पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट सिखों के लिए ख़ास अहमियत रखती है. खडूर साहिब का सिख धर्म के दस गुरुओं में से आठ से संबंध रहा है.
इस बार ये सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.
उन्हें सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) का समर्थन भी हासिल है. अमृतपाल सिंह के चुनाव अभियान की कमान उनके समर्थकों ने संभाली हुई है.
अमृतपाल सिंह का जन्म इस लोकसभा क्षेत्र के एक गांव जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था. उनके समर्थकों ने प्रचार के लिए कई कमेटियां गठित की हैं.
खडूर साहिब में किराने की दुकान करने वाले बख्शीस सिंह खालसा बताते हैं कि गांवों में युवाओं ने कई कमेटियां बनाई हैं.
बख़्शीस सिंह ने बताया, “इन कमेटियों का गठन शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के महासचिव हरपाल सिंह बलेर ने किया है. हर कमेटी में 21 युवाओं को शामिल किया गया है. ये लोग घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. ये लोग सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर भी लगा रहे हैं.”
इससे साफ़ है कि अमृतपाल सिंह के चुनाव प्रचार को हरपाल सिंह बलेर ही चला रहे हैं.
कौन कर रहा है अमृतपाल सिंह का प्रचार?
हरपाल सिंह बलेर शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के महासचिव हैं. उन्हें पार्टी अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने खडूर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था.
लेकिन अमृतपाल सिंह के चुनाव लड़ने की घोषणा के तुरंत बाद हरपाल सिंह बलेर ने उम्मीदवारी वापिस ले ली थी.
हरपाल सिंह बलेर कहते हैं कि चुनावी रैलियां आयोजित करने की ज़िम्मेदारी बीबी परमजीत कौर खालड़ा को दी गई है. खालड़ा खुद 2019 में पंजाब एकता पार्टी की टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़ चुकी हैं.
वे दिवंगत मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी हैं.
परमजीत कौर खालड़ा ने बीबीसी पंजाबी को बताया, “हम मुख्य रूप से मानवाधिकारों को लेकर अमृत पाल सिंह के चुनाव के लिए लड़ रहे हैं. पंजाब इस समय नशे की चपेट में है. अमृतपाल सिंह ने नशे के ख़िलाफ़ अभियान चलाया था लेकिन सरकार ने उन्हें गैरक़ानूनी तरीके से एनएसए के तहत बंद कर दिया है.”
गांवों में महिलाओं की टोलियां घर-घर जाकर अमृतपाल सिंह के लिए वोट मांग रही हैं. ग्रामीण इलाक़ों में अमृतपाल सिंह के पोस्टर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल से किसी हाल में कम नहीं है.
तलवंडी जाल्हे खां के बलविंदर सिंह ने बताते हैं कि पोस्टरों के अलावा सोशल मीडिया पर भी अमृतपाल सिंह के प्रचार के लिए कई ग्रुप बनाए गए हैं.
उन्होंने बताया, “इन ग्रुपों के माध्यम से हम प्रचार के अलावा अमृतपाल सिंह के ख़िलाफ़ हो रहे दुष्प्रचार का भी जवाब दे रहे हैं.”
गांव छियां पाडी की सतवीर कौर कहती हैं कि घर का काम निपटाने के बाद करीब नौ बजे महिलाएं घर-घर जाकर वोट मांगती हैं.
सतवीर कौर ने बीबीसी को बताया, “हम नशे को मुख्य मुद्दा मानकर अमृतपाल सिंह के पक्ष में अभियान चला रहे हैं.”
आम आदमी पार्टी ने खडूर साहिब से राज्य सरकार के मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को उम्मीदवार बनाया है.
शिरोमणि अकाली दल ने विरसा सिंह वल्टोहा और बीजेपी ने मंजीत सिंह मन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया है.
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब से कांग्रेस के जसबीर सिंह डिंपा विजेता रहे थे.
इस बार कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा हलका जीरा से विधायक रह चुके कुलबीर सिंह जीरा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
खडूर साहिब क्यों है ‘पंथक पॉलिटिक्स’ का गढ़
लोकसभा क्षेत्र खडूर साहिब की भौगोलिक स्थिति भी दिलचस्प है. साल 2008 में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद खडूर साहिब लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया. पहले इस निर्वाचन क्षेत्र को तरनतारन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता था.
पंजाब के तीनों भौगोलिक क्षेत्रों – माझा, मालवा और दोआबा के कई इलाके खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र से ज़िला अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और कपूरथला के गांव जुड़े हुए हैं.
लोकसभा क्षेत्र खडूर साहिब को राजनीतिक गलियारों में ‘पंथक सीट’ के नाम से जाना जाता है.
भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा क्षेत्र खडूर साहिब में 75.15 फीसदी आबादी सिख है. 2011 में हुई जनगणना के अनुसार विधान सभा क्षेत्र खडूर साहिब में 93.33 प्रतिशत सिख धर्म से जुड़े लोग रहते हैं.
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें जंडियाला, खेमकरण, तरनतारन, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जीरा शामिल हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक़, इस बार 15 लाख 63 हज़ार 409 मतदाता अपने प्रतिनिधि का फ़ैसला करेंगे.
यह लोकसभा क्षेत्र तब चर्चा में आया था जब 1989 के चुनाव में सिमरनजीत सिंह मान ने इस क्षेत्र से भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की. उस समय सिमरनजीत सिंह मान देशद्रोह से जुड़े विभिन्न मामलों के तहत बिहार की भागलपुर जेल में बंद थे.
