चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार हरियाणा रोडवेज की यूनियनों के पदाधिकारियों से खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है क्योंकि सरकार जनता के हितों को सर्वोपरि चाहती है। सरकार ने रोडवेज यूनियनों व कर्मचारियों से से अपील की है कि वे शीघ्र ही काम पर वापिस लौटें ताकि प्रदेश की जनता को असुविधा न हो क्योंकि उनकी हड़ताल बे-बुनियाद हैं और उनकी मांग सच्चाई व तथ्यों से परे हैं, लेकिन फिर भी सरकार युनियनों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
यह जानकारी बुधवार को चंडीगढ़ में परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस एस ढिल्लों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि रोडवेज युनियनों का विरोध स्टेज कैरिज परमिट नीति के तहत जारी किए गए परमिटों को रद्द करने के लिए हैं और उनका कहना है कि इन परमिटों के जारी होने से रोडवेज को नुकसान होगा, जबकि यह सत्य नहीं है और तथ्य से परे है। उन्होंने बताया कि प्राईवेट आपरेटरों को परमिट जारी से रोडवेज का किसी भी प्रकार से प्रभाव कम नहीं होगा और न ही भविष्य में उनका रोजगार, वेतन, भत्तों इत्यादि पर कोई प्रभाव पडेंगा। उन्होंने कहा कि रोडवेज युनियनों की ये मांग बेबुनियाद हैं क्योंकि वर्तमान में पूरे देश के आंकडों को देखें तो 1000 लोगों के पीछे केवल आधी बस या 2000 लोगों के पीछे एक बस है और हरियाणा में यह स्थिति ओर भी भयावह है जिसके तहत 5000 लोगों के पीछे केवल दो बस हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमें वैसे तो प्रदेश की जनता को परिवहन सुविधा मुहैया करवाने के लिए 13500 बसों की जरूरत है परंतु वर्तमान में हम रोडवेज की 4200 बसें और प्राईवेट आपरेटर की 844 बसें ही लोगों को परिवहन सुविधा के तहत दे पा रहे हैं यानि कि 5044 बसें ही लोगों को मिल पा रही है।