लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के करीब छह हफ्ते बाद, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 21 जुलाई को कोलकाता में एक राजनीतिक कार्यक्रम में मंच साझा किया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी.
तृणमूल कांग्रेस शहीद दिवस रैली में अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र की सरकार कुछ दिनों की मेहमान है. मैंने लोकसभा में कहा था और अब भी कह रहा हूं. दिल्ली की सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी और यह गिर जाएगी.
ममता बनर्जी ने भी इसी तरह की बात कही कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी. इसकी वजह यह है कि यह सरकार केंद्रीय एजेंसियों द्वारा नेताओं को धमकी देकर बनायी गयी है.
अखिलेश यादव ने कहा कि फिरकापरस्त ताकतें देश पर शासन करना चाहती हैं. देश को बचाने के लिए लोगों को एक साथ आना होगा.
ममता बनर्जी ने इस बात पर जो दिया कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की जनता ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराया है. दोनों नेताओं ने एक दूसरे का प्रशंसा की और सभा में उपस्थित लोगों से लड़ाई में सपोर्ट करने की अपील की.
बता दें, समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में भाजपा से अधिक सीटें मिली हैं. सपा को 37 सीटों पर जीत मिली है तो भाजपा को महज 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा. उत्तर प्रदेश में सपा को मिली जीत से यह देश की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन गई. यह विपक्ष की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उसके बाद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को 29 सीटें मिली हैं, जो देश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
ममता ने NDA सहयोगियों को बताया कायर और लालची
ममता बनर्जी ने एनडीए सहयोगियों की आलोचना करते हुए उन्हें डरपोक और लालची तक कह डाला. उन्होंने कहा कि वे पैसे की लालच में साथ चले गए. उन्होंने कहा, “क्या कभी किसी ने मंत्रालय के बदले पैसे की पेशकश के बारे में सुना है? वे कायर, बेशर्म और लालची हैं. उन्होंने अपनी पहचान का बलिदान दिया.
बता दें, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव दोनों ही नेता देश की तीसरी और चौथी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकतों वाले हैं और दोनों ही नेता एक ही बात क्यों बोल रहे हैं? दोनों ही दलों के नेताओं की लड़ाई फिरकापरस्तों से है. लेकिन इनके साथ कांग्रेस खड़ी है, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी ताकत है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी हैं. राहुल गांधी की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है. उनके रणनीतिकार उनकी छवि को सुधारने के प्रयास में जुटे हैं. इन दोनों नेताओं को यह भी पता है कि बिना कांग्रेस को साथ लिए हम कभी केंद्र में सरकार नहीं बना पाएंगे. क्या इन दोनों नेताओं को कांग्रेस की तरफ से इस बात के लिए मौन सहमति है कि सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करें.
गौरतलब है कि ममता बनर्जी जिन नेताओं की आलोचना कर रही हैं, बिना उनका साथ लिए केंद्र में फिलहाल सरकार नहीं बन सकती है. अगर ये नेता यह चाहते हैं कि केंद्र की सरकार अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही गिर जाए तो कम से कम ऐसे लोगों को पहले साधना होगा, जो भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के सहयोगी हैं.