Narendra Modi in Austria: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा (9 और 10 जुलाई) पर ऑस्ट्रिया में हैं, जो पिछले चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को मास्को से वियना पहुंचे हैं और पीएम मोदी अपनी इस यात्रा से उस डिप्लोमेसी को बढ़ा रहे हैं, जिसे नेहरू ने आकार दिया था और इंदिरा गांधी ने गले लगाया था।
मोदी की यह यात्रा नई दिल्ली और वियना के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के मौके पर हो रही है और ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पहुंचने पर उनका स्वागत, ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने जोरदार तरीके से किया और प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें “गर्मजोशी से स्वागत” के लिए धन्यवाद दिया।
ऑस्ट्रिया में प्रधानमंत्री मोदी
ऑस्ट्रिया की अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को कहा था, कि लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्य वह आधार हैं, जिस पर दोनों देश एक और करीबी साझेदारी का निर्माण करेंगे। मोदी की यह टिप्पणी ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर किए गये पोस्ट के एक दिन बाद आई है। ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने लिखा था, कि “मैं अगले हफ्ते वियना में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के लिए बहुत उत्सुक हूं।”
उन्होंने आगे लिखा था, कि “यह यात्रा एक विशेष सम्मान है, क्योंकि यह 40 से ज्यादा वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है और यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि हम भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।” ऑस्ट्रियाई चांसलर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, कि “हमारे पास अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने और कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर नजदीकी सहयोग के बारे में बात करने का अवसर होगा।” नेहमर के ट्वीट पर प्रतिक्रया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि “धन्यवाद चांसलर कार्ल नेहमर। इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए ऑस्ट्रिया का दौरा करना वास्तव में सम्मान की बात है। मैं हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर हमारी चर्चाओं का इंतजार कर रहा हूं।”
लेकिन मोदी इस यात्रा पर क्या करने गये हैं? वे किससे मिलने गये हैं? ऑस्ट्रिया की उनकी यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है? भारत-ऑस्ट्रिया के संबंध का आधार नेहरू ने कैसे बनाया और कैसे इंदिरा गांधी ने इस रिश्ते को सींचा, आइये जानते हैं।
40 सालों के बाद क्यों गये हैं भारतीय प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री मोदी, चांसलर कार्ल नेहमर के न्योते ऑस्ट्रिया की यात्रा पर गये हैं और यह प्रधानमंत्री मोदी की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा है। अक्टूबर 2021 में मोदी ने ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन के लिए कार्यक्रम COP26 के दौरान तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई चांसलर अलेक्जेंडर शालेनबर्ग, जो अब विदेश मंत्री हैं, उनसे मुलाकात की थी। मोदी ने 2017 में सेंट पीटर्सबर्ग में सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के दौरान तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर क्रिश्चियन केर्न के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। इस दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से मिलने वाले हैं। इसके अलावा, पीएम मोदी चांसलर कार्ल नेहमर के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी करेंगे। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, कि “प्रधानमंत्री, अपने औपचारिक स्वागत के अलावा, ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे और ऑस्ट्रिया में सीमित प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के साथ-साथ उच्च स्तरीय व्यापारिक भागीदारी भी करेंगे।” इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी, भारत और ऑस्ट्रिया के व्यापारिक नेताओं से मिलेंगे। वे वियना में भारतीय प्रवासियों से भी बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से क्या उम्मीदें हैं?
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से भारत और ऑस्ट्रिया के बीच संबंधों में और मजबूती आने की उम्मीद है। विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा, कि यह यात्रा हमारी साझेदारी के दायरे को बढ़ाने में मदद करेगी, साथ ही आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों को सुलझाने में भी मदद करेगी। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, कि “हमें विश्वास है, कि इस यात्रा से हमें द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ-साथ आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने और हमारी साझेदारी के दायरे को बढ़ाने में मदद मिलेगी।” क्वात्रा ने कहा, कि ऑस्ट्रिया मध्य यूरोप का एक प्रमुख देश है और ऑस्ट्रिया, बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप और मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। क्वात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि “ऑस्ट्रिया एक महत्वपूर्ण मध्य यूरोपीय देश है, जैसा कि आप सभी जानते हैं, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO), संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC) और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (OSCE) का मुख्यालय यहीं है।” उन्होंने कहा, कि “ऑस्ट्रिया बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, स्टार्ट-अप क्षेत्रों, मीडिया और मनोरंजन में द्विपक्षीय सहयोग के लिए उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है और पिछले कुछ वर्षों में इसने अच्छी वृद्धि दर्ज की है।” पीएम मोदी की यह यात्रा फरवरी में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज के लॉन्च होने के कुछ महीनों बाद हो रही है। स्टार्टअप ब्रिज का मकसद दोनों देशों के बीच स्टार्टअप कोलेबोरेशन और जानकारियां शेयर करने के लिए हैं।
Austria is known for its vibrant musical culture. I got a glimpse of it thanks to this amazing rendition of Vande Mataram! pic.twitter.com/XMjmQhA06R
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2024
भारत-ऑस्ट्रिया के बीच कैसे रहे हैं संबंध?
