दीनदयाल जी कहते थे कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है। मैं नहीं जानता कि मंदिर में जाकर हम भगवान की आरती उतारेंगे तो भगवान प्रसन्न होकर दर्शन देंगे या नहीं। मैं ये भी नहीं जानता कि तीज-त्यौहार पर व्रत-उपवास से नारायण प्रसन्न होंगे या नहीं। मैं ये भी नहीं जानता कि हिमालय की घनघोर कंदराओं में बैठकर तपस्या करोगे तो भगवान दर्शन देंगे या नहीं, लेकिन वे कहते थे कि यदि दीनों की सेवा कर ली, दुखियों के सेवा कर ली, गरीबों की सेवा कर ली और अगर गरीबों के आंखों के आंसू पोंछ लिए तो गरीबों की उन आंखों में साक्षात भगवान दिखाई देगा, ऐसे थे दीनदयालजी।
कई बार हम महापुरुषों के नाम पर योजनाओं का नाम रखते हैं और फिर उसे ऐसा कर देते हैं कि हमारा उद्देश्य ही पूरा नहीं होता, तो हम तय करेंगे कि आगे से दीनदयाल लिखेंगे तो उन महापुरूष का सम्मान होगा। नहीं तो महात्मा गांधी MG हो गया। भोपाल में एक तात्या टोपे नगर है। अमर शहीद तात्या टोपे नगर को TT नगर कर दिया। इससे मुझे तकलीफ होती है इसीलिए मुझे लगा कि ये बात में ध्यान दिलाऊं।
जब मैं मुख्यमंत्री था, तो म.प्र. में हम कार्यक्रम करते थे। तब हर कार्यक्रम का शुभारंभ हम बेटियों की पूजा करके करते थे। मैं उनके पैर धोता था, तिलक लगाता था, आरती उतारता था। वो केवल कर्मकांड नहीं था, समाज को एक संदेश था कि बेटियों के बिना दुनिया नहीं चल सकती, बेटियां है तो कल है।
भारत की कल्पना नारी के बारे में बिल्कुल अलग है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’। गंगा-गीता-गायत्री, सीता-सत्या-सावित्री, दुर्गा-लक्ष्मी-सरस्वती, हमने इस रूप में महिलाओं को देखा है। नारी तू नारायणी और हमारी बहनों ने ये सिद्ध कर दिया है।
मैं ग्रामीण विकास विभाग को हृदय से बधाई देता हूं कि उन्होंने आजीविका मिशन का जो संगठन खड़ा किया है, वो अदभुत है। एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। आज इसका मतलब है कि बहनों में अनंत क्षमताएं हैं, ताकत है, शक्ति है। सवाल है ठीक दिशा देने का।
मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हृदय से आभारी हूं। उन्होंने बड़ी सेवा की है। “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियान प्रारंभ करके एवं उनका जो 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का संकल्प है, वह सच में अदभुत है।
मैं अपनी बहनों से कहना चाहता हूं कि नारी अबला नहीं है, सबला है। कई योजनाएं बनी। प्रधानमंत्री जी ने बनाई। मध्यप्रदेश में भी हमने लाड़ली लक्ष्मी जैसी कई योजनाएं बनाई। समाज का दृष्टिकोण बदलना पड़ेगा। मैं बेटी की गारंटी लेता हूं कि जब तक वो जिंदा रहेगी, तब तक उसकी सांस माता व पिता के लिए चलेगी।
म.प्र. में लाडली लक्ष्मी योजना बनाई, जिसमें तय किया कि म.प्र. की धरती पर बेटी पैदा होगी तो लखपति ही पैदा होगी। उसको फिर हमने पढ़ाई से जोड़ा। हमने कहा- अलग-अलग कक्षाओं में अलग-अलग राशि मिलेगी, ऐसी योजनाओं का परिणाम ये हुआ कि अब म.प्र. में 1000 बेटों पर 956 बेटियां पैदा हो रही हैं।
हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तब तक चैन की सांस नहीं लेंगे, जब तक कि जितने बेटा पैदा होते हैं, उतनी ही बेटियां भी पैदा न हों। ये तब होगा जब हम अपनी ताकत बताएंगे कि हम बोझ नहीं, वरदान है, और आजीविका मिशन ने ये किया है। बहनों का आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है।
