दिल्ली जल संकट मामला।
हरियाणा के सिंचाई राज्य मंत्री अभय सिंह यादव ने कहा।
दिल्ली को हरियाणा सरकार पूरा पानी दे रही है।
हरियाणा सरकार मानती है कि दिल्ली देश की राजधानी है।
पानी को लेकर कोई व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।
दिल्ली को पूरा पानी मिलना चाहिए। लेकिन दिल्ली में पानी की जो समस्या है उसके लिए दिल्ली सरकार जिम्मेवार है।
दिल्ली सरकार का पानी प्रबंधन सही नहीं है।
दिल्ली में पानी की कमी नहीं, प्रबंधन की कमी है।
अगर हिमाचल से दिल्ली में पानी आता तो तुरंत दिल्ली को पानी दिया जाता।
हरियाणा सरकार में पानी के वेरीफिकेशन के लिए टीम में बनाई हुई है।
हरियाणा खुद भी पानी की समस्या से जूझ रहा है।
साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट में सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक उन पर अमल नहीं हुआ है।
इसी तरीके से हरियाणा सरकार ने अपने हिस्से के पानी के आंतरिक प्रबंधन के लिए हांसी बुटाना नहर बनाई थी।
लेकिन पंजाब सरकार ने इसके ऊपर भी स्टे हुआ है।
आज दिल्ली और पंजाब दोनों में ही आम आदमी पार्टी की सरकार है।
दिल्ली सरकार पहले भी कई बार पानी के मसले पर सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है।
पानी के मसले पर बार-बार सुप्रीम कोर्ट जाना में राजनीतिक बू आ रही है।
दिल्ली जानबूझकर पानी की मांग कर रहा है।
पहले भी सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को कोर्ट से फटकार लगा चुकी है।
हरियाणा ने कभी भी पानी देने में कोई कोटा ही नहीं की है।
बिजली और पानी के ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार सुधार करने की जरूरत होती है।
लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी प्रबंधन पर कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते आज दिल्ली का 50% पानी वेस्ट हो रहा है।
किसी पर भी आरोप लगाना आसान होता है लेकिन फैसला कोर्ट ही करेगा।
सतलुज यमुना लिंक नहर हरियाणा के लिए राजनीतिक मुद्दा और एक जीवन रेखा है।
दक्षिण हरियाणा को पानी की सख्त जरूरत है।
पानी की कमी के चलते गुरुग्राम में महेंद्रगढ़, भिवानी जैसे जिले सूखे पड़े हैं।
पीने के पानी की भी कमी है।