नई दिल्ली: नेता विपक्ष बनते ही राहुल गांधी ने अग्निवीर का मुद्दा उठाया था और जिस तरह से मीडिया में उन्हें सुर्खियां मिलीं, उसके बाद उन्होंने नीट का मुद्दा उठाया. अब ऐसा लगता है कि वह किसानों के जरिए एक बड़े वोट बैंक यानी नौजवान छात्रों को ‘घेरे’ में लेने की कोशिश कर रहे हैं.
अब तक राजनैतिक दलों का सहयोग लेने से बचते रहे किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर भाजपा को छोड़ सभी दलों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इन संगठनों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से प्राइवेट मेंबर बिल लाकर उस पर वोटिंग कराने की गुजारिश भी की है.
आने वाले विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी की नजर इन वोट बैंक पर दिखती है. लिहाजा पूरी मजबूती के साथ संसद में और सड़क पर दोनों जगह राहुल गांधी इन मुद्दों को उठाने वाले हैं. बुधवार को 12 किसान नेताओं ने संसद भवन में नेता विपक्ष लोकसभा राहुल गांधी के कमरे में उनसे मुलाकात की और उनसे गुजारिश की कि वह या फिर उनकी तरफ से कोई भी व्यक्ति प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएं. सदन में ताकि बीजेपी का रुख साफ हो जाए देश के सामने किसान विरोधी उनका रुख सामने आ जाए और टीडीपी और नीतीश कुमार पर भी दबाव बने और देश को पता चले कि किसानों के मुद्दे पर यह दोनों दल जो सरकार की बैसाखी बने हुए हैं, किस तरफ है.
किसान बीजेपी से आर-पार की लड़ाई के मूड में
दरअसल, एमएसपी की लीगल गारंटी, किसान कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर समर्थन मूल्य की मांग को लेकर अब किसान सत्ताधारी बीजेपी से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. इन संगठनों ने विपक्षी सांसदों के साथ ही एनडीए के घटक दलों के सांसदों-नेताओं को खत लिखकर मिलने का वक्त मांगा है. दिलचस्प है कि बीजेपी के 240 सांसदों को छोड़कर सभी को ये खत लिखा गया है.
बीजेपी को अलग-थलग कर दबाव बढ़ाने की कोशिश
इन किसान संगठनों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से गुजारिश की है कि वे उनकी मांगों पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश करें और फिर उस पर वोटिंग करा लें जिसके जरिये कौन सा दल और कौन सांसद किसानों की मांगों के साथ है और कौन विरोध में है, ये तस्वीर भी सबके सामने आ जायेगी. इसके जरिये किसान संगठन खुलकर एनडीए में फूट डालने की कोशिश में हैं, साथ ही बीजेपी को अलग-थलग करके उस पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं.
राहुल क्या खुद यह कदम उठाएंगे या…
किसान संगठनों से बातचीत के बाद राहुल गांधी ने कहा कि वह इंडिया ब्लॉक के बाकी नेताओं और दलों से बात करके इस मामले में आगे का कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा कि किसान नेताओं की मांग को पूरा समर्थन करते हैं और सभी विपक्षी दल मिलकर सरकार पर दबाव बनाएंगे. अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी खुद प्राइवेट मेंबर भी लाकर किसानों की लंबित मांगों पर सरकार पर दबाव बनाते हैं या फिर किसी अन्य सांसद के जरिए उनकी डिमांड पूरी की जाती है.
किसानों ने इन्हीं सब मुद्दों को लेकर कई महीने तक दिल्ली को चारों तरफ से घेर रखा था और सरकार की तैयारी पर उनकी राह में कटीले तार और बॉर्डर लगाने को लेकर विपक्ष काफी हमलावर था. राहुल गांधी ने किसानों की मांग का तब भी समर्थन किया था लेकिन लोकसभा में स्थिति बदल जाने से कांग्रेस पार्टी के 99 सांसदों की जीत के आने और इंडिया ब्लॉक के 240 के आसपास सांसद होने के बाद सरकार पर दबाव बढ़ाने की नई रणनीति के तहत राहुल गांधी काम कर रहे हैं.