कोलकाता. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की घटना की सीबीआइ जांच पर अब सवाल उठ रहे हैं। पीडि़ता के माता-पिता ने कहा कि हम जांच को लेकर निराश हैं।
जांच एजेंसी अब तक मामले में किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर एजेंसी रेप व मर्डर कांड तथा अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से घंटों पूछताछ, घर की तलाशी और पालीग्राफ टेस्ट के बावजूद केंद्रीय जांच एजेंसी ठोस सबूत के लिए हाथ-पैर मार रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस के मौके पर रैली को संबोधित करते हुए सीबीआइ की जांच पर सवाल उठाया। हमने पांच दिनों का समय मांगा था लेकिन, दो सप्ताह बाद भी सीबीआइ अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
पार्टियां समेत आम लोग भी कार्यप्रणाली पर जताने लगे हैं संदेह
घटना की जांच कर रही सीबीआइ इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्त संजय रॉय और मामले की लीपापोती करने के आरोपी पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष समेत सात लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट करा चुकी है। जांच एजेंसी की अलग-अलग टीमें कोलकाता और हावड़ा में 15 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है लेकिन, अब तक एजेंसी ने किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने का संकेत नहीं दिया है।
पता नहीं यह मामला कब सुलझेगा: जूनियर डॉक्टर
इस घटना के विरोध में आंदोलन पर बैठे एक जूनियर डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि हमने कोलकाता पुलिस पर तो लापरवाही का आरोप लगाया था लेकिन, सीबीआइ भी दो सप्ताह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड, पता नहीं यह मामला कब सुलझेगा। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि आंदोलन जारी रहेगा। इसका खमियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। महानगर में इस कांड को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है।
दोनों मामलों की जांच, समय लगना स्वाभाविक: एजेंसी
सीबीआइ के सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जड़ें काफी फैली हैं। ऐसे मामले इतनी जल्दी नहीं सुलझाए जा सकते। अलग-अलग टीमें विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही हैं। रेप व हत्या के अलावा अब आर्थिक घोटाले की जांच का जिम्मा भी हमारे हाथों में ही है। दोनों मामलों की जांच समानांतर चल रही है। ऐसे में समय लगना स्वाभाविक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूरा मामला सीबीआइ के हाथों में होने के कारण गेंद अब केंद्र के पाले में है। विश्लेषक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं कि यह मामला जितनी जल्दी सुलझे उतना ही बेहतर है।