि भी नहीं हुये।
अतः बीजेपी व सपा के कानूनी राज के नाटक से सभी सजग रहें। दरअसल, राजनीतिक विवाद की जड़ 28 अगस्त को सुल्तानपुर में भारत ज्वेलर्स के यहां हुई डकैती है, जिसमें दो करोड़ का सोना-चांदी लूट लिया गया था। मुख्य आरोपी मंगेश यादव पर एक लाख का इनाम था। 6 सितंबर को उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया। इस घटना ने राजनीतिक बवाल मचा दिया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुठभेड़ की वैधता पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि अगर सभी लुटेरे पकड़े गए तो लूटा गया सोना कहां गया। उन्होंने पूछा, “अगर लुटेरे पकड़े गए तो लूटा गया सोना कहां गया?” अखिलेश यादव के सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस कार्रवाई का बचाव किया था । उन्होंने तर्क दिया कि अगर डकैत ने लूट के दौरान ग्राहकों को नुकसान पहुंचाया होता तो स्थिति अलग होती।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा, “क्या समाजवादी पार्टी उसकी जान वापस ला पाती?” योगी ने आगे कहा कि जब भी कोई माफिया या डकैत पुलिस मुठभेड़ में मारा जाता है, तो यह कुछ राजनीतिक गुटों को प्रभावित करता है, जो फिर जोर-शोर से विरोध करना शुरू कर देते हैं।बहरहाल, इस मुठभेड़ पर राजनीतिक बहस तेज़ होती जा रही है। दोनों ही पार्टियाँ इस घटना का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन और शासन व्यवस्था पर अपने-अपने रुख को उजागर करने के लिए कर रही हैं। सपा और भाजपा नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के चलते जनता बंटी हुई है।