सिमरनजीत सिंह मान को उस समय यूनाइटेड अकाली दल के अध्यक्ष बाबा जोगिंदर सिंह ने चुनाव मैदान में उतारा था.
मानवाधिकार कार्यकर्ता परमजीत कौर खालड़ा का कहना है कि डिब्रूगढ़ में कैद अमृतपाल सिंह को सिमरनजीत सिंह मान की तर्ज पर जेल से चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया गया है.
कैसा है बाक़ी पार्टियों का प्रचार?
पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री और यहां से पार्टी के उम्मीदवार लालजीत सिंह भुल्लर का कहना है कि वह पंजाब सरकार के काम पर लोगों से वोट मांग रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हम हर वर्ग को मुफ्त घरेलू बिजली दे रहे हैं. यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है और लोग इससे खुश हैं.”
कांग्रेस ने कुलबीर सिंह जीरा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एक युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं.
जीरा पूर्व विधायक हैं और उनके पिता इंदरजीत सिंह जीरा भी विधायक रह चुके हैं. जीरा परिवार लंबे समय से राजनीतिक तौर पर अकाली दल से जुड़ा हुआ रहा है. इंद्रजीत सिंह जीरा कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुए थे.
शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार विरसा सिंह वल्टोहा ने अपनी चुनावी रैलियों में केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ हर क्षेत्र में ‘भेदभाव’ करने का आरोप लगाया.
तरनतारन में एक रैली उन्होंने कहा, “मेरा पहला काम व्यापार के लिए पाकिस्तान की वाघा और हुसैनीवाला सीमा को खोलने का मुद्दा उठाना होगा. अगर यह रास्ता खुल जाता है, तो देश का व्यापारी वर्ग और किसान अरब देशों तक व्यापार कर सकते हैं. हम बंदी सिखों की रिहाई के लिए लड़ना जारी रखेंगे.”
किसानों के विरोध के बीच भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने इलाके में अपना चुनाव प्रचार जारी रखा है. बीजेपी के प्रत्याशी मंजीत सिंह मन्ना सभाओं के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कामकाज के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
‘चौंकाने वाला नतीजा आएगा’
लोकसभा क्षेत्र खडूर साहिब के गांवों और क़स्बों के लोगों में नशा एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.
वचन सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भिखीविंड इलाके के खालड़ा गांव के रहने वाले हैं.
वचन सिंह कहते हैं, “मैंने अपनी 72 साल की ज़िंदगी में कभी युवाओं को नशे की वजह से मरते नहीं देखा. यह हमारा दुर्भाग्य है कि हर दिन नशे से मरने वाले किसी न किसी युवा का शव सड़क किनारे या खेतों में लावारिस पड़ा मिलता है. अगर हमारे युवा ही नहीं हैं तो हम पक्की सड़कें और मुफ़्त बिजली लेकर क्या करेंगे.”
खेमकरण के श्रीवे सिंह को उम्मीदवारों से शिकायत है. वे कहते हैं, “चुनाव के दौरान हर सरकार और हर उम्मीदवार हमसे वादा करता है कि वो नशे को ख़त्म कर देंगे, लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ नहीं होता है.”
वे कहते हैं, “कुछ साल पहले, हमने गांवों में पुलिस गश्त लगाकर नशीली दवाओं के व्यापारियों को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन हमें राजनीतिक दलों से कोई समर्थन नहीं मिला. ड्रग डीलर इतने ताक़तवर हैं कि डरे हुए लोगों ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ बोलना बंद कर दिया है.”
पेशे से वकील हरपाल सिंह पेशे मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं.
वह कहते हैं, “सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है. पंजाब के मुद्दे अन्य राज्यों से अलग हैं. बेरोज़गारी और नशे के कारण लोग निराशा की स्थिति में हैं.”
अमृतपाल सिंह के पारंपरिक राजनीतिक दलों के ख़िलाफ़ स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने पर टिप्पणी करते हुए वे कहते हैं कि खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र का चुनाव पंजाब के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से अलग है.
हरपाल सिंह कहते हैं, “मैं साफ़ कहता हूँ खडूर साहिब सीट का परिणाम पंजाब की राजनीति को एक नया रंग देगा.”
कौन हैं अमृतपाल सिंह
अमृतपाल ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया हैं. ये संगठन दीप सिद्धू ने बनाया था, जिनकी बीते साल एक सड़क हादसे में मौत हो गई.
इस संगठन के एक साल पूरे होने पर 29 सितंबर, 2022 को अमृतपाल सिंह को इसका प्रमुख बनाया गया.
अजनाला हिंसा के बाद अमृतपाल के ख़िलाफ़ कई मामले दर्ज किए गए और उन पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) भी लगाया गया. अमृतपाल सिंह के खिलाफ एनएसए समेत 16 मामले दर्ज हैं.
पंजाब पुलिस पिछले साल मार्च में उनकी तलाश कर रही थी, बाद में भिंडरांवाले के गांव रोडे से उन्हें अप्रैल में गिरफ़्तार कर लिया गया था.
हालांकि इस दौरान पुलिस ने उनके कई साथियों को हिरासत में लिया, जिनमें से कुछ को छोड़ दिया गया.
इस सिलसिले में अमृतपाल के चाचा और उनके कई साथियों को गिरफ़्तार किया गया था. उनमें से कुछ असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं और उन पर एनएसए लगाया गया है.