ऑस्ट्रिया ने 1947 में आजादी के फौरन बाद भारत को बतौर देश मान्यता दी थी और दोनों देशों के बीच पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दौरान 1949 में डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित हुए थे। साल 1955 में पहली बार पंडित नेहरू ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा से पहले कांग्रेस ने उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के भारत-ऑस्ट्रिया संबंध को नये आयाम तक पहुंचाने की याद दिलाने की कोशिश की और कहा, कि “1950 के दशक में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक संप्रभु और तटस्थ ऑस्ट्रिया के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।” कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए लिए प्रसिद्ध ऑस्ट्रियाई शिक्षाविद डॉ. हंस कोचलर की किताब का हवाला देते हुए लिखा, कि कैसे दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान प्रमुख वैश्विक शक्तियों ने ऑस्ट्रिया को लंबे समय तक कब्जे में रखा और कैसे पंडित नेहरू ने एक संप्रभु और तटस्थ ऑस्ट्रिया के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, कि “नेहरू के सबसे उत्साही वैश्विक प्रशंसकों में से एक महान ब्रूनो क्रेस्की थे, जो 1970-83 के दौरान ऑस्ट्रिया के चांसलर थे।” कांग्रेस नेता ने लिखा, कि “1989 में डॉ. क्रेस्की ने नेहरू को याद करते हुए लिखा, कि ‘जब इस सदी का इतिहास लिखा जाएगा, खासक उन लोगों का इतिहास, जिन्होंने इस पर अपनी मुहर लगाई है, तो सबसे महान और बेहतरीन अध्यायों में से एक पंडित जवाहरलाल नेहरू की कहानी होगी। यह भारत के सबसे आधुनिक इतिहास का हिस्सा होगा… बहुत पहले से ही नेहरू मेरे आदर्शों में से एक बन गए थे।” जयराम रमेश ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, कि “नेहरूफोबिया से पीड़ित लोग, जैसे हमारे गैर-जैविक प्रधानमंत्री और, विशेष रूप से 2019 के बाद से, हमारे विद्वान और तेजतर्रार विदेश मंत्री को भी इसे याद रखना चाहिए।” इंदिरा ने ऑस्ट्रिया के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाया कांग्रेस के प्रधानमंत्री पर किए गये तंज से अलग देखा जाए, तो 1980 में तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर ब्रूनो क्रेस्की ने भारत का दौरा किया था। उस यात्रा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1983 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था और दोनों देशों के संबंध को नये आयाम तक पहुंचाया था। इंदिरा गांधी की 1983 की यात्रा के बाद साल 1984 में तत्कालीन ऑस्ट्रियन चांसलर फ्रेड सिनोवात्ज ने भारत की यात्रा की थी। लेकिन, इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध मानो थम से गये और उसके बाद से किस भी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा नहीं किया है, हालांकि इस दौरान राष्ट्रपति के स्तर पर यात्राएं होती रहीं। पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन, हेंज फिशर, पूर्व ऑस्ट्रियाई कुलपति जोसेफ प्रोल और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने यात्राओं का सिलसिला जारी रखा। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर भारत-ऑस्ट्रिया द्विपक्षीय संबंधों की प्रोफाइल के मुताबिक, “भारत और ऑस्ट्रिया के बीच नेताओं, मंत्रियों और सांसदों के स्तर पर नियमित रूप से यात्राएं की गई हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालता है, कि दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए कितना महत्व देते हैं।”
भारत-ऑस्ट्रिया: ट्रेड और कल्चर
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही दूसरे देशों के साथ रिश्तों की बुनियाद में कारोबार और कल्चर को शामिल किया है और ऑस्ट्रिया के साथ भी भारत की विदेश नीति में ये दोनों तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में अलग अलग देशों के साथ कारोबारी रिश्तों को विस्तार दिया गया है और ऑस्ट्रिया के साथ कारोबारी संबंधों की बात करें, तो दोनों देशों के बीच साल 2023 में द्विपक्षीय कारोबार 2.93 अरब डॉलर का था। फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, भारत जहां ऑस्ट्रिया को इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, परिधान, जूते और रसायन का निर्यात करता है, वहीं भारत ऑस्ट्रिया से मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स और रसायन खरीदता है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और ऑस्ट्रिया के बीच 16वीं शताब्दी से ही सांस्कृतिक संबंध रहे हैं और कल्चरल आदान-प्रदान होता रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर कहा गया है, कि “भारत के महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 1921 और 1926 में दो बार वियना की यात्रा की थी, जिसने भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक पुल का निर्माण किया।” वहीं, ऑस्ट्रिया भी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत के लिए जाना जाता है, जबकि राजधानी वियना ऑर्केस्ट्रा संगीत और महान संगीतकारों की विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इस बार भी जब प्रधानमंत्री मोदी विएना पहुंचे, तो स्थानीय कलाकारों ने ‘वंदे मातरम’ गाकर उनका स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ऑस्ट्रिया में करीब 31,000 भारतीय रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर केरल और पंजाब से हैं। ऑस्ट्रिया में रहने वाले भारतीय मुख्य तौर पर मेडिकल क्षेत्र, कारोबार और स्वरोजगार से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, 500 से ज्यादा भारतीय छात्र भी ऑस्ट्रिया में हायर स्टडी कर रहे हैं।