25 जून को देश में इमरजेंसी लगे पूरे 49 साल पूरे हो गए। ऐसे में सत्ता पक्ष ने बुधवार को संसद में इमरजेंसी पर ऐसा दांव चला कि विपक्ष बिखरा हुआ नजर आया। सदन में जब स्पीकर ने आपातकाल निंदा प्रस्ताव रखा तो कांग्रेस की ओर से इसका पुरजोर विरोध हुआ। कांग्रेस सांसद खड़े होकर विरोध करते और नारे लगाते दिखे। लेकिन बाकी विपक्षी दल इससे अलग रहे। बुधवार को ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने लिए गए। अध्यक्ष बनने के बाद ओम बिरला ने सदन में इमरजेंसी की निंदा की। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर डॉ. आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का अपमान किया था। स्पीकर के प्रस्ताव रखते ही पक्ष और विपक्ष के सांसदों की नारेबाजी का सिलसिला शुरू हो गया।
हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही रद्द कर दी गई। लेकिन इस दौरान इंडिया गठबंधन के सांसद बिखरे-बिखरे नजर आए। बिखरे नजर आया विपक्ष सदन में जब स्पीकर ने निंदा प्रस्ताव रखा तो कांग्रेस की ओर से इसका विरोध हुआ। कांग्रेस सांसद खड़े होकर विरोध करते और नारे लगाते दिखे। हालांकि बाकी विपक्षी दल इससे अलग रहे।
अखिलेश यादव ने कही ये बात
इस पर एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव का कहना था कि आज सदन में आपातकाल के नाम पर जो कुछ भी हुआ, वह दिखावा था। इमरजेंसी में सिर्फ बीजेपी या उनके नेता ही जेल नहीं गए थे, समाजवादी से लेकर तमाम लोग जेल गए। लेकिन सवाल है कि हम पीछे मुड़कर कितना और कब तक देंखेगे। पुरानी बातों को लेकर कब तक बैठे रहेंगे। उन्होंने विपक्ष की बिखरने की बात से भी साफ इनकार किया।
एनडीए नेता ने नाम न उजागर करने पर कही ये बात
एनडीए के एक घटक दल के बड़े नेता ने पहचान उजागर न करने पर कहा कि आज स्पीकर का चुनाव था, आपातकाल पर यह निंदा प्रस्ताव लाना कहीं से भी उचित नहीं था। हालांकि, उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने नाम न जाहिर करते हुए कहा, “आपातकाल के दौरान समाजवादी और अन्य दलों के बहुत से नेता जेल गए थे। ऐसे में जब आपातकाल का मुद्दा उठा तो कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों के सांसद खामोश ही रहे।”
बीजेपी ने स्पीकर के चुनाव के बाद संसद की कार्यवाही के बाद पहले दिन ही ऐसा दांव चला कि इंडिया गठबंधन की एकजुटता ही सवालों में आ गई। 18वीं लोकसभा में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है और पार्टी गठबंधन सरकार चला रही है। वहीं इंडिया गठबंधन भी मजबूती के साथ सदन में लौटा है। ऐसे में सरकार के इस कार्यकाल में कई मुद्दों पर संसद में तीखी बहस और हंगामे होने की संभावना है।