नई दिल्लीः संसद में बांग्लादेश के हालातों को लेकर केंद्र सरकार बैठक कर रही है। बैठक में रक्षा मंत्री राजाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बांग्लादेश की कमान सेना ने अपने हाथों में ले ली है। इससे पहले सरकार ने बांग्लादेश में अस्थिर हालात पर चिंता जताते हुए मंगलवार को कहा कि वह पड़ोसी देश की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और पिछले 24 घंटे में ढाका में अधिकारियों से पूरी तरह संपर्क रखा गया है तथा सीमा पर सुरक्षा बलों को अत्यंत सतर्कता बरतने को कहा गया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश की स्थिति पर पहले राज्यसभा में और बाद में लोकसभा में स्वत: संज्ञान लेकर दिए गए बयान में कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के कई दशकों से गहरे संबंध हैं।
उन्होंने कहा कि वहां अस्थिरता और हिंसा वाले हालात पर यहां भी चिंता उत्पन्न हुई है। जयशंकर ने कहा कि इस साल जनवरी में बांग्लादेश में चुनाव के बाद से ही वहां अत्यधिक तनाव, गहरे विभाजन और ध्रुवीकरण की स्थिति थी और इसी बुनियाद पर वहां जून में छात्रों के आंदोलन के साथ हालात बिगड़ने शुरु हुए। उन्होंने कहा कि आंदोलन हिंसक हो गया, सरकारी इमारतों पर हमले होने लगे, यातायात और ट्रेन सेवाएं बाधित की गईं। विदेश मंत्री ने कहा कि यह सिलसिला जुलाई तक जारी रहा और सुप्रीम कोर्ट के 21 जुलाई के फैसले के बाद भी हालात नहीं बदले।
जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में भारत ने संयम बरता और संवाद से समाधान की वकालत की। उन्होंने कहा कि वहां विभिन्न राजनीतिक दलों और राजनीतिक ताकतों से भी यही आग्रह किया गया। उन्होंने कहा कि जो कुछ पड़ोसी देश में हुआ, उसका एक सूत्री एजेंडा यह था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दे दें। विदेश मंत्री ने कहा कि चार अगस्त को पुलिस थानों में पुलिस पर, सरकारी भवनों पर हमले बढ़ गए और देशभर में सरकार से जुड़े लोगों की संपत्तियों पर हमले होने लगे।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में कई स्थानों पर अल्पसंख्यकों के कारोबारों और मंदिरों पर हमले विशेष रूप से चिंताजनक हैं। जयशंकर ने कहा कि पांच अगस्त को कर्फ्यू के बाद भी ढाका में प्रदर्शनकारी जमा हुए। उन्होंने कहा, ”हमारी समझ है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने बहुत कम समय में कल कुछ वक्त के लिए भारत आने की अनुमति मांगी थी और वह कल शाम यहां पहुंचीं।” विदेश मंत्री के अनुसार बांग्लादेश में अभी भी अस्थिर हालात हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने पांच अगस्त को देश को संबोधित करते हुए हालात की जिम्मेदारी ली और अंतरिम सरकार बनाने की बात कही। उन्होंने कहा, ”हम राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में हैं।” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में एक अनुमान के अनुसार 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें 9,000 छात्र हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई में भारतीय उच्चायोग के परामर्श पर अधिकतर छात्र भारत लौट चुके हैं। उन्होंने कहा कि ढाका में भारतीय उच्चायोग के अलावा चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोग हैं।
जयशंकर ने कहा, ”वहां की सरकार से हमारी अपेक्षा है कि इन राजनयिक मिशनों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जाए।” उन्होंने कहा, ”वहां हालात स्थित होने पर हम सामान्य कामकाज की उम्मीद करते हैं।” जयशंकर ने कहा, ”हम अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी नजर रख रहे हैं। खबरें हैं कि विभिन्न संगठनों और समूहों ने उनकी सुरक्षा को लेकर कदम उठाए हैं। हम उनका स्वागत करते हैं। हम स्वाभाविक रूप से वहां कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल होने तक चिंतित रहेंगे।” विदेश मंत्री ने कहा कि इस जटिल स्थिति के मद्देनजर सीमा पर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बलों को भी अत्यंत सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में ढाका में अधिकारियों से पूरी तरह संपर्क रखा गया है।