Haryana Bishnoi Community: चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों को बदल दिया है। अब एक अक्टूबर की जगह 5 अक्टूबर को मतदान होगा। वहीं 8 अक्टूबर को मतगणना की जाएगी। चुनाव आयोग ने यह फेरबदल बिश्नोई समाज के एक प्रमुख त्योहार के मद्देनजर किया है।
ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि जाट बाहुल्य राज्य हरियाणा में आखिर बिश्नोई समाज के त्योहार को लेकर चुनाव की तारीखों में क्यों बदलाव किया गया है? तो इसका जवाब है कि हरियाणा की सियासत में बिश्नोई समाज का भी गहरा दबदबा है और इसका असर एक-दो तो नहीं बल्कि कई सीटों पर सीधा पड़ता है।
दरअसल, 2 अक्टूबर को ‘आसोज अमावस’ है। इस दिन पंजाब, राजस्थान और हरियाणा से बड़ी तादाद में बिश्नोई समुदाय के लोग अपने अराध्य गुरु जम्बेश्वर की याद में असोज अमावस पर्व पर राजस्थान में अपने पैतृक गांव मुकाम आते हैं। राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील में गांव मुकाम में श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का समाधि स्थल है, जिसमें दुनियाभर के बिश्नोई समाज की गहरी आस्था है। यहां पांच सौ से ज्यादा साल से मेला भरता है।
हरियाणा में बिश्नोई समाज की पैठ
वैसे तो बिश्नोई जाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा राजस्थान में हैं, लेकिन हरियाणा में इनका दूसरा स्थान है। भारत में बिश्नोई समुदाय की आबादी 13 लाख से ज्यादा मानी जाती है। राजस्थान में इनकी लगभग 9 लाख आबादी है। इसके बाद दूसरे नंबर पर हरियाणा राज्य आता है। यहां बिश्नोई समुदाय की आबादी करीब 2 लाख बताई जाती है।
इतनी सीटों पर बिश्नोई समाज का असर
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से भिवानी, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद ऐसे जिले हैं, जहां बिश्नोई बाहुल्य गांव हैं। इसी के साथ बिश्नोई समाज की पैठ करीब 11 विधानसभा इलाकों में है। जिनमें करीब दो लाख वोटर हैं। हरियाणा की आदमपुर, उकलाना, नलवा, हिसार, बरवाला, फतेहाबाद, टोहाना, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, लोहारू विधानसभा क्षेत्र बिश्नोई का गढ़ कही जाती है।