आज 1 करोड़ लखपति दीदी बनी हैं। और, प्रधानमंत्री जी 25 अगस्त को जलगांव, महाराष्ट्र जा रहे हैं और वहां 11 लाख नई लखपति दीदियों को प्रमाण-पत्र वितरित करेंगे। वो भी लखपति क्लब में शामिल हो गई हैं।
आर्थिक सशक्तिकरण के साथ ही सामाजिक सशक्तिकरण भी। पहले गांव में पूछता नहीं था कोई कि अरे ये तो गरीब महिला है और आज जब उसे काम करते देखते हैं तो दीदी-दीदी करके पीछे घूमते है। उसने परिवार की हालत बदल दी है। इसके साथ-साथ दीदियों का राजनीतिक सशक्तिकरण भी हुआ है। ये लीड करने की क्षमता के कारण म.प्र. में 17 हजार बहनें चुनाव लड़कर जीतकर आईं। कोई सरपंच, कोई जनपद पंचायत, कोई जिला पंचायत, और इसके साथ शैक्षणिक सशक्तिकरण भी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से कहा है कि मैं विकसित भारत के निर्माण के लिए तीन गुना तेजी से काम करूंगा। मेरी बहनों से निवेदन है कि हम आज आजीविका मिशन को, सेल्फ हेल्प ग्रुप को लीड कर रहे हैं तो हम भी तीन गुना ताकत से करें, ताकि 3 करोड़ लखपति दीदी का संकल्प हम जल्दी ही पूरा कर पाए। और उससे आगे बढ़ें।
क्यों कोई महिला गरीब रहे, क्यों मजबूर रहे, क्यों आंखों में आंसू आए, काम करेंगे और आगे बढ़ेंगे। नहीं रहेंगे गरीब। हम कोई गरीब और मजबूर रहने के लिए पैदा नहीं हुए। ये क्षमता है हम में।
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अभियान चलेगा, लेकिन हमारा अभियान गरीबी मुक्ति का और उसके साथ-साथ स्वास्थ्य क्योंकि ‘पहला सुख निरोगी काया।’ हमारे पास कितने भी धन के ढेर लगे हों, लेकिन तबीयत अगर ठीक नहीं तो क्या कुछ अच्छा लगेगा क्या।
संस्कार देने की परंपरा अपने यहां रही है। यहां हर बच्चे में अनंत क्षमता है। कोई मंदबुद्धि नहीं है। इस दिमाग में कितनी ताकत है, हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम 10 प्रतिशत भी उसका उपयोग नहीं करते। ढंग से अगर दिशा दी जाए तो वहीं बच्चे इंटेलिजेंट बन सकते हैं, ये हमारी ड्यूटी है। मां की भी ड्यूटी है।
स्वच्छता कितनी जरूरी है, आप सब जानते हैं। अगर स्वच्छता की आदत न हो तो बीमारियों को आमंत्रण दे देते हैं। इसलिए यह कार्यक्रम हुआ कि लखपति तो बनना है, लेकिन स्वस्थ भी रहना है। बच्चों को भी दिशा देना है। उनको भी स्वस्थ रखना है। संस्कार देना है। और हमें नहीं, दूसरों को भी सीखना है।
हर बच्चे का समय पर टीकाकरण होना चाहिए। गर्भवती बहन को पोषण आहार लेना चाहिए, खुद के लिए और बच्चे के लिए भी। बच्चे के जन्म के बाद बच्चे व मां को क्या देना है, ये अब अवेयरनेस के विषय हैं।
विकसित भारत का मतलब समृद्ध भारत, स्वस्थ भारत। भारत स्वस्थ चाहिए इसलिए 10 करोड़ टॉयलेट की बात कर रहे। आदतें ठीक करने की जवाबदारी हमारी है। स्वच्छ पेयजल और बर्तन भी स्वच्छ रहना चाहिए।
इसके लिए अकेले सरकार से काम नहीं चलेगा। इसके लिए समाज को, हम सभी को जुड़ना पड़ेगा।
केवल भोजन नहीं हमसे हरेक एक्सरसाइज, योग, प्राणायाम कर सकता है। असंभव नहीं है ये। फेफड़े स्वस्थ रखना है, हम ज्यादा जी सकते हैं। स्वस्थ जी सकते हैं। हमारी दीदियां आजीविका मिशन इसे लीड करें।
मां को जानकारी है तो परिवार को स्वस्थ रखेगी वह। और यही प्रधानमंत्री जी का सपना और संकल्प भी है।
विकसित भारत, शिक्षित भारत भी होगा। स्वस्थ भारत भी होगा। समृद्ध भारत भी होगा। और भारत अब विश्वबंधु है, तो केवल अपनी नहीं, दुनिया की चिंता भी करेगा।
बहनों की क्षमता पर मुझे असीम विश्वास है। हम सब मिलकर इस काम को करेंगे। लीडर है बहनें। विकसित भारत के लिए हम अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें। विशेषकर परिवारों में स्वास्थ्य और समृद्धि का संदेश